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देहरादून बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप मामले में दून पुलिस की क्यों हो रही तारीफ, जानिए

देहरादून बोर्डिंग स्कूल प्रकरण में आठ दोषियों को कड़ी सजा मिली. इन दोषियों को सजा दिलवाने में दून पुलिस की भूमिका पर एक नजर डालते हैं.

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Published : Feb 3, 2020, 11:31 PM IST

गैंगरेप
गैंगरेप

देहरादूनः कहते हैं कि पुलिस अगर अपने आप पर आ जाए तो अपराधी लाख कोशिश कर ले बच नहीं सकता. जी हां, ऐसा ही कारनामा दून पुलिस ने कर दिखाया है. हम यहां बात कर रहे हैं देहरादून बोर्डिंग स्कूल प्रकरण की. सोमवार को हुए ऐतिहासिक फैसले में पॉक्सो कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा सुनाई है. ऐसे में हर तरफ दून पुलिस की वाहवाही हो रही है. इस बहुचर्चित प्रकरण में दून पुलिस को इतनी वाहवाही क्यों मिल रही है? आइए इस पर एक नजर डालते हैं.


पुलिस को मिला था प्रलोभन
ईटीवी भारत के हाथ ऐसी जानकारी लगी है, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे. 17 अगस्त 2018 को ये मामला हुआ था. इसके बाद जब से दून पुलिस टीम ने इस हाई प्रोफाइल प्रकरण पर जांच के दौरान कई प्रकार के प्रलोभन दिए गए. लेकिन इन सबको दरकिनार पुलिस टीम ने नाबालिक बच्ची के साथ हुए इस अपराध के खिलाफ अपनी जांच प्रभावित नहीं होने दी.

गैंगरेप मामले में दून पुलिस के काम की तारीफ.

पढ़ेंः दून बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप मामला: दोषी छात्र को 20 साल की कैद, डिप्टी डायरेक्टर समेत तीन को 9-9 साल की सजा

अनजान शख्स की शिकायत सबसे बड़ी चुनौती
जांच अधिकारी एसओ नरेश राठौर के मुताबिक, केस में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी कि इस प्रकरण में कोई भी लिखित शिकायत न होना. ये जानकारी तत्कालीन एसएसपी निवेदिता कुकरेती को एक अनजान शख्स ने फोन के जरिए दी थी. ऐसे में बड़ी दुविधा ये थी कि सिर्फ एक फोन से किसी नामचीन स्कूल के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जाए?

पढ़ेंः छात्रवृत्ति घोटाला: रुड़की के तीन कॉलेजों पर FIR, 5 करोड़ से ज्यादा का किया है गबन

डर से पीड़िता का कुछ न बताना
जांच अधिकारी नरेश राठौर के अनुसार, पीड़िता का डर से कुछ न बताना भी काफी दिक्कतों भरा रहा. हालांकि बाल आयोग की मदद से बच्ची को भरोसा दिलाया गया. जिसके बाद बच्ची ने ऐसे राज खोले कि पुलिस टीम के भी होश उड़ गए. बच्ची के बयान ही पुलिस को कार्रवाई करने में मददगार साबित हुए.

स्कूल टीचर व आया बनी सरकारी गवाह
जांच अधिकारी नरेश राठौर के मुताबिक, स्कूल की आया मंजू और एक टीचर ने पुलिस टीम का सहयोग किया और सरकारी गवाह बने. बता दें कि इस पूरे प्रकरण में डॉक्टर समेत 25 से 30 लोगों की गवाही कोर्ट में पेश हुई थी.

देहरादूनः कहते हैं कि पुलिस अगर अपने आप पर आ जाए तो अपराधी लाख कोशिश कर ले बच नहीं सकता. जी हां, ऐसा ही कारनामा दून पुलिस ने कर दिखाया है. हम यहां बात कर रहे हैं देहरादून बोर्डिंग स्कूल प्रकरण की. सोमवार को हुए ऐतिहासिक फैसले में पॉक्सो कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा सुनाई है. ऐसे में हर तरफ दून पुलिस की वाहवाही हो रही है. इस बहुचर्चित प्रकरण में दून पुलिस को इतनी वाहवाही क्यों मिल रही है? आइए इस पर एक नजर डालते हैं.


पुलिस को मिला था प्रलोभन
ईटीवी भारत के हाथ ऐसी जानकारी लगी है, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे. 17 अगस्त 2018 को ये मामला हुआ था. इसके बाद जब से दून पुलिस टीम ने इस हाई प्रोफाइल प्रकरण पर जांच के दौरान कई प्रकार के प्रलोभन दिए गए. लेकिन इन सबको दरकिनार पुलिस टीम ने नाबालिक बच्ची के साथ हुए इस अपराध के खिलाफ अपनी जांच प्रभावित नहीं होने दी.

गैंगरेप मामले में दून पुलिस के काम की तारीफ.

