देहरादून: पिछले 4 सालों से उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच मेट्रो चलाने की कवायद में जुटा हुआ है. ऐसे में राजधानी देहरादून से पहले हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच 33 किलोमीटर के लाइट मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को चलाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखने के लिए तैयार किया जा चुका है. उम्मीद है कि आगामी 2021 से पहले कैबिनेट से इस मामले को मंजूरी मिल जाएगी. जिसके बाद ऋषिकेश-हरिद्वार के बीच मेट्रो संचालन शुरू हो जाएगा. उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन ने प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार कर संबंधित विभाग को सौंप दी है.
जल्द कैबिनेट से मिल सकती है हरी झंडी
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पिछले 4 सालों से देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश मेट्रो संचालन के लिए प्रयासरत है. मगर देहरादून शहर के बीचों-बीच विकल्प के रूप में रोप-वे का संचालन करने का मामला शासन द्वारा सामने आने के बाद यह प्रोजेक्ट लंबे समय से लंबित चल रहा है. फिलहाल, हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच मेट्रो चलाने की डीपीआर तैयार कर आवास विभाग को सौंप दी गई है. जानकारी के अनुसार आगामी नवंबर और दिसंबर महीने तक कैबिनेट से इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल सकती है.
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प्रोजेक्ट को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य
देहरादून से पहले हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच चलने वाली मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार से भी अनुमति मिलने की उम्मीद है. जानकारी के मुताबिक हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच मेट्रो ट्रैक के लिए लगभग 3800 करोड़ का बजट अनुमानित हो सकता है. हालांकि, इस मेट्रो प्रोजेक्ट की वित्तीय सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों से भी पीपीपी मोड में सहयोग लिया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
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देहरादून के लिए रोप-वे के विकल्प को भी प्रमुखता
वहीं, दूसरी तरफ देहरादून के आईएसबीटी से राजपुर और राजपुर से एफआरआई के बीच भी लाइट ट्रैक बिछाने की डीपीआर तैयार की जा चुकी है. हालांकि, इस योजना में रोप-वे के विकल्प को भी प्रमुखता से देखा जा रहा है. वहीं, मेट्रो प्रोजेक्ट के तीसरे चरण में देहरादून को हरिद्वार जाने वाले नेपाली फार्म के पास हरिद्वार और ऋषिकेश जाने वाली मेट्रो लाइट ट्रेन के साथ जोड़ा जा सकता है. बता दें कि 2019 वर्ष में शासन के आला अधिकारी मंत्री और विधायक विदेश दौरे पर गए थे, जहां पर देहरादून में मेट्रो की जगह विकल्प के तौर पर रोपवे प्रोजेक्ट बनाने की हामी भरी गई थी.