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पंजाब की तर्ज पर देवभूमि में नशे का मकड़जाल, आंकड़े कर देंगे हैरान

उत्तराखंड में लगातार नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है. पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़े हैरान करने वाले हैं. वहीं, पुलिस उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अकोश कुमार का कहना है कि जब से ADTF का गठन हुआ है, उसके बाद नशे के कारोबार पर अंकुश लगा है.

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Published : Jul 5, 2019, 3:09 PM IST

देहरादून: पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड भी नशे के जाल में फंसता जा रहा है. साल-दर-साल चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि नशे के सौदागर देहरादून स्थित शिक्षण संस्थानों, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे अन्य शहरों में लगातार अपनी जड़े मजबूत करते जा रहे हैं. इनके निशाने पर सबसे सॉफ्ट टारगेट के रूप में स्टूडेंट हैं. हालांकि, नारकोटिक्स विभाग द्वारा समय-समय पर देहरादून के शिक्षण संस्थानों में नशे के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है.

एजुकेशन हब होने के कारण देहरादून में देश के अलग-अलग राज्यों से स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश के नशा तस्करों की जड़ें देहरादून में फैली हैं. नशे के गिरफ्त में न सिर्फ छात्र ही शामिल है, बल्कि कॉलेज, इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राएं भी ड्रग्स के शिकंजे में आ चुकी है. इसके अलावा होटल, रेस्टोरेंट और हुक्काबार में भी धड़ल्ले से नशा परोसने का काम किया जा रहा है. हालांकि, लगातार बढ़ते नशे के कारोबार में अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के अधीन आने वाली एंटी ड्रग्स पुलिस लगातार कार्रवाई और तस्करों की धरपकड़ कर रही है.

नशे पर अंकुल लग रहा है- डीजी
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि बीते सालों की तुलना में साल 2018 में STF के अधीन ADTF का गठन होने के बाद नशे के कारोबार पर अंकुश लगा है. हालांकि, नशे के बड़े सौदागरों की धरपकड़ पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, लेकिन STF नशा माफिया के किले को ध्वस्त करने में जुटी है.

अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड

पढ़ें- बजट 2019: भारत की आज़ादी से लेकर अब तक के बजट की पूरी कहानी

पुलिस की पकड़ से बड़ी मछलियां कोसों दूर
देहरादून में लगातार नशे के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए एंटी ड्रक्स टॉस्क फोर्स भले ही कार्रवाई कर रही हो, लेकिन सवा दो सालों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बड़ी मछलियों की धर पकड़ न होने से नशे का मकड़जाल लगातार उत्तराखंड में अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है. जानकारों के मुताबिक पुलिस हमेशा छोटे तस्करों पर कार्रवाई करती है लेकिन इस कारोबार की बड़ी मछली पुलिस के शिकंजे से कोसों दूर हैं.

प्रदेशभर में दर्ज मुकदमे, धरपकड़ व बरामद की गई नशे की खेप के आंकड़े

साल 2017 के आंकड़े

चरस 276.07 किलो
स्मैक 18.456 किलो
डोडा 208.11 किलो
नशीली गोली 24,527
नशीली कैप्सूल 20,632

2017 में पकड़ी गई नशे की खेत की अनुमानित कीमत 10 करोड़ 44 लाख 73 हजार 523 रुपये आंकी गई.

साल 2018 के आंकड़े

मुकदमे दर्ज 1,066
गिरफ्तार नशा तस्कर 1,127 (1123 भारतीय व 4 विदेशी)
चरस 253.051 किलो
स्मैक 5.317 किलो
डोडा 488.945 किलो
अफीम 7.073 किलो
कोकीन 0.500 किलो
हेरोइन 0.783 किलो
गांजा/भांग 888.957 किलो
गोलियां 1,04,768
इंजेक्शन 27,896
कैप्सूल 1,386

साल 2019 के आंकड़े (अप्रैल माह तक)

चरस 44.05 किलो
स्मैक 3.3504 किलो
गांजा 4,964 किलो
गोलियां 3,660
कैप्सूल 4,964
इंजेक्शन 190

4 माह में पकड़ी गई नशे की अनुमानित कीमत 3 करोड़ 79 लाख 27 हजार 470 आंकी गई है.

