देहरादून: उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं है. इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 6 महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन एंटी रेबीज वैक्सीन की खरीद प्रक्रिया में कोई भी कंपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. जिसके परिणाम स्वरूप दून अस्पताल में कुत्ते काटने का इलाज कराने आ रहे मरीजों को मायूस होकर बाजार से वैक्सीन खरीदकर लगवाना पड़ रहा है.
दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुप्रिडेन्डेन्ट डॉ. केके टम्टा के अनुसार एंटी रेबीज वैक्सीन शार्ट हुए 6 महीने से अधिक का समय हो गया है. इस दौरान 9 टेंडर डाले गए, लेकिन किसी भी कंपनी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है. यह प्रक्रिया टेंडर प्रोसेस के माध्यम से ही पूरी की जा सकती है. जब तक कोई कंपनी टेंडर प्रक्रिया में प्रतिभाग नहीं करेगी, एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं खरीदे जा सकते हैं. यही वजह है कि इसकी कमी हो रही है. इससे पहले तीन कंपनियां एंटी रेबीज वैक्सीन का निर्माण करती थीं, आज मात्र एक कंपनी ही इसकी मैन्युफैक्चरिंग करती है.
दरअसल एंटी रेबीज वैक्सीन 1960 में ईजाद हुई थी. उस समय यह सिस्टम था कि 70% वैक्सीन भारत से बाहर भेजी जाएगी जबकि 30% वैक्सीन भारत में मिलेगी, लेकिन 1986 में एक नियम के तहत 30% वैक्सीन भारत से बाहर एक्सपोर्ट की जाएगी जबकि 70% वैक्सीन भारत को मिलेगी.
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फिलहाल पूरे भारतवर्ष में मात्र एक कंपनी ही इस वैक्सीन का निर्माण कर रही है और इसकी पूर्ति कर रही है. उस कंपनी के पास इतना रॉ मैटेरियल उपलब्ध नहीं है कि वैक्सीन की सप्लाई प्रॉपर तरीके से कर सके. इसका असर बाजार में भी देखने को मिल रहा है.