देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां सालभर पानी की समस्या बनी रहती है. अलबत्ता जहां पेयजल और जल संस्थान की योजनाएं मौजूद है वहां भी दूषित पानी सप्लाई हो रहा है. वहीं, विभाग के उदासीन रवैये से लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है. दूषित पानी पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
ईटीवी भारत संवाददाता ने जब राजधानी देहरादून से मात्र 30 किलोमीटर दूर टिहरी जनपद के कोक्लियाल गांव में जाकर पेयजल की स्थिति को जानने की कोशिश की. तो हालत सरकारी दावों के बिल्कुल उलट मिले. इस गांव में जो पेयजल की स्थिति है वो बेहद चौंकाने वाली है. कुछ हिस्से में पुरानी पेयजल लाइन तो मिली लेकिन उनमें पीने का पानी नहीं है. यहां तक की क्षेत्र में लगे हैंडपंप से मटमैला पानी निकल रहा है. शुद्ध पेयजल की आपूर्ति न होने के चलते लोग हैंडपंप के दूषित पानी को पीने को मजबूर हैं.
जब इस बारे में होटल चलाने वाले स्थानीय दुकानदार से पूछा तो उन्होंने बताया कि वे इसी पानी उपयोग करते हैं और आसपास के लोग इसी हैंडपंप का पानी पीते हैं. ये कोक्लियाल गांव की स्थिति ही नहीं, प्रदेश के कई इलाकों में कमोवेश ऐसी स्थिति देखने को मिलती है.विभाग के उदासीन रवैये के कारण लोगों को साफ पीने का पानी मयस्सर नहीं हो पा रहा है.
यही वजह है कि नीती आयोग ने भी हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में ये चिंता जाहिर की है. नीती आयोग ने साफ कहा है कि 2030 तक जिन राज्यों में पीने लायक पानी नहीं बचेगा. उनमें उत्तराखंड राज्य भी शामिल है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि विभाग कब अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेगा और लोगों को शुद्ध पेय उपलब्ध कराएगा.