देहरादूनः साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात की जा रही है. जिससे आने वाली आपदा जैसी स्थितियों का पहले ही सटीक जानकारी मिल सके, लेकिन अभी तक डॉप्लर रडार स्थापित नहीं हो पाया है. वहीं, डॉप्लर रडार स्थापित करने को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है.
एक कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि डॉप्लर रडार लगाये जाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई है. जिससे भविष्य में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके.
बता दें कि, साल 2013 में आई आपदा के बाद प्रदेश में डॉप्लर रडार लगाने की जरुरत महसूस की गई थी. इसे लेकर कवायद भी की गई, लेकिन आपदा के 6 साल बीते जाने के बाद भी डॉप्लर रडार स्थापित नहीं किया गया है.
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क्या है डॉप्लर रडार-
डॉप्लर रडार एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है. जो 4 सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी प्रदान करता है. साथ ही वातावरण में फैले अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने की क्षमता रखता है.
इतना ही नहीं वातावरण में तैर रहे पानी की बूंदों को पहचानने और उसकी दिशा का भी पता लगा सकता है. जिससे किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा, इसकी सटीक जानकारी मिल जाती है.