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उत्तराखंड में डॉप्लर रडार को लेकर वैज्ञानिकों के साथ हुई चर्चा, मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी - उत्तराखंड में मौसम की सटीक जानकारी

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि डॉप्लर रडार लगाये जाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई है. जिससे भविष्य में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके.

satpal maharaj
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Published : Sep 18, 2019, 9:08 PM IST

देहरादूनः साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात की जा रही है. जिससे आने वाली आपदा जैसी स्थितियों का पहले ही सटीक जानकारी मिल सके, लेकिन अभी तक डॉप्लर रडार स्थापित नहीं हो पाया है. वहीं, डॉप्लर रडार स्थापित करने को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने डॉप्लर रडार लगाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ की चर्चा.

एक कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि डॉप्लर रडार लगाये जाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई है. जिससे भविष्य में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके.

बता दें कि, साल 2013 में आई आपदा के बाद प्रदेश में डॉप्लर रडार लगाने की जरुरत महसूस की गई थी. इसे लेकर कवायद भी की गई, लेकिन आपदा के 6 साल बीते जाने के बाद भी डॉप्लर रडार स्थापित नहीं किया गया है.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड में बादल फटने की 90 फीसदी खबरें झूठी, वैज्ञानिकों ने कई सवालों से उठाया पर्दा

क्या है डॉप्लर रडार-
डॉप्लर रडार एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है. जो 4 सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी प्रदान करता है. साथ ही वातावरण में फैले अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने की क्षमता रखता है.

इतना ही नहीं वातावरण में तैर रहे पानी की बूंदों को पहचानने और उसकी दिशा का भी पता लगा सकता है. जिससे किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा, इसकी सटीक जानकारी मिल जाती है.

देहरादूनः साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात की जा रही है. जिससे आने वाली आपदा जैसी स्थितियों का पहले ही सटीक जानकारी मिल सके, लेकिन अभी तक डॉप्लर रडार स्थापित नहीं हो पाया है. वहीं, डॉप्लर रडार स्थापित करने को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने डॉप्लर रडार लगाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ की चर्चा.

एक कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि डॉप्लर रडार लगाये जाने को लेकर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की गई है. जिससे भविष्य में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके.

बता दें कि, साल 2013 में आई आपदा के बाद प्रदेश में डॉप्लर रडार लगाने की जरुरत महसूस की गई थी. इसे लेकर कवायद भी की गई, लेकिन आपदा के 6 साल बीते जाने के बाद भी डॉप्लर रडार स्थापित नहीं किया गया है.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड में बादल फटने की 90 फीसदी खबरें झूठी, वैज्ञानिकों ने कई सवालों से उठाया पर्दा

क्या है डॉप्लर रडार-
डॉप्लर रडार एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है. जो 4 सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी प्रदान करता है. साथ ही वातावरण में फैले अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने की क्षमता रखता है.

इतना ही नहीं वातावरण में तैर रहे पानी की बूंदों को पहचानने और उसकी दिशा का भी पता लगा सकता है. जिससे किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा, इसकी सटीक जानकारी मिल जाती है.

Intro:यू तो उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं, जहां अमूमन मानसून सीजन में आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है। साल 2013 में केदारनाथ में आयी भीषण आपदा के बाद से ही उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की बात चल रही है। ताकि भविष्य में प्रदेश में आने वाली आपदा जैसी स्थितियों का पहले ही सटीक तरीके से जानकारी मिल सके। राज्य में कब तक डॉप्लर रडार लगेगा, इसकी स्तिथि अभी तक स्पष्ट नही हो पायी है।


Body:क्या है डॉप्लर रडार......

डॉपलर रडार एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी प्रदान करती है। और वातावरण में फैले अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने की क्षमता रखती है। इसके साथ ही वातावरण में तैर रहे पानी की बूंदों को पहचानने और उसकी दिशा का भी पता लगा लेता है, जिससे किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा इसकी सटीक जानकारी मिल पाती है।


एक कार्यक्रम के दौरान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि डॉपलर रडार भी लगाने जाने को लेकर चर्चा किया गया है, ताकि भविष्य में बादल फटने की घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके। हालांकि साल 2013 में आयी आपदा के बाद प्रदेश में डॉपलर रडार लगाने की बात कही गई थी। लिहाजा आपदा को 6 साल से ज्यादा का समय बीत गया, लेकिन अभी तक डॉपलर रडार का कुछ अता-पता नहीं है।

बाइट - सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री




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