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Joshimath Crisis: आफत में जान! लकड़ी के सहारे रुकेगी भारी-भरकम चट्टान? टेंपरेरी अरेंजमेंट पर आई सफाई

इन दिनों सोशल मीडिया पर जोशीमठ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. जिसमें एक चट्टान को गिरने से रोकने के लिए लकड़ी और लोहे के रॉड लगाया है. जिसको लेकर लोग आपदा विभाग को ट्रोल कर रहे हैं. जिस पर आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षात्मक रूप से यह टेंपरेरी व्यवस्था की गई है. हमें ऐसे प्रयासों की सराहना करनी चाहिए न कि ट्रोल करना चाहिए.

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Published : Feb 9, 2023, 6:58 PM IST

रंजीत सिन्हा ने की जिला प्रशासन की प्रयासों की सराहना.

देहरादून: जोशीमठ में दरारों के बढ़ने की शिकायत लगातार स्थानीय कर रहे हैं. वही जोशीमठ में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा किए जा रहे जांच और विस्थापन को लेकर भी सवाल किए जा रहे हैं. जिस पर आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने दरारें बढ़ने और सोशल मीडिया पर चल रही तमाम सवालों का जवाब दिया.

आपदा सचिव से सवाल: बीते कुछ दिनों से जोशीमठ के हालातों को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कोई प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई है. लिहाजा इस दौरान कई सवाल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग से पूछे जा रहे हैं. इन सवालों में सबसे बड़ा सवाल जोशीमठ में लगातार बढ़ रही दरारों को लेकर है. जोशीमठ के लोगों लगातार इस बात को कह रहे हैं कि जोशीमठ में क्रैको मीटर टूट कर गिर रहे हैं और दरारों की संख्या बढ़ रही है.

863 घरों में दरार: आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जोशीमठ में किए जा रहे हास्यास्पद टेंपरेरी अरेंजमेंट को लेकर भी सोशल मीडिया पर आपदा प्रबंधन विभाग को ट्रोल किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ पिछले कई दिनों से आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जोशीमठ के हालातों को लेकर प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई, लिहाजा लोगों में असंतोष लगातार बढ़ रहा है. इन तमाम सवालों पर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने जवाब दिया है.

जोशीमठ में बढ़ रही दरारों पर आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा इस संबंध में चमोली जिला प्रशासन से बात की गई है और उनसे दरारों के बढ़ने के संबंध में सूचना प्राप्त की गई है. जानकारी मिली है कि जोशीमठ में अब तक 863 घरों में दरारें चिन्हित की गई थी और इन्हीं में से कुछ घरों में दरारें पहले की संख्या में ज्यादा बड़ी है. यानी कि दरारों वाले घरों की संख्या नहीं बढ़ी है, बल्कि पहले से जिन घरों में दरारें थी, उन्हीं घरों में दरारों की संख्या बढ़ी है.
ये भी पढ़ें: Joshimath Crisis: जोशीमठ के ताजा हालात पर 10 फरवरी को PMO की बड़ी बैठक, होंगे अहम फैसले

पीड़ितों की संख्या नहीं बढ़ी: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा जोशीमठ में दरारों वाले 863 घरों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है. जिसको लेकर विस्थापन और पुनर्वास की रणनीति तय की जा रही है. मौजूदा समय में जिस तरह की दरारें बढ़ने की बात की जा रही है, उनसे पीड़ितों की संख्या नहीं बढ़ी है. लिहाजा इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

चट्टान को टेक लगाकर रोकने पर भी सवाल: जोशीमठ की सिंहधार से ऊपर की तरफ एक बड़ी चट्टान को लकड़ी और लोहे के पाइपों से टेक लगाकर रोकने की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. जिस पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और खूब-खिल्ली भी उड़ाई जा रही है. जिस पर आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा जोशीमठ में तमाम तकनीकी एजेंसियां जांच कर रही है और उनकी रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन जिस तरह से ग्राउंड पर हालात है. उसे देखते हुए जिला प्रशासन ने कुछ टेंपरेरी व्यवस्था की है. जिस चट्टान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, उसे टेंपरेरी अरेंजमेंट के तहत एक सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए जिला प्रशासन द्वारा रोकने की कोशिश की गई है. हालांकि यह अस्थाई है और टेक्निकल एजेंसियों की रिपोर्ट आने के बाद स्थाई समाधान किया जाएगा.

