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CSIR-CBRI का 'वन वीक वन लैब प्रोग्राम', बिल्डिंग बायलॉज पर चर्चा

देहरादून में CSIR-CBRI के वन वीक वन लैब प्रोग्राम का आयोजन किया गया है, जिसमें देश भर में बिल्डिंग बायलॉज पर चर्चा की गई.

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Published : Jan 11, 2023, 3:36 PM IST

देहरादून: देश में विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने के लिए काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च CSIR की देशभर में मौजूद तमाम रिसर्च संस्थानों में वन वीक वन लैब कार्यक्रम किया जा रहा है. इसी के तहत देहरादून में भी एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट CBRI के तमाम शोधकर्ताओं ने अपनी प्रजेंट एक्शन दी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन के निदेशक कालाचंद साईं और उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि के रूप में डीजीपी अशोक कुमार मौजूद रहे.

कार्यक्रम में सीबीआरआई के शोधकर्ताओं ने अपने तमाम बिल्डिंग बायलॉज को लेकर के प्रेजेंटेशन दिए और खासतौर से हिमालयी राज्य उत्तराखंड में बिल्डिंग बायलॉज और भवन निर्माण को लेकर के किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए और किस तरह से उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भवन निर्माण को लेकर बायलॉज तैयार किए जा सकते हैं और क्या कुछ बिल्डिंग मैटेरियल और प्लान में होने चाहिए इसको लेकर के एक विस्तृत कार्यशाला आयोजित की गई.
पढ़ें- Joshimath Landslide: जोशीमठ के प्रत्येक प्रभावित परिवार को तत्काल मिलेंगे डेढ़ लाख रुपए, बन रहा फंड

कार्यशाला में मौजूद मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि आज संयोगवश उत्तराखंड में जिस तरह के हालात हैं, उसमें सीबीआरआई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की भूमिका बेहद अहम है और आज हमें इन संस्थानों में होने वाले शोध और उनकी अहम भूमिका है. CBRI डायरेक्टर प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बिल्डिंग बायलॉज से जुड़े अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स एक ही प्लेटफार्म पर आकर तमाम तरह के शोध और रिसर्च को लेकर जानकारियों का आदान प्रदान कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि आज गवर्नमेंट ऑफिशल्स के साथ वर्कशॉप की जा रही है, जिसमें सरकारों की बिल्डिंग बायलॉज में क्या कुछ भूमिका होनी चाहिए इस पर प्रेजेंटेशन दी जा रही है. उन्होंने बताया कि पूरे देश भर में इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत पूरे सप्ताह भर में जनप्रतिनिधियों से पब्लिक से और इंडस्ट्रियल क्षेत्र से जुड़े लोगों से सीबीआरआई के प्रतिनिधि मिल रहे हैं और किस तरह से जागरूकता लाई जानी चाहिए और किस तरह से बिल्डिंग बायलॉज को लेकर के समाज में काम होना चाहिए इस पर गहनता से चर्चा की जा रही है.

देहरादून: देश में विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने के लिए काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च CSIR की देशभर में मौजूद तमाम रिसर्च संस्थानों में वन वीक वन लैब कार्यक्रम किया जा रहा है. इसी के तहत देहरादून में भी एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट CBRI के तमाम शोधकर्ताओं ने अपनी प्रजेंट एक्शन दी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन के निदेशक कालाचंद साईं और उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि के रूप में डीजीपी अशोक कुमार मौजूद रहे.

कार्यक्रम में सीबीआरआई के शोधकर्ताओं ने अपने तमाम बिल्डिंग बायलॉज को लेकर के प्रेजेंटेशन दिए और खासतौर से हिमालयी राज्य उत्तराखंड में बिल्डिंग बायलॉज और भवन निर्माण को लेकर के किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए और किस तरह से उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भवन निर्माण को लेकर बायलॉज तैयार किए जा सकते हैं और क्या कुछ बिल्डिंग मैटेरियल और प्लान में होने चाहिए इसको लेकर के एक विस्तृत कार्यशाला आयोजित की गई.
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कार्यशाला में मौजूद मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि आज संयोगवश उत्तराखंड में जिस तरह के हालात हैं, उसमें सीबीआरआई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की भूमिका बेहद अहम है और आज हमें इन संस्थानों में होने वाले शोध और उनकी अहम भूमिका है. CBRI डायरेक्टर प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बिल्डिंग बायलॉज से जुड़े अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स एक ही प्लेटफार्म पर आकर तमाम तरह के शोध और रिसर्च को लेकर जानकारियों का आदान प्रदान कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि आज गवर्नमेंट ऑफिशल्स के साथ वर्कशॉप की जा रही है, जिसमें सरकारों की बिल्डिंग बायलॉज में क्या कुछ भूमिका होनी चाहिए इस पर प्रेजेंटेशन दी जा रही है. उन्होंने बताया कि पूरे देश भर में इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत पूरे सप्ताह भर में जनप्रतिनिधियों से पब्लिक से और इंडस्ट्रियल क्षेत्र से जुड़े लोगों से सीबीआरआई के प्रतिनिधि मिल रहे हैं और किस तरह से जागरूकता लाई जानी चाहिए और किस तरह से बिल्डिंग बायलॉज को लेकर के समाज में काम होना चाहिए इस पर गहनता से चर्चा की जा रही है.

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