देहरादून: कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन में अच्छी खबर भी सामने आई है. लॉकडाउन के दौरान कोरोनेशन अस्पताल के चिकित्सकों ने 9 वर्षीय बालक की आंत फटने के बाद सफल ऑपरेशन के जरिए नया जीवनदान दिया है. फिलहाल बालक कम से कम 10 दिनों के लिए अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगा.
बता दें कि उत्तरकाशी में नौगांव के बुरसी गांव का रहने वाला दीपांशु बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. बालक की मां का बीते साल निधन हो गया. उसके पिता कानों से बहुत कम सुन पाते हैं, जो मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. ऐसे में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब है. घर में अपेंडिक्स की वजह से आंत फटने के कारण बालक के पिता उसे लेकर नौगांव ब्लॉक के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दीपांशु के पिता और उसके बुजुर्ग दादा उसे लेकर शनिवार को कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे.
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ऐसे में कोरोनेशन के डॉक्टरों ने इमरजेंसी बैठक कर तय किया कि दीपांशु के पिता की माली हालत को देखते हुए उनसे कोई पैसा नहीं लेंगे. ऑपरेशन का सारा खर्चा डॉक्टर मिलकर उठाएंगे. उसके बाद कोरोनेशन अस्पताल के सर्जन डॉ आरके टम्टा ने अपने सहयोगी चिकित्सकों के साथ मिलकर अल्ट्रासाउंड करके वास्तविक स्थिति का पता लगाया और दीपांशु का ऑपरेशन शुरू कर दिया. सफल ऑपरेशन के बाद दीपांशु को फिलहाल 10 दिनों के लिए अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है.
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कोरोनेशन अस्पताल के सर्जन डॉक्टर आरके टम्टा के मुताबिक बालक का अपेंडिक्स गल गया था. जिसके कारण बालक की आंत फट गई थी. उन्होंने इस बीमारी के बारे में सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि इस परिस्थिति में पेट में दर्द की शुरुआत हो जाती है और उल्टी लगने लगती है. मरीज का पेट साफ होना बंद हो जाता है और पेट फूलने लगता है. ऐसे कई मामलों में टाइफाइड फीवर के बिगड़ने से भी आते फटने का खतरा बना रहता है. कई मामलों में टीबी की वजह से भी आंत फट जाती है. साथ ही अपेंडिक्स के गलने पर भी आंत फट सकती है, जैसा इस बालक के साथ हुआ है.