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ऋषिकेश AIIMS में हुई 9 महीने के बच्चे की कार्डियो थोरेसिक सर्जरी, मिला नया जीवन - एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों की उपलब्धि

बच्चे की पीडीए नामक की धमनी जिसे जन्म के बाद बंद होना चाहिए, लेकिन वह नहीं हुआ है. इसीलिए बच्चे के सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिसका इलाज कार्डियो थोरेसिक सर्जरी से हुआ.

AIIMS Rishikesh
एम्स ऋषिकेश
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Published : Dec 10, 2020, 8:10 PM IST

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कार्डियो थोरेसिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उधम सिंह नगर निवासी एक 9 महीने के शिशु के सिकुड़े हुए हार्ट की सफलतापूर्वक सर्जरी की है. एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने इस उपलब्धि के लिए चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की.

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के अनुसार उधम सिंह नगर निवासी 9 महीने के शिशु को शुरु से ही दूध पीने में कठिनाई होती थी. जांच के बाद पता चला कि उसके हार्ट की वाल्ब में जन्म से सिकुड़न है. यानी पीडीए नामक की धमनी जिसे जन्म के बाद बंद होना चाहिए मगर वह नहीं हुई थी. इससे बच्चे के दिल पर अधिक दबाव बन रहा था और बच्चे का वजन नहीं बढ़ पा रहा था. इस बच्चे का वजन मात्र 5 किलोग्राम था, उसे दूध पीते वक्त माथे पर पसीना आता था और दूध भी रूक-रूक पीता था,जो कि बच्चों में हार्ट फेलियर के लक्षण है. बच्चे की पहली जांच हल्द्वानी में हुई थी जहां से उसे एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया था.

पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोनाः गुरुवार को मिले 830 नए केस, 12 लोगों की मौत

आवश्यक परीक्षण के बाद बच्चे की धमनी का संस्थान के पीडियाट्रिक सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों की टीम ने डॉ. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में सफलतापूर्व ऑपरेशन किया. चिकित्सक के अनुसार सर्जरी के बाद उसके वाल्ब की दिक्कत काफी हद तक कम हो गई है. शिशु की हालत में लगातार सुधार हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया ​कि भविष्य में बच्चे के वाल्ब का आपरेशन किए जाने की संभावना है. ऑपरेशन के बाद शिशु को आईसीयू में डॉ. अजय मिश्रा की देखरेख में रखा गया व इसके बाद उसे डॉ. यश श्रीवास्तव की निगरानी में शिफ्ट किया गया.

बच्चों में निम्न लक्षण होने पर पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट से कराएं जांच -

  • होंठ और नाखून का नीला पड़ना.
  • सांस फूलना.
  • वजन न बढ़ना.
  • दूध पीने में कठिनाई या माथे पर पसीना आना.
  • जल्दी थकान होना.
  • धड़कन तेज चलना.

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में कार्डियो थोरेसिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उधम सिंह नगर निवासी एक 9 महीने के शिशु के सिकुड़े हुए हार्ट की सफलतापूर्वक सर्जरी की है. एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने इस उपलब्धि के लिए चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की.

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत के अनुसार उधम सिंह नगर निवासी 9 महीने के शिशु को शुरु से ही दूध पीने में कठिनाई होती थी. जांच के बाद पता चला कि उसके हार्ट की वाल्ब में जन्म से सिकुड़न है. यानी पीडीए नामक की धमनी जिसे जन्म के बाद बंद होना चाहिए मगर वह नहीं हुई थी. इससे बच्चे के दिल पर अधिक दबाव बन रहा था और बच्चे का वजन नहीं बढ़ पा रहा था. इस बच्चे का वजन मात्र 5 किलोग्राम था, उसे दूध पीते वक्त माथे पर पसीना आता था और दूध भी रूक-रूक पीता था,जो कि बच्चों में हार्ट फेलियर के लक्षण है. बच्चे की पहली जांच हल्द्वानी में हुई थी जहां से उसे एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया था.

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आवश्यक परीक्षण के बाद बच्चे की धमनी का संस्थान के पीडियाट्रिक सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों की टीम ने डॉ. अनीश गुप्ता के नेतृत्व में सफलतापूर्व ऑपरेशन किया. चिकित्सक के अनुसार सर्जरी के बाद उसके वाल्ब की दिक्कत काफी हद तक कम हो गई है. शिशु की हालत में लगातार सुधार हो रहा है. उन्होंने यह भी बताया ​कि भविष्य में बच्चे के वाल्ब का आपरेशन किए जाने की संभावना है. ऑपरेशन के बाद शिशु को आईसीयू में डॉ. अजय मिश्रा की देखरेख में रखा गया व इसके बाद उसे डॉ. यश श्रीवास्तव की निगरानी में शिफ्ट किया गया.

बच्चों में निम्न लक्षण होने पर पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट से कराएं जांच -

  • होंठ और नाखून का नीला पड़ना.
  • सांस फूलना.
  • वजन न बढ़ना.
  • दूध पीने में कठिनाई या माथे पर पसीना आना.
  • जल्दी थकान होना.
  • धड़कन तेज चलना.

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