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दीपावली पर आतिशबाजी कोविड-19 मरीजों पर सकती है भारी, जानें क्या कर रहे विशेषज्ञ - उत्तराकंड वायु प्रदूषण

दीपावली पर होने वाले आतिशबाजी को लेकर कोरोना संक्रमितों की परेशानी बढ़ सकती है. इन मरीजों को पटाखों के धुंए से खासी परेशानी हो सकती है. उत्तराखंड में वायु प्रदूषण के लिहाज से 4 जिले काफी संवेदनशील माने जाते हैं. इसमें देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर और हल्द्वानी शामिल हैं.

देहरादून
आतिशबाजी कोविड-19 मरीजों पर पड़ेगी भारी
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Published : Nov 7, 2020, 5:34 PM IST

देहरादून: यूं तो हर साल दीपावली से पहले वायु प्रदूषण को लेकर चिंताएं बढ़ जाती हैं, लेकिन इस दिवाली पर प्रदूषित हवा लोगों के लिए ज्यादा घातक हो सकती हैं. हम बात कोरोना के उन मरीजों की कर रहे हैं, जो कोविड-19 के चलते पहले ही परेशानी में हैं और अब दीपावली पर आतिशबाजी उनकी जान पर आफत बन सकती है.

दिल्ली समेत कई शहरों में आतिशबाजी पर रोक लगा दी गई है. वैसे तो यह फैसला इन शहरों में पहले से ही भारी वायु प्रदूषण के कारण लिया गया है, लेकिन एक बड़ी चिंता कोरोना संक्रमितों को लेकर भी दिखाई देने लगी है. जिन्हें पटाखों के धुंए से खासी परेशानी हो सकती है. उत्तराखंड में वायु प्रदूषण के लिहाज से 4 जिले काफी संवेदनशील माने जाते हैं. इसमें देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर और हल्द्वानी शामिल है, जबकि दीपावली पर आतिशबाजी के बाद यहां वायु प्रदूषण का लेवल और भी खराब स्तर पर होगा.

चिंता की बात यह है कि प्रदेश में यही वो शहर है, जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है. राजधानी देहरादून की स्थिति तो पहले से ही वायु प्रदूषण को लेकर सबसे ज्यादा खराब है. आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी देहरादून में प्रदूषण का स्तर 238 एक्यूआई है. यहां वायुमंडल में कार्बन 1064 माइक्रोग्राम प्रति यूनिट की मात्रा में मौजूद है, नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 42 और बेहद खतरनाक मानी जाने वाली गैस सल्फर डाई की मात्रा 16 माइक्रोग्राम प्रति यूनिट है. उधर यहां पर ध्वनि प्रदूषण भी 62.94 है. दीपावली की आतिशबाजी के बाद इन सभी में और ज्यादा इजाफा तय है. ऐसे में दमे के रोगियों के साथ कोरोना संक्रमित भी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री ने लोहाघाट में ग्रोथ सेंटर का किया उद्घाटन

विशेषज्ञ डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना के दौरान वायरस फेफड़ों पर अटैक करता है और इससे संक्रमित लोगों को अधिकतर सांस लेने में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण होने के बाद इन मरीजों को और भी ज्यादा समस्याएं आ सकती हैं. खास बात यह है कि सर्दी के मौसम में पहले ही मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं. अब प्रदूषण कोविड-19 के मरीजों की इस समस्या को और भी ज्यादा बढ़ाएगा. चिकित्सक यह भी कहते हैं कि न केवल संक्रमित मरीजों को इसका नुकसान होगा, बल्कि हाल ही में ठीक हुए मरीज भी वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में आ सकती हैं.

विशेषज्ञ चिकित्सकों का आम लोगों और कोविड-19 मरीजों को यह सुझाव है कि वे आतिशबाजी से दूर रहें और कोशिश करें कि वे अपने घरों के अंदर ही दीपावली को मनाएं. बता दें कि उत्तराखंड में अभी तक 64,538 लोग कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं. वहीं, अब भी राज्य में 3,736 एक्टिव मरीज हैं. चिंता की बात यह है कि कोरोना संक्रमित सबसे ज्यादा मरीज देहरादून में ही है. देहरादून में 17,820 लोगों को कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इसके बाद दूसरा नंबर हरिद्वार का है, जहां 11,195 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं. इस तरह देखा जाए तो जिन शहरों में प्रदूषण ज्यादा है, उन्हीं शहरों में सबसे ज्यादा मरीज भी मौजूद है. जो की चिंता का सबब है.