पढ़ेंः दून बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप मामला: दोषी छात्र को 20 साल की कैद, डिप्टी डायरेक्टर समेत तीन को 9-9 साल की सजा

अनजान शख्स की शिकायत सबसे बड़ी चुनौती
जांच अधिकारी एसओ नरेश राठौर के मुताबिक, केस में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी कि इस प्रकरण में कोई भी लिखित शिकायत न होना. ये जानकारी तत्कालीन एसएसपी निवेदिता कुकरेती को एक अनजान शख्स ने फोन के जरिए दी थी. ऐसे में बड़ी दुविधा ये थी कि सिर्फ एक फोन से किसी नामचीन स्कूल के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जाए?

पढ़ेंः छात्रवृत्ति घोटाला: रुड़की के तीन कॉलेजों पर FIR, 5 करोड़ से ज्यादा का किया है गबन

डर से पीड़िता का कुछ न बताना
जांच अधिकारी नरेश राठौर के अनुसार, पीड़िता का डर से कुछ न बताना भी काफी दिक्कतों भरा रहा. हालांकि बाल आयोग की मदद से बच्ची को भरोसा दिलाया गया. जिसके बाद बच्ची ने ऐसे राज खोले कि पुलिस टीम के भी होश उड़ गए. बच्ची के बयान ही पुलिस को कार्रवाई करने में मददगार साबित हुए.

स्कूल टीचर व आया बनी सरकारी गवाह
जांच अधिकारी नरेश राठौर के मुताबिक, स्कूल की आया मंजू और एक टीचर ने पुलिस टीम का सहयोग किया और सरकारी गवाह बने. बता दें कि इस पूरे प्रकरण में डॉक्टर समेत 25 से 30 लोगों की गवाही कोर्ट में पेश हुई थी.

Intro:pls नोट- इस खबर में महानिदेशक अशोक कुमार की वन टू वन और विजुअल एफटीपी से भेजे गए हैं- फोल्डर- uk_deh_03_wellden_doon_police_vis_7200628


summary-दून पुलिस ने कर दिया कमाल, गैंग रेप मामलें ऐसे दिलाई 8 दोषियों को सज़ा.. पोक्सो अपराध में अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस कटिबद्ध: डीजी


पुलिस अपनी पर आ जाए तो अपराधी लाख चाहने के बाद भी बच नहीं सकता..जीहाँ ऐसा ही कारनामा देहरादून पुलिस ने बहुचर्चित जीआरडी स्कूल गैंगरेप मामलें में सर्वोच्च पुलिसिंग कार्यशैली का परिचय देते हुए सोमवार 8 दोषियों को पॉक्सो कोर्ट से सजा दिलाकर देशभर में नजीर पेश किया है। 17 अगस्त 2018 इस चर्चित गैंगरेप मामले में आरोपियों के खिलाफ पहले दिन से पर्याप्त साक्ष्य व सबूतों को एकत्र कर दून पुलिस ने इतनी तत्परता से जांच विवेचना व चार्जशीट को मजबूत बनाकर कानूनी प्रक्रिया लाया की, उसी का परिणाम रहा जिसके चलते इस सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दोषियों के साथ-साथ इस घटना को छुपाने व दबाने का प्रयास करने वाले स्कूल डायरेक्टर सहित चार लोगों को कोर्ट में सजा हुई।

जांच को प्रभावित करने के लिए पुलिस को प्रलोभन भी मिले

जानकारी के मुताबिक जीआरडी बोर्डिंग स्कूल के अंदर हुए गैंगरेप मामले में घटना के बाद पुलिस को सभी साक्ष्य व सबूत एकत्र करने के साथ ही आरोपियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने के दौरान कई तरह के प्रलोभन भी दिए गए, लेकिन उन सबको दरकिनार नाबालिक बच्ची के साथ हुए इस गंभीर क़िस्म अपराध को न्याय की चौखट में अंजाम तक पहुंचाने के लिए दून पुलिस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को सफल तरीके से पूरा किया।


Body:केस में सबसे बड़ी चुनौती घटना की शिकायत अनजान व्यक्ति द्वारा फोन से आई: जांच अधिकारी नरेश राठौर

