देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा करने वाले यात्रियों को अब मौसम की और भी सटीक जानकारी मिल सकेगी. दरअसल, टिहरी जिले के सुरकंडा में लगे नए डॉप्लर रडार ने काम करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद उत्तराखंड मौसम विभाग को इस रडार की बदौलत मौसम की सटीक जानकारियां मिल पाएंगी. इससे न केवल चारधाम बल्कि गढ़वाल मंडल के कई क्षेत्रों में भारी बारिश, ओलावृष्टि या बर्फबारी के साथ ही अतिवृष्टि से संबंधित भविष्यवाणी को करने में मौसम विभाग को आसानी होगी.
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह की मानें तो उत्तराखंड में तीन डॉप्लर रडार लगाने की केंद्र से परमिशन मिल चुकी है. इनमें से दो स्थापित हो चुके हैं और उन्होंने काम करना भी शुरू कर दिया है. अब तीसरा डॉप्लर रडार पौड़ी जिले के लैंसडाउन में लगना है. इन डॉप्लर रडार से लगातार मौसम संबंधित डाटा मिलेगा, जिससे प्राकृतिक आपदाओं से जान माल की हानि का बचाव हो सकेगा.
साल 2013 की आपदा ने झकझोरा: केदारनाथ धाम में साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा ने देश दुनिया को हिला कर रख दिया था. ऐसे में गढ़वाल क्षेत्र में भी डॉप्लर रडार की जरूरत महसूस की जा रही थी. नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर में लगा डॉप्लर रडार कुमाऊं क्षेत्र की सटीक जानकारी दे रहा था. लिहाजा गढ़वाल क्षेत्र में डॉप्लर रडार के जरिए चारधाम समेत विभिन्न जिलों में मौसम की जानकारी लेने की जरूरत थी, जिसे पूरा कर लिया गया है. इससे अब गढ़वाल क्षेत्र के लिए खासकर चारों धाम केदारनाथ बदरीनाथ गंगोत्री यमुनोत्री समेत उत्तरकाशी के भारत-चीन बॉर्डर पर होने वाली प्राकृतिक आपदाएं जिसमें भारी बारिश, बर्फबारी और बादल फटने की घटनाओं की सटीक जानकारी मिलेगी.
टिहरी जिले में मौजूद डॉप्लर रडार की रेंज एयर डिस्टेंस 100 किलोमीटर है. इसके माध्यम से ना सिर्फ उत्तराखंड के चारों धाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) की यात्रा के दौरान मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी, बल्कि उत्तरकाशी के भारत-चीन बॉर्डर पर मौजूद भारतीय सेना, आईटीबीपी के सैनिकों को भी मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी. उत्तराखंड के डॉप्लर रडार कई मायनों में बेहद उपयोगी साबित हो सकेंगे और वहीं लगातार मौसम की सटीक जानकारी और डाटा उपलब्ध करवा सकेंगे.
पढ़ें- महाभारत के परीक्षित को डसने वाले तक्षक नाग का हरिद्वार में है मंदिर, ये है महिमा
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण: उत्तराखंड में तीर्थाटन के तौर पर चारधाम यात्रा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. यात्रा में लाखों श्रद्धालु चारों धामों में पहुंचकर न केवल दर्शन करते हैं, बल्कि धार्मिक रूप से चारधाम के महत्व का भी संदेश देते हैं. इस दौरान राज्य सरकार से लेकर श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय मौसम होता है. चारधाम यात्रा अप्रैल-मई से शुरू होकर अक्टूबर तक चलती है. करीब 6 महीने धामों के कपाट खुलते हैं और सर्दियां आने पर भारी बर्फबारी के चलते इन्हें बंद कर दिया जाता है.
गर्मियों और मानसून सीजन के दौरान यात्रा में भारी बारिश से परेशानी बनी रहती है. अब तूफान या फिर बारिश होने का सटीक पूर्वानुमान देने में उत्तराखंड का मौसम विभाग और भी सक्षम हो गया है. इसकी वजह टिहरी जिले के सुरकंडा में लगा वह डॉप्लर रडार है, जिसने अब काम करना शुरू कर दिया है. आपको बता दें कि प्रदेश का पहला डॉप्लर रडार नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में काम कर रहा है.