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि बिना टेक्निकल रिपोर्ट के अगर जिला प्रशासन द्वारा कुछ प्रयास किया जा रहा है तो उसकी सराहना की जानी चाहिए. क्योंकि इसमें उनकी मंशा लोगों के हित की ही है. अगर स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की आलोचना की जाती है तो उसे अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा.

रंजीत सिन्हा ने की जिला प्रशासन की प्रयासों की सराहना.

देहरादून: जोशीमठ में दरारों के बढ़ने की शिकायत लगातार स्थानीय कर रहे हैं. वही जोशीमठ में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा किए जा रहे जांच और विस्थापन को लेकर भी सवाल किए जा रहे हैं. जिस पर आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने दरारें बढ़ने और सोशल मीडिया पर चल रही तमाम सवालों का जवाब दिया.

आपदा सचिव से सवाल: बीते कुछ दिनों से जोशीमठ के हालातों को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कोई प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई है. लिहाजा इस दौरान कई सवाल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग से पूछे जा रहे हैं. इन सवालों में सबसे बड़ा सवाल जोशीमठ में लगातार बढ़ रही दरारों को लेकर है. जोशीमठ के लोगों लगातार इस बात को कह रहे हैं कि जोशीमठ में क्रैको मीटर टूट कर गिर रहे हैं और दरारों की संख्या बढ़ रही है.

863 घरों में दरार: आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जोशीमठ में किए जा रहे हास्यास्पद टेंपरेरी अरेंजमेंट को लेकर भी सोशल मीडिया पर आपदा प्रबंधन विभाग को ट्रोल किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ पिछले कई दिनों से आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जोशीमठ के हालातों को लेकर प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई, लिहाजा लोगों में असंतोष लगातार बढ़ रहा है. इन तमाम सवालों पर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने जवाब दिया है.

जोशीमठ में बढ़ रही दरारों पर आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा इस संबंध में चमोली जिला प्रशासन से बात की गई है और उनसे दरारों के बढ़ने के संबंध में सूचना प्राप्त की गई है. जानकारी मिली है कि जोशीमठ में अब तक 863 घरों में दरारें चिन्हित की गई थी और इन्हीं में से कुछ घरों में दरारें पहले की संख्या में ज्यादा बड़ी है. यानी कि दरारों वाले घरों की संख्या नहीं बढ़ी है, बल्कि पहले से जिन घरों में दरारें थी, उन्हीं घरों में दरारों की संख्या बढ़ी है.
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पीड़ितों की संख्या नहीं बढ़ी: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा जोशीमठ में दरारों वाले 863 घरों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है. जिसको लेकर विस्थापन और पुनर्वास की रणनीति तय की जा रही है. मौजूदा समय में जिस तरह की दरारें बढ़ने की बात की जा रही है, उनसे पीड़ितों की संख्या नहीं बढ़ी है. लिहाजा इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

चट्टान को टेक लगाकर रोकने पर भी सवाल: जोशीमठ की सिंहधार से ऊपर की तरफ एक बड़ी चट्टान को लकड़ी और लोहे के पाइपों से टेक लगाकर रोकने की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. जिस पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं और खूब-खिल्ली भी उड़ाई जा रही है. जिस पर आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा जोशीमठ में तमाम तकनीकी एजेंसियां जांच कर रही है और उनकी रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन जिस तरह से ग्राउंड पर हालात है. उसे देखते हुए जिला प्रशासन ने कुछ टेंपरेरी व्यवस्था की है. जिस चट्टान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, उसे टेंपरेरी अरेंजमेंट के तहत एक सुरक्षात्मक रवैया अपनाते हुए जिला प्रशासन द्वारा रोकने की कोशिश की गई है. हालांकि यह अस्थाई है और टेक्निकल एजेंसियों की रिपोर्ट आने के बाद स्थाई समाधान किया जाएगा.

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि बिना टेक्निकल रिपोर्ट के अगर जिला प्रशासन द्वारा कुछ प्रयास किया जा रहा है तो उसकी सराहना की जानी चाहिए. क्योंकि इसमें उनकी मंशा लोगों के हित की ही है. अगर स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की आलोचना की जाती है तो उसे अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा.

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