वही इस गैंगरेप में दोषियों को सजा के मुकाम तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका जांच अधिकारी एसओ नरेश राठौर की रही, जो उस वक्त सहसपुर थाना प्रभारी थे। एसओ नरेश राठौर के मुताबिक इस केस में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इस सामूहिक दुष्कर्म घटना को लेकर पहले किसी भी रूप में लिखित शिकायत थाने पर नहीं आई। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा टेलीफोन के जरिए घटना की शिकायत तत्कालीन देहरादून एसएसपी निवेदिता कुकरेती को दी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए नामचिह्न स्कूल के अंदर इस तरह की घटना को लेकर पुलिस असमंजस की किस शिकायत के आधार पर स्कूल में प्रवेश किया जाए... हालांकि उसके बावजूद भी जांच अधिकारी नरेश राठौर किसी तरह 17 अगस्त 2018 रात 12:00 बजे जीआरडी बोर्डिंग स्कूल पहुंचे, जहां उन्होंने 4:00 बजे तक पीड़ित छात्रा से पूछताछ करने के प्रयास किया लेकिन अपने स्कूल प्रबंधन के रवैए से डरी हुई छात्रा ने कुछ भी बताने से मना कर दिया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने फिर बाल आयोग की मदद लेकर छात्रा को विश्वास में लेते हुए भरोसा दिलाया कि उसके साथ न्याय होगा। छात्रा के कुछ हद तक विश्वास में आते ही उसने पूरी आपबीती बताई और लिखित रूप में अपने बयान भी पुलिस को दिए। दूसरे दिन पुलिस ने इस घटना की सूचना सबसे पहले पीड़ित छात्रा के पिता को दिल्ली में फोन के जरिये दी.. दुखी मन से पिता ने उसी स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों को पुलिस हिफाजत में रखने की अपील की। जिसके बाद पुलिस ने दोनों बच्चों को स्कूल से बाहर कर अपने हिरासत में रखा।

दुष्कर्म आरोपी छात्रों को छुपाकर स्कूल प्रबंधन ने बदनामी के डर से पीड़िता का कराया गर्भपात: जांच अधिकारी

जांच अधिकारी नरेश राठौर के मुताबिक स्कूल प्रबंधन ने मामले को दबाने का प्रयास करते हुए चारों गैंगरेप के आरोपी छात्रों को स्कूल बोर्डिंग से बाहर निकाल कर देहरादून के राजपुर रोड एक होटल में छुपाकर रखने का काम किया। इतना ही नहीं जांच पड़ताल में यह जानकारी सामने आई कि स्कूल की डायरेक्टर लता गुप्ता व प्रबंधक दीपक ने पीड़ित छात्रा के माता-पिता बनकर देहरादून के एक डॉक्टर को गुमराह कर दवाइयों के जरिए गर्भपात कराने का अपराध किया... इस अपराधिक कार्य में प्रबंधक की पत्नी तनु ने भी अपनी भूमिका निभाई।

स्कूल टीचर व आया को विश्वास में लेकर पुलिस बनाया सरकारी गवाह

पुलिस ने सभी साक्ष्य को सबूतों को एकत्र करने के साथ ही एक-एक कर चार आरोपी छात्रों के साथी स्कूल डायरेक्टर सहित 9 नामजद लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि इस दौरान स्कूल की आया मंजू सरकारी गवाह बन गई साथी स्कूल की एक टीचर ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी छात्रों और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी। जांच अधिकारी के मुताबिक इस पूरे मामले में डॉक्टर सहित 25 से 30 लोगों की गवाही कोर्ट में पेश की गई। मेडिकल डीएनए एफएसएल रिपोर्ट दुष्कर्म और गर्भपात की पुष्टि सबूतों का आधार बनी।






Conclusion:उत्तराखंड में पुलिस पोक्सो एक्ट के मामले को लेकर बेहद गंभीर: डीजी

उधर इस सामूहिक गैंगरेप मामले में दोषी 8 लोगों को पोक्सो कोर्ट से सजा मिलने के बाद ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए उत्तराखंड में अपराध व कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे महानिदेशक अशोक कुमार ने भी माना कि यह मामला पोक्सो धाराओं के तहत काफी पेचीदा और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उसके बावजूद दून पुलिस ने पहले दिन से किसी भी तरह की कोताही ना बरतते हुए सभी साक्ष्य व सबूतों को तत्परता से एकत्र कर सभी आरोपियों के खिलाफ सटीक जांच विवेचना मुकम्मल कर ...कोर्ट में ऐसी प्रभावी चार्जशीट दाखिल की जो सजा का सबसे बड़ा आधार बन कर सामने आयी।

पोक्सो के मामले न्याय प्रक्रिया में निस्तारण तक पहुंचे इसके लिए पुलिस कटिबद्ध है: डीजी

डीजी अशोक कुमार के मुताबिक उत्तराखंड में महिला और नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में अंकुश लगाने को लेकर राज्य की पुलिस बेहद गंभीर है, इसी का सबसे बड़ा उदाहरण पॉक्सो कोर्ट से पुलिस की सफ़ल विवेचना और चार्जशीट आधार पर आया यह सजा का फैसला है। भविष्य में भी उत्तराखंड में पोक्सो एक्ट मामलें न्याय प्रक्रिया के तहत निस्तारण तक पहुंचे इसके लिए राज्य के पुलिस कटिबद्ध है।

one to one
अशोक कुमार,महानिदेशक ,अपराध व कानून व्यवस्था उत्तराखंड
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