देहरादून: उत्तराखंड में पशुपालन विभाग को लेकर शासन ने आज बड़ा आदेश जारी किया है. आदेश में साफ किया है कि निदेशक पशुपालन के वित्तीय अधिकार शासन के आधीन होगे यानी अब पशुपालन विभाग में किसी भी वित्तीय स्वीकृति के लिए शासन से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है.
उत्तराखंड पशुपालन विभाग को लेकर शासन ने आज एक नया आदेश जारी किया है, इसके तहत अब विभाग में निदेशक के स्तर पर होने वाली सभी वित्तीय स्वीकृतियां अग्रिम आदेशों तक शासन की अनुमति से ही हो सकेगी. दरअसल, पशुपालन विभाग में 31 दिसंबर 2023 को पशुपालन निदेशक सेवानिवृत होने जा रहे हैं, ऐसे में सेवानिवृत्ति से ठीक एक महीने पहले निदेशक के वित्तीय अधिकारों पर शासन ने पहरा लगाया है.
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अब इस नए आदेश के बाद पशुपालन विभाग के निदेशक शासन की मंजूरी से ही किसी भी वित्तीय स्वीकृति को दे सकेंगे. शासन स्तर पर अपर सचिव पशुपालन चंद्र सिंह धर्मशक्तू ने यह आदेश जारी करते हुए निदेशक को प्रेषित किया है. वैसे तो इस आदेश के बाद नए निदेशक बनने तक फिलहाल वित्तीय अधिकार शासन के हाथ में ही रहेंगे, लेकिन बताया जा रहा है कि विभाग के मुखिया के सेवानिवृत होने से पहले अक्सर इस तरह के आदेश जारी कर दिए जाते हैं.
इसका मकसद यह होता है कि सेवानिवृत्ति के अंतिम समय में वित्तीय रूप से कोई ऐसा फैसला ना हो जो सरकारी धन खर्च के लिहाज से गैर जरूरी हो. एक तरह से वित्तीय रूप से फिजूल खर्ची की संभावना को देखते हुए इस तरह का निर्णय लिया जाता है, इस मामले में भी यही वजह मानी जा रही है.