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दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी से कन्नी काट रहे डॉक्टर, परेशान हो रहे मरीज - ओपीडी से गायब हुए डॉक्टर्स

प्रदेश के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स ओपीडी से कन्नी काट रहे हैं. इसका बुरा असर मरीजों पर पड़ रहा है.

doon medical college opd
दून मेडिकल कॉलेज
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Published : Dec 14, 2019, 2:14 PM IST

देहरादून: राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में मनमानी चल रही है. यहां डॉक्टर सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ओपीडी में बैठने से कतरा रहे हैं. आलम ये है कि इमरजेंसी का बहाना बनाकर ये डॉक्टर्स ओपीडी कक्ष छोड़कर नौ दो ग्यारह हो जा रहे हैं. इसका असर बेबस मरीजों पर पड़ रहा है.

इस बात की तस्दीक खुद दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा भी करते हैं. टम्टा का कहना है कि दोपहर दो बजे ओपीडी कक्षों के निरीक्षण के दौरान कई डॉक्टर्स गायब नजर आए. डॉ. टम्टा का कहना है कि नियमानुसार अस्पताल की ओपीडी सुबह 9 बजे से संचालित होती है.

दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी से कन्नी काट रहे 'भगवान'

लेकिन चिकित्सकों को विभिन्न वार्डों मे भर्ती इंडोर के मरीजों को देखने के लिये सुबह दस बजे तक राउंड पर रहना होता है. जो डॉक्टर्स तीन बजे से पहले ही ओपीडी छोड़ देते हैं, उन डॉक्टरों की लिस्ट प्राधानाचार्य को भेज दी जाती है. सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ कॉलेज प्राचार्य ही कार्रवाई कर सकते हैं. जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर रेंक के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार शासन स्तर के पास है.

पढ़ेंः उत्तराखंड: 4G का नेटवर्क रोक पाने में नाकाम जेलों के जैमर, टेक्नोलॉजी ने खतरे में डाली सुरक्षा

दरअसल, यहां मसला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में अपना इलाज कराने सिर्फ देहरादून से ही नहीं पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी समेत मैदानी और पहाड़ी जिलों से भी लोग आते हैं.

देहरादून: राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में मनमानी चल रही है. यहां डॉक्टर सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ओपीडी में बैठने से कतरा रहे हैं. आलम ये है कि इमरजेंसी का बहाना बनाकर ये डॉक्टर्स ओपीडी कक्ष छोड़कर नौ दो ग्यारह हो जा रहे हैं. इसका असर बेबस मरीजों पर पड़ रहा है.

इस बात की तस्दीक खुद दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा भी करते हैं. टम्टा का कहना है कि दोपहर दो बजे ओपीडी कक्षों के निरीक्षण के दौरान कई डॉक्टर्स गायब नजर आए. डॉ. टम्टा का कहना है कि नियमानुसार अस्पताल की ओपीडी सुबह 9 बजे से संचालित होती है.

दून मेडिकल कॉलेज में ओपीडी से कन्नी काट रहे 'भगवान'

लेकिन चिकित्सकों को विभिन्न वार्डों मे भर्ती इंडोर के मरीजों को देखने के लिये सुबह दस बजे तक राउंड पर रहना होता है. जो डॉक्टर्स तीन बजे से पहले ही ओपीडी छोड़ देते हैं, उन डॉक्टरों की लिस्ट प्राधानाचार्य को भेज दी जाती है. सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ कॉलेज प्राचार्य ही कार्रवाई कर सकते हैं. जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर रेंक के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार शासन स्तर के पास है.

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दरअसल, यहां मसला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में अपना इलाज कराने सिर्फ देहरादून से ही नहीं पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी समेत मैदानी और पहाड़ी जिलों से भी लोग आते हैं.

Intro:सवेरे 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ओपीडी मे बैठने से दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक परहेज कर रहे हैं। आलम ये है कि अधिकतर चिकित्सक 3 बजे से पहले ही इमरजेंसी का बहाना बनाकर 2 बजे ही ओपीडी कक्ष छोड़ रहे हैं,जिस कारण अस्पताल मे इलाज कराने आये मरीजों को ओपीडी कक्ष मे डॉक्टरों के नही मिलने पर इलाज के लिये इधर उधर भटकना पड़ रहा है।


Body:इस बात की तस्दीक खुद दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुप्रिडेन्डेन्ट डॉ के के टम्टा ने की। उन्होने दोपहर दो बजे ओपीडी कक्षों का औचक निरीक्षण करते हुए पाया कि अधिकांश डॉक्टर्स अपने ओपीडी कक्षों मे मौजूद ही नही थे। इस संबंध मे मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ टम्टा का कहना है कि नियमानुसार अस्पताल की ओपीडी सवेरे 9 बजे से संचालित होने लगती है,मगर चिकित्सकों को विभिन्न वार्डों मे भर्ती इंडोर के मरीजों को देखने के लिये सवेरे दस बजे तक राउंड पर रहना होता है,क्योंकि भर्ती मरीजों को देखना भी आवश्यक होता है।जो डॉक्टर्स तीन बजे से पहले ही ओपीडी छोड़ देते हैं, उन डॉक्टरों की लिस्ट प्राधानाचार्य को भेज दी जाती है।सीनियर रेसिडेंट और जूनियर रेसिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ कॉलेज प्राचार्य ही कार्यवाही कर सकते हैं जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर रेंक से ऊपर कार्यवाही करने का अधिकार शासन स्तर के पास है।
बाईट-डॉ के के टम्टा, मेडिकल सुप्रिडेन्डेन्ट, दून मेडिकल कॉलेज


Conclusion:दरअसल उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज मे ना सिर्फ देहरादून के आसपास के क्षेत्रों से मरीज अपना इलाज कराने आते हैं, बल्कि पौड़ी,टिहरी,उत्तरकाशी समेत मैदानी जिलों से भी लोग इस आस मे दून अस्पताल पहुँचते है,कि यहां पर उन्हे बेहतर इलाज मुहैया होगा।मगर अस्पताल मे ओपीडी के दौरान चिकित्सकों के उपलब्ध नही होने से उनको मायुस होना पड़ता है।अब अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे चिकित्सकों को चिन्हित करके कार्यवाही करने का मन बनाया है,जो समय से पहले ही ओपीडी छोड़ देते हैं।
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