देहरादून: पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड भी नशे के जाल में फंसता जा रहा है. साल-दर-साल चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि नशे के सौदागर देहरादून स्थित शिक्षण संस्थानों, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे अन्य शहरों में लगातार अपनी जड़े मजबूत करते जा रहे हैं. इनके निशाने पर सबसे सॉफ्ट टारगेट के रूप में स्टूडेंट हैं. हालांकि, नारकोटिक्स विभाग द्वारा समय-समय पर देहरादून के शिक्षण संस्थानों में नशे के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है.

एजुकेशन हब होने के कारण देहरादून में देश के अलग-अलग राज्यों से स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश के नशा तस्करों की जड़ें देहरादून में फैली हैं. नशे के गिरफ्त में न सिर्फ छात्र ही शामिल है, बल्कि कॉलेज, इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राएं भी ड्रग्स के शिकंजे में आ चुकी है. इसके अलावा होटल, रेस्टोरेंट और हुक्काबार में भी धड़ल्ले से नशा परोसने का काम किया जा रहा है. हालांकि, लगातार बढ़ते नशे के कारोबार में अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के अधीन आने वाली एंटी ड्रग्स पुलिस लगातार कार्रवाई और तस्करों की धरपकड़ कर रही है.

नशे पर अंकुल लग रहा है- डीजी
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि बीते सालों की तुलना में साल 2018 में STF के अधीन ADTF का गठन होने के बाद नशे के कारोबार पर अंकुश लगा है. हालांकि, नशे के बड़े सौदागरों की धरपकड़ पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, लेकिन STF नशा माफिया के किले को ध्वस्त करने में जुटी है.

अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड

पढ़ें- बजट 2019: भारत की आज़ादी से लेकर अब तक के बजट की पूरी कहानी

पुलिस की पकड़ से बड़ी मछलियां कोसों दूर
देहरादून में लगातार नशे के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए एंटी ड्रक्स टॉस्क फोर्स भले ही कार्रवाई कर रही हो, लेकिन सवा दो सालों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बड़ी मछलियों की धर पकड़ न होने से नशे का मकड़जाल लगातार उत्तराखंड में अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है. जानकारों के मुताबिक पुलिस हमेशा छोटे तस्करों पर कार्रवाई करती है लेकिन इस कारोबार की बड़ी मछली पुलिस के शिकंजे से कोसों दूर हैं.

प्रदेशभर में दर्ज मुकदमे, धरपकड़ व बरामद की गई नशे की खेप के आंकड़े

साल 2017 के आंकड़े

चरस 276.07 किलो
स्मैक 18.456 किलो
डोडा 208.11 किलो
नशीली गोली 24,527
नशीली कैप्सूल 20,632

2017 में पकड़ी गई नशे की खेत की अनुमानित कीमत 10 करोड़ 44 लाख 73 हजार 523 रुपये आंकी गई.

साल 2018 के आंकड़े

मुकदमे दर्ज 1,066
गिरफ्तार नशा तस्कर 1,127 (1123 भारतीय व 4 विदेशी)
चरस 253.051 किलो
स्मैक 5.317 किलो
डोडा 488.945 किलो
अफीम 7.073 किलो
कोकीन 0.500 किलो
हेरोइन 0.783 किलो
गांजा/भांग 888.957 किलो
गोलियां 1,04,768
इंजेक्शन 27,896
कैप्सूल 1,386

साल 2019 के आंकड़े (अप्रैल माह तक)

चरस 44.05 किलो
स्मैक 3.3504 किलो
गांजा 4,964 किलो
गोलियां 3,660
कैप्सूल 4,964
इंजेक्शन 190

4 माह में पकड़ी गई नशे की अनुमानित कीमत 3 करोड़ 79 लाख 27 हजार 470 आंकी गई है.

Intro:summary- पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड में फैलता नशे का जाल, शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं तस्करों के सॉफ्ट टारगेट, वर्ष दर वर्ष नशे के आंकड़े चौकानेवाले, पुलिस के शिकंजे से बड़ी मछलियां बाहर...


पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड भी नशे के जाल में लगातार फंसता जा रहा है, साल दर साल चौकानेवाले नशे के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से नशे के सौदागर राज्य की राजधानी देहरादून स्थित शिक्षण संस्थानों सहित धर्मनगरी हरिद्वार ऋषिकेश जैसे अन्य पर्यटन शहरों में लगातार अपनी जड़े मजबूत करते जा रहे हैं। नशे के तस्करों के निशाने पर सबसे सॉफ्ट टारगेट के रूप में देहरादून के शिक्षण संस्थानों के स्टूडेंट सबसे ऊपर आते हैं। हालांकि पुलिस नारकोटिक्स इकाई द्वारा समय दर समय देहरादून के तमाम शिक्षण संस्थानों में अभियान के तहत नशे के प्रति जागरूकता को लेकर वर्कशॉप जैसी कार्यक्रम किये जाते रहते हैं।

देहरादून एजुकेशन अब होने के कारण देश के अलग-अलग राज्यों से स्टूडेंट यहां पढ़ने के लिए आते हैं, ऐसे में हिमाचल हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश के सक्रिय नशा तस्कर माफियाओं के लिए यहाँ पढ़ने वाले युवा छात्र- छात्राओं को चरस, स्मैक, हैरोइन व नशीले इंजेक्शन ड्रग्स धड़ल्ले से परोसे जाते हैं। नशे के गिरफ्त में ना सिर्फ युवा छात्र शामिल है बल्कि विभिन्न कॉलेज इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राएं भी जहरीली ड्रग्स के शिकंजे में आ चुकी है।
इसके अलावा जगह-जगह होटल रेस्टोरेंट हुक्काबार जैसे कई स्थानों में धड़ल्ले से नशा परोसने का कार्य भी अपने चरम पर है। हालांकि लगातार बढ़ते नशे के कारोबार में अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अधीन आने वाली एंटी ड्रग्स पुलिस तंत्र द्वारा कार्रवाई भी लगातार कार्रवाई कर धरपकड़ जारी है।


Body:नशे के कारोबार में बड़ी मछलियां पुलिस की पकड़ से कोसों दूर

देहरादून में लगातार नशे के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए पुलिस विभाग द्वारा अभियान के तहत भले ही शिकंजा कसने के लिए एंटी ड्रक्स टास्क फोर्स की लगातार कार्रवाई प्रचलित हो लेकिन पिछले सवा दो सालों के धर पकड़ के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ऐसे में इन कार्रवाई में सबसे बड़ा गंभीर सवाल नशा माफियाओं की बड़ी मछलियों के धर पकड़ ना होने से नशे का मकड़जाल लगातार उत्तराखंड में अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है। जानकारों के मुताबिक पुलिस द्वारा कार्रवाई में गिरफ्तार होने वाले तस्कर इस काले कारोबार की सबसे छोटी मछ्ली होती हैं जबकि इस धंधे बड़ी मछली हमेशा की तरह पुलिस के शिकंजे से कोसों दूर हैं। इतना ही नहीं विशेषज्ञों का मानना हैं नशे के धंधे में पुलिस कार्रवाई के दौरान पकड़े जाने वाले तस्कर व नशे की खेप ज़मीनी हकीकत से बहुत कम हैं।

वर्ष 2017 में प्रदेशभर में पकड़ी गई नशे की खेप के आधिकारिक आंकड़े

चरस-276.07 किलो
स्मेक-18.456 किलो
डोडा-208.11 किलो
नशीली गोली-24527
नशीली कैप्सूल-20632

2017 में पकड़ी गई नशे की खेत की अनुमानित कीमत 10 करोड़ 44 लाख 73 हजार 523 रुपये आंकी गई

वर्ष 2018 में प्रदेशभर 13 जिलों दर्ज मुकदमें,धरपकड़ संख्या व बरामद की गई नशे की खेप के आंकड़े-

देहरादून में 494 मुकदमे दर्ज हुए जिसमें 502 लोगों की गिरफ्तारी हुई... बरामद नशा की खेप-चरस-79.803 किलो, डोडा-104.77किलो, हैरोईन-0.100 ग्राम, स्मैक/ ब्राउन0 शुगर-2.700 किलो, नशे की गोलियां -424, नशे के कैप्सूल- 888, नशे के इंजेक्शन -730, गांजा-72.308 किलो.