देहरादून: यूं तो हर साल दीपावली से पहले वायु प्रदूषण को लेकर चिंताएं बढ़ जाती हैं, लेकिन इस दिवाली पर प्रदूषित हवा लोगों के लिए ज्यादा घातक हो सकती हैं. हम बात कोरोना के उन मरीजों की कर रहे हैं, जो कोविड-19 के चलते पहले ही परेशानी में हैं और अब दीपावली पर आतिशबाजी उनकी जान पर आफत बन सकती है.

दिल्ली समेत कई शहरों में आतिशबाजी पर रोक लगा दी गई है. वैसे तो यह फैसला इन शहरों में पहले से ही भारी वायु प्रदूषण के कारण लिया गया है, लेकिन एक बड़ी चिंता कोरोना संक्रमितों को लेकर भी दिखाई देने लगी है. जिन्हें पटाखों के धुंए से खासी परेशानी हो सकती है. उत्तराखंड में वायु प्रदूषण के लिहाज से 4 जिले काफी संवेदनशील माने जाते हैं. इसमें देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर और हल्द्वानी शामिल है, जबकि दीपावली पर आतिशबाजी के बाद यहां वायु प्रदूषण का लेवल और भी खराब स्तर पर होगा.

चिंता की बात यह है कि प्रदेश में यही वो शहर है, जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है. राजधानी देहरादून की स्थिति तो पहले से ही वायु प्रदूषण को लेकर सबसे ज्यादा खराब है. आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी देहरादून में प्रदूषण का स्तर 238 एक्यूआई है. यहां वायुमंडल में कार्बन 1064 माइक्रोग्राम प्रति यूनिट की मात्रा में मौजूद है, नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 42 और बेहद खतरनाक मानी जाने वाली गैस सल्फर डाई की मात्रा 16 माइक्रोग्राम प्रति यूनिट है. उधर यहां पर ध्वनि प्रदूषण भी 62.94 है. दीपावली की आतिशबाजी के बाद इन सभी में और ज्यादा इजाफा तय है. ऐसे में दमे के रोगियों के साथ कोरोना संक्रमित भी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

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विशेषज्ञ डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना के दौरान वायरस फेफड़ों पर अटैक करता है और इससे संक्रमित लोगों को अधिकतर सांस लेने में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण होने के बाद इन मरीजों को और भी ज्यादा समस्याएं आ सकती हैं. खास बात यह है कि सर्दी के मौसम में पहले ही मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ गई हैं. अब प्रदूषण कोविड-19 के मरीजों की इस समस्या को और भी ज्यादा बढ़ाएगा. चिकित्सक यह भी कहते हैं कि न केवल संक्रमित मरीजों को इसका नुकसान होगा, बल्कि हाल ही में ठीक हुए मरीज भी वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में आ सकती हैं.

विशेषज्ञ चिकित्सकों का आम लोगों और कोविड-19 मरीजों को यह सुझाव है कि वे आतिशबाजी से दूर रहें और कोशिश करें कि वे अपने घरों के अंदर ही दीपावली को मनाएं. बता दें कि उत्तराखंड में अभी तक 64,538 लोग कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं. वहीं, अब भी राज्य में 3,736 एक्टिव मरीज हैं. चिंता की बात यह है कि कोरोना संक्रमित सबसे ज्यादा मरीज देहरादून में ही है. देहरादून में 17,820 लोगों को कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इसके बाद दूसरा नंबर हरिद्वार का है, जहां 11,195 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं. इस तरह देखा जाए तो जिन शहरों में प्रदूषण ज्यादा है, उन्हीं शहरों में सबसे ज्यादा मरीज भी मौजूद है. जो की चिंता का सबब है.

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