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इस साल के अंत तक उत्तराखंड में लग जाएंगे डॉप्लर रडार, मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी - मौसमी आपदाओं की जानकारी

साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद सबसे ज्यादा डॉप्लर वेदर रडार की मांग उठनी शुरू हुई. अब प्रदेशवासियों को जल्द ही तीन डॉप्लर वेदर रडार मिलने वाले हैं.

डॉप्लर वेदर रडार से मिलेगी मौसम आपदाओं की जानकारी.
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Published : Sep 19, 2019, 3:13 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में डॉप्लर वेदर रडार को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी होने जा रही है. उम्मीद है कि प्रदेश को इस साल के अंत तक 2 डॉप्लर रडार मिल जाएंगे. बता दें कि साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की मांग उठती रही है. लेकिन, लेटलतीफी के चलते अब तक डॉप्लर रडार प्रदेश में नहीं लगाए जा सके हैं.

मौसम विभाग निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, प्रदेश में फिलहाल तीन रडार लगाए जाने हैं. जिसमें पहला रडार मुक्तेश्वर में लगाया जाएगा, दूसरे रडार के लिए सुरकंडा को चिन्हित किया गया है जबकि तीसरा रडार लैंसडाउन में लगाया जाना प्रस्तावित है.

मौसम विभाग निदेशक विक्रम सिंह ने दावा किया कि नवंबर अंत या दिसंबर प्रथम सप्ताह तक प्रदेश को 2 डॉप्लर वेदर रडार मिल जाएंगे. लैंसडाउन में डॉप्लर रडार के लिए जगह चिन्हित करने का भी काम शुरू कर दिया गया है. इस तरह से वेस्टर्न हिमालय रीजन में लगने वाले 10 रडार में से तीन रडार जल्द उत्तराखंड में लगा दिए जाएंगे जबकि बाकी रडार हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में लगाए जाने प्रस्तावित हैं.

डॉप्लर वेदर रडार से मिलेगी मौसम आपदाओं की जानकारी.

क्या है डॉप्लर वेदर रडार?
डॉप्लर वेदर रडार मौसम की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने से जुड़ा है. ये रडार सूक्ष्म तरंगों को भी भापकर मौसमी बदलाव की भविष्यवाणी करता है. इस रडार के जरिए 400 किलोमीटर तक की मौसमी गतिविधियों को जाना जा सकता है जबकि ये रडार करीब 4 घंटे पहले ही मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम है. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज लंबे समय से डॉप्लर वेदर रडार लगाने को लेकर प्रयासरत है. खास बात ये है कि उत्तराखंड को अब तक दिल्ली या पटियाला पर मौसम की जानकारी को लेकर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन अब डॉप्लर वेदर रडार लगने के बाद सीधे उत्तराखंड मौसम विभाग मौसम की सटीक जानकारी कई घंटे पहले लोगों को दे सकेगा.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में महंगा हुआ सरकारी इलाज, जानिए अब कितना देना होगा शुल्क

आखिर क्यों है उत्तराखंड में डॉप्लर रडार की जरूरत?
साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद सबसे ज्यादा डॉप्लर वेदर रडार की मांग उठनी शुरू हुई. उत्तराखंड में लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसमी बदलाव को देखते हुए डॉप्लर रडार बेहद महत्वपूर्ण है. इसके जरिए बादल फटने और तेज बारिश जैसी घटनाओं से पहले ही सटीक जानकारी प्रदेश को मिलने लगेगी.

देहरादून: उत्तराखंड में डॉप्लर वेदर रडार को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी होने जा रही है. उम्मीद है कि प्रदेश को इस साल के अंत तक 2 डॉप्लर रडार मिल जाएंगे. बता दें कि साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की मांग उठती रही है. लेकिन, लेटलतीफी के चलते अब तक डॉप्लर रडार प्रदेश में नहीं लगाए जा सके हैं.

मौसम विभाग निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, प्रदेश में फिलहाल तीन रडार लगाए जाने हैं. जिसमें पहला रडार मुक्तेश्वर में लगाया जाएगा, दूसरे रडार के लिए सुरकंडा को चिन्हित किया गया है जबकि तीसरा रडार लैंसडाउन में लगाया जाना प्रस्तावित है.

मौसम विभाग निदेशक विक्रम सिंह ने दावा किया कि नवंबर अंत या दिसंबर प्रथम सप्ताह तक प्रदेश को 2 डॉप्लर वेदर रडार मिल जाएंगे. लैंसडाउन में डॉप्लर रडार के लिए जगह चिन्हित करने का भी काम शुरू कर दिया गया है. इस तरह से वेस्टर्न हिमालय रीजन में लगने वाले 10 रडार में से तीन रडार जल्द उत्तराखंड में लगा दिए जाएंगे जबकि बाकी रडार हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में लगाए जाने प्रस्तावित हैं.

डॉप्लर वेदर रडार से मिलेगी मौसम आपदाओं की जानकारी.

