ETV Bharat / state

सावन का आखिरी शनिवार, शनि देव को ऐसे करें शांत, आज है 'सौभाग्य' योग - शनि की साढ़ेसती

आज सावन का आखिरी शनिवार है. मान्यता है कि न्याय के देवता शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं.

shanidev
shanidev
author img

By

Published : Aug 21, 2021, 6:57 AM IST

देहरादून: मान्यता है कि न्याय के देवता शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. ऐसे में अगर किसी पर शनिदेव की टेढ़ी नजर है तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए भक्त कई तरह के उपाय करते हैं.

वहीं, अगर बात करें ग्रह और नक्षत्र की अभी मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसके साथ ही जिन लोगों पर शनि की दशा, अंर्तदशा और प्रत्यंतर दशा चल रही है या फिर शनि अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं तो उनके लिए आने वाला शनिवार विशेष है.

वैसे जब शनि देव जब अशुभ फल प्रदान करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल शुरू हो जाती है. समय रहते यदि शनि देव को शांत न किया गया तो ये जीवन में अत्यंत बुरे फल प्रदान करते हैं. शिक्षा में बाधा, जॉब में परेशानी और करियर में संघर्ष की स्थिति तो बनाते ही हैं इसके साथ लव रिलेशन और दांपत्य जीवन को भी प्रभावित करते हैं. कभी कभी शनि तलाक का कभी कारण बन जाते हैं.

पढ़ें: BJP कितना भी शीर्षासन कर ले, जनता अब उन्हें बर्दाश्त नहीं करने वाली, नड्डा के दौर पर हरदा का तंज

यही नहीं व्यक्ति को गंभीर रोग भी प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्ति को चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जाम पूंजी को नष्ट कर देते हैं और व्यापार में हानि देने लगते हैं.

शनि देव कौन हैं?: शनि देव सूर्य के पुत्र हैं. सूर्य को ज्योतिष शास्त्र को ग्रहों का अधिपति कहा गया है. शनि देव की माता का नाम छाया है. लेकिन शनि देव से अपने पिता सूर्य नहीं बनती है.

भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्त हैं शनि देव: शनि देव भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्त हैं. शनि देव ने कठोर तपस्या से भगवान शिव और श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया था. भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर शनि देव को ग्रहों का न्यायाधीश बनाया था. वहीं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय शनि की वक्री दृष्टि के कारण अन्य देवता श्रीकृष्ण के दर्शन नहीं कर सके. जिस कारण शनि देव को अत्यंत दुख हुआ और कोकिलावन में कठोर तपस्या की. जिससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए. शनि देव इसीलिए श्रीकृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करते हैं.

पढ़ें: नैनीताल के वीरभट्टी क्षेत्र में भूस्खलन, बाल-बाल बची 14 जिंदगियां

सावन शनिवार कब है?: सावन का अंतिम शनिवार 21 अगस्त को है. 22 अगस्त को सावन मास का समापन होने जा रहा है. 21 अगस्त को पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि और 'सौभाग्य' योग का निर्माण हो रहा है. ये दिन शनि देव की पूजा के लिए उत्तम है.

शनि चालीसा: शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं. इसके साथ ही इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप करें. इससे शनि देव शांत होते हैं.

देहरादून: मान्यता है कि न्याय के देवता शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. ऐसे में अगर किसी पर शनिदेव की टेढ़ी नजर है तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए भक्त कई तरह के उपाय करते हैं.

वहीं, अगर बात करें ग्रह और नक्षत्र की अभी मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसके साथ ही जिन लोगों पर शनि की दशा, अंर्तदशा और प्रत्यंतर दशा चल रही है या फिर शनि अशुभ फल प्रदान कर रहे हैं तो उनके लिए आने वाला शनिवार विशेष है.

वैसे जब शनि देव जब अशुभ फल प्रदान करते हैं तो व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल शुरू हो जाती है. समय रहते यदि शनि देव को शांत न किया गया तो ये जीवन में अत्यंत बुरे फल प्रदान करते हैं. शिक्षा में बाधा, जॉब में परेशानी और करियर में संघर्ष की स्थिति तो बनाते ही हैं इसके साथ लव रिलेशन और दांपत्य जीवन को भी प्रभावित करते हैं. कभी कभी शनि तलाक का कभी कारण बन जाते हैं.

पढ़ें: BJP कितना भी शीर्षासन कर ले, जनता अब उन्हें बर्दाश्त नहीं करने वाली, नड्डा के दौर पर हरदा का तंज

यही नहीं व्यक्ति को गंभीर रोग भी प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्ति को चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जाम पूंजी को नष्ट कर देते हैं और व्यापार में हानि देने लगते हैं.

शनि देव कौन हैं?: शनि देव सूर्य के पुत्र हैं. सूर्य को ज्योतिष शास्त्र को ग्रहों का अधिपति कहा गया है. शनि देव की माता का नाम छाया है. लेकिन शनि देव से अपने पिता सूर्य नहीं बनती है.

भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्त हैं शनि देव: शनि देव भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्त हैं. शनि देव ने कठोर तपस्या से भगवान शिव और श्रीकृष्ण को प्रसन्न किया था. भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर शनि देव को ग्रहों का न्यायाधीश बनाया था. वहीं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय शनि की वक्री दृष्टि के कारण अन्य देवता श्रीकृष्ण के दर्शन नहीं कर सके. जिस कारण शनि देव को अत्यंत दुख हुआ और कोकिलावन में कठोर तपस्या की. जिससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए. शनि देव इसीलिए श्रीकृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करते हैं.

पढ़ें: नैनीताल के वीरभट्टी क्षेत्र में भूस्खलन, बाल-बाल बची 14 जिंदगियां

सावन शनिवार कब है?: सावन का अंतिम शनिवार 21 अगस्त को है. 22 अगस्त को सावन मास का समापन होने जा रहा है. 21 अगस्त को पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि और 'सौभाग्य' योग का निर्माण हो रहा है. ये दिन शनि देव की पूजा के लिए उत्तम है.

शनि चालीसा: शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं. इसके साथ ही इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्रों का जाप करें. इससे शनि देव शांत होते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.