वर्ष 2018 में प्रदेशभर दर्ज मुकदमें,धरपकड़ संख्या व बरामद की गई नशे की खेप में पुलिस मुख्यालय के आंकड़े-

वर्ष 2017 में कुल मुकदमे दर्ज-1066
गिरफ्तार नशा तस्कर-1127 (1123 भारतीय व 4 विदेशी)
चरस-253.051 किलो
स्मैक-5.317 किलो
डोडा-488.945 किलो
अफ़ीम 7.073 किलो
कोकीन-0.500 ग्राम
हैरोइन-0.783 ग्राम
गांजा/भांग-888.957
नशे की गोलियां-104768
नशे के इंजेक्शन-27896
नशे के कैप्सूल -1386

वर्ष 2019 अप्रैल माह तक पकड़ी गई नशे की खेप

चरस-44.05 किलो
स्मैक-3.3504 किलो
गांजा-4964
नशीली गोलियां-3660
नशे के कैप्सूल-4964
नशीली इंजेक्शन-190

अप्रैल 2019 के 4 महीनों में पकड़ी गई नशे की खेत की अनुमानित कीमत 3 करोड़ 79 लाख 27 हजार 470 आंकी गई है।





Conclusion:स्पेशल टास्क फोर्स व एंटी ड्रग्स टास्क फोर्स की संयुक्त कार्रवाई से तेज़ी से फैलाते नशे के जाल में अंकुश लग रहा है: डीजी

नशे के काले कारोबार में मुख्यतः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सहित धर्मनगरी हरिद्वार व ऋषिकेश सहित उधमसिंह नगर जैसे जिलों में तेज़ी से पाँव पसार अपने जड़े मजबूत करने वाले ड्रग्स व नशा माफियाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के मामलें में अपराध को कानून-व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि विगत वर्षों की तुलना पिछले वर्ष 2018 में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अधीन एंटी ड्रग टास्क फोर्स (ADTF)के गठित होने के बाद लगातार नशा तस्करों पर होने वाली कार्रवाई के चलते इस अवैध कारोबार में काफी अंकुश लगा है, हालांकि नशे के बड़े सौदागर ओके नेटवर्क को भेजना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है लेकिन लगातार एसटीएफ दृढ़ता के साथ तन मन धन से ट्रक वह नशा माफियाओं किले को ध्वस्त करने के प्रयास में जुटी है.

बाइट -अशोक कुमार ,महानिदेशक,अपराध व कानून व्यवस्था


नशा माफियाओं पर अंकुश पाना बड़ी चुनौती है लेकिन प्रभावी प्रयास लगातार जारी है: डीजी

वही स्कूल कॉलेज व शिक्षण संस्थानों में नशे की गिरफ्त में आए छात्र छात्राओं को इस दलदल से निकालने के लिए लगातार संस्थानों में ड्रग्स कंट्रोल कमेटी बनाकर पुलिस अभियान के तहत काम कर रही है जिसे पुलिस टीमों के सहयोग से प्रभावी बनाने की कोशिश जारी है। डीजी अशोक कुमार का मानना है कि नशे के खिलाफ पुलिस की अलग अलग इकाई काम कर रही है हालाकी स्पेशल टास्क फोर्स व एंटी ड्रग्स टास्क फ़ोर्स संयुक्त प्रभावी कार्रवाई से तेजी से फैलते हुए नशे के कारोबार में काफी हद तक अंकुश लगा है, लेकिन उत्तर भारत के नशा माफियाओं को उत्तराखंड में पूर्ण रूप ध्वस्त करना चुनौती बड़ी है,उसके बावजूद नशे के खिलाफ हर तरह से पुलिस तंत्र के प्रयास जारी हैं।

बाइट -अशोक कुमार ,महानिदेशक,अपराध व कानून व्यवस्था



pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628



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