क्या है डॉप्लर वेदर रडार?
डॉप्लर वेदर रडार मौसम की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने से जुड़ा है. ये रडार सूक्ष्म तरंगों को भी भापकर मौसमी बदलाव की भविष्यवाणी करता है. इस रडार के जरिए 400 किलोमीटर तक की मौसमी गतिविधियों को जाना जा सकता है जबकि ये रडार करीब 4 घंटे पहले ही मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम है. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज लंबे समय से डॉप्लर वेदर रडार लगाने को लेकर प्रयासरत है. खास बात ये है कि उत्तराखंड को अब तक दिल्ली या पटियाला पर मौसम की जानकारी को लेकर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन अब डॉप्लर वेदर रडार लगने के बाद सीधे उत्तराखंड मौसम विभाग मौसम की सटीक जानकारी कई घंटे पहले लोगों को दे सकेगा.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में महंगा हुआ सरकारी इलाज, जानिए अब कितना देना होगा शुल्क

आखिर क्यों है उत्तराखंड में डॉप्लर रडार की जरूरत?
साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद सबसे ज्यादा डॉप्लर वेदर रडार की मांग उठनी शुरू हुई. उत्तराखंड में लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसमी बदलाव को देखते हुए डॉप्लर रडार बेहद महत्वपूर्ण है. इसके जरिए बादल फटने और तेज बारिश जैसी घटनाओं से पहले ही सटीक जानकारी प्रदेश को मिलने लगेगी.

Intro:Summary- उत्तराखंड में मौसम की हर एक अपडेट अब घंटो पहले आपके सामने होगी... तेज बारिश हो या तूफानी जलजला...प्रदेश को घंटों पहले इन प्राकृतिक आफतों का बोध हो जाएगा...दरअसल इस साल के अंत तक उत्तराखंड को दो डॉप्लर वेदर रडार मिल जाएंगे... जिसके बाद मौसमी बदलाव का हर क्षण रेकॉर्ड हो सकेगा।।





Body:उत्तराखंड में डॉप्लर वेदर रडार को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी होने जा रही है... उम्मीद है कि प्रदेश को इस साल के अंत तक 2 डॉप्लर रडार मिल जाएंगे... आपको बता दें कि साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की मांग उठती रही है... लेकिन लेटलतीफी के चलते अब तक डॉप्लर रडार उत्तराखंड में नहीं लगाए जा सके थे.. मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह की माने तो प्रदेश में फिलहाल तीन रडार लगाए जाने हैं... जिसमें पहला रडार मुक्तेश्वर में लगाया जाएगा... दूसरे रडार के लिए सुरकंडा को चिन्हित किया गया है... जबकि तीसरा रडार लैंसडौन में लगाया जाना प्रस्तावित है.... विक्रम सिंह की मानें तो अक्टूबर अंत तक मुक्तेश्वर में लगने वाला डॉप्लर वेदर रडार यहां लगा दिया जाएगा जबकि अगले 2 महीनों में सुरकंडा में भी डॉप्लर वेदर रडार को लगा दिया जाएगा... विक्रम सिंह ने दावा किया कि नवंबर अंत या दिसंबर प्रथम सप्ताह तक प्रदेश को 2 डॉप्लर वेदर रडार मिल जाएंगे.... उधर लैंसडाउन में डॉप्लर रडार के लिए जगह चिन्हित करने का भी काम शुरू कर दिया गया है.... इस तरह देखा जाए तो वेस्टर्न हिमालय रीजन में लगने वाले 10 रडार में से तीन रडार जल्द उत्तराखंड में लगा दिए जाएंगे.... जबकि बाकी रडार हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में लगाए जाना प्रस्तावित है...


बाइट विक्रम सिंह निदेशक मौसम विभाग


क्या है डॉप्लर वेदर रडार


डॉपलर वेदर रडर मौसम की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने से जुड़ा है... यह रडार सूक्ष्म तरंगों को भी भापकर मौसमी बदलाव की भविष्यवाणी बताता है... इस रडार के जरिए 400 किलोमीटर तक की मौसमी गतिविधियों को जाना जा सकता है...जबकि यह रडार करीब 4 घंटे पहले ही मौसम की सटीक जानकारी देने में सक्षम है... मिनिस्ट्री आफ अर्थ साइंसेज लंबे समय से डॉप्लर वेदर रडार लगाने को लेकर प्रयासरत है... खास बात यह है कि उत्तराखंड को अब तक दिल्ली या पटियाला पर मौसम की जानकारी को लेकर निर्भर रहना पड़ता है... लेकिन अब डॉक्टर आरके उत्तराखंड में ही लगने के बाद सीधे उत्तराखंड मौसम विभाग मौसम की सटीक जानकारी कई घंटे पहले लोगों को दे सकेगा....


उत्तराखंड में डॉप्लर रडार की जरूरत


साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद सबसे ज्यादा डॉप्लर वेदर रडार की मांग उठनी शुरू हुई... उत्तराखंड में लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसमी बदलाव को देखते हुए, यहां होने वाले नुकसान से निजात पाने के लिए डॉप्लर रडार बेहद महत्वपूर्ण है... इसके जरिए न केवल बादल फटने और तेज बारिश जैसी घटनाओं में पहले ही सटीक जानकारी प्रदेश को मिलने लगेगी बल्कि 23 तूफान की स्थिति में भी उत्तराखंड पहले ही सर्जक हो सकेगा.....





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