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उत्तराखंडियत महसूस करनी हो चले आएं डिंडयाली होम स्टे, प्रकृति संग लें पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ

डिंडयाली होम स्टे में आने वाले पर्यटक न सिर्फ अपने आप को प्रकृति के करीब भी महसूस करते हैं, बल्कि वे उत्तराखंड की उस सभ्यता और संस्कृति से भी रुबरू होते हैं, जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं.

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डिंडयाली होम स्टे
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Published : Aug 9, 2020, 6:42 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 5:44 PM IST

देहरादून: अगर आप उत्तराखंड के किसी गांव से हैं और आपका बचपन मिट्टी के घर और उस घर में मौजूद तमाम उन चीजों के आस-पास गुजरा है जिनका अहसास आज भी आपके जहन में बसा है, लेकिन अब वो आपको देखने नहीं मिल रहा है तो आप डोईवाला विधानसभा के सीरियो क्षेत्र में मौजूद डिंडयाली होम स्टे पर आ सकते हैं. यहां आपको वो सब मिलेगा जिससे न सिर्फ आपकी बचपन की यादें ताजा होगी, बल्कि आप अपने आपको प्रकृति के पास भी महसूस करेंगे.

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डिंडयाली होम स्टे.

डिंडयाली होम स्टे में आपको न सिर्फ मिट्टी के घर में रहने का मौका मिलेगा, बल्कि यहां आप पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ भी उठा सकते हैं. इसके साथ ही शहर की भीड़भाड़ से दूर स्वच्छ वातावरण भी मिलेगा, जो न सिर्फ आपकी बचपन की याद ताजा कर देगा, बल्कि आपको प्रकृति के असली सौंदर्य से भी रुबरू होने का मौका मिलेगा.

उत्तराखंडियत देखनी है तो चले आइए डिंडयाली होम स्टे

पढ़ें- सावन की पूजा में ब्रह्म कमल का विशेष महत्व, नंगे पांव ग्रामीण हिमालय से लाते हैं 'देव पुष्प'

डिंडयाली होम स्टे को अरविंद नैथानी और उनकी पत्नी चित्रा नैथानी चला रहे हैं. ये दोनों शहर में अच्छी नौकरी करते थे, लेकिन शहर का भीड़-भाड़ वाला माहौल उन्हें गांव के सकून की याद दिलाता था. इसके बाद नैथानी दंपति ने नौकरी छोड़कर कुछ ऐसा करने की सोची जिससे वो गांव में रहकर जीवनयापन करें और लोगों को पहाड़ी संस्कृति से भी रूबरू करा सकें इसलिए उन्होंने डिंडयाली में एक होम स्टे बनाया.

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उत्तखंडी वास्तुकला से होंगे रूबरू.
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उत्तराखंड के गांवों की याद.

इस होम स्टे में न सिर्फ पहाड़ के गांवों का एहसास होता है, बल्कि देवभूमि उत्तराखंड के देवत्व को भी इस होम स्टे में उजागर किया गया है. यहां अध्यात्म से जोड़ने वाला एक मेडिटेशन सेंटर भी बनाया गया है, जहां आप योग साधना भी कर सकते हैं.

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उत्तराखंड के देवत्व का दर्शन.
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संस्कृति की झलक.

इस होम स्टे के बारे में जब नैथानी दंपति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एमबीए के बाद उन्होंने शहर में काफी समय तक जॉब की, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगता था. उन्हें हमेशा अपना गांव की याद आती थी. ऐसे में उन्होंने शहर के पास होम स्टे बनाने की सोची जहां लोग पहाड़ और खासकर गांव के बारे में जान सकें.

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पहाड़ के गांवों की झलक.

इस होम स्टे का कॉन्सेप्ट उनके मन उन बच्चों को लेकर भी आया जो शहर में ही रहते हैं, जिन्होंने कभी गांव नहीं देखा है. शहर के पास एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहां बच्चे गांव के माहौल में रह सकें. गांव को समझ सकें. इस होम स्टे में गांव के घरों की तरह के कुछ नियम भी बनाए गए हैं. यहां आने वालों लोगों को इसका पालान करना अनिवार्य है. इसके साथ ही जो लोग यहां आत हैं वो पहाड़ी व्यंजन का लुफ्त भी उठा सकते हैं और यहां के सभी कमरे गांव की शैली के ही बनाए गए हैं.

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पहाड़ी झलक.

शहर की आपाधापी, शोर-शराबे और फाइव स्टार कल्चर से दूर एक अलग दुनिया का आनंद लेना चाहते हैं को ये स्थान आपके लिये मुफीद है. डिंडयाली होमस्टे में आपको मिट्टी का घर मिलेगा, घर की वह खुशबू मिलेगी, चौसा, भात, फाणु मिलेगा और पहाड़ों का सुकून भरा वातावरण भी मिलेगा.

देहरादून: अगर आप उत्तराखंड के किसी गांव से हैं और आपका बचपन मिट्टी के घर और उस घर में मौजूद तमाम उन चीजों के आस-पास गुजरा है जिनका अहसास आज भी आपके जहन में बसा है, लेकिन अब वो आपको देखने नहीं मिल रहा है तो आप डोईवाला विधानसभा के सीरियो क्षेत्र में मौजूद डिंडयाली होम स्टे पर आ सकते हैं. यहां आपको वो सब मिलेगा जिससे न सिर्फ आपकी बचपन की यादें ताजा होगी, बल्कि आप अपने आपको प्रकृति के पास भी महसूस करेंगे.

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डिंडयाली होम स्टे.

डिंडयाली होम स्टे में आपको न सिर्फ मिट्टी के घर में रहने का मौका मिलेगा, बल्कि यहां आप पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ भी उठा सकते हैं. इसके साथ ही शहर की भीड़भाड़ से दूर स्वच्छ वातावरण भी मिलेगा, जो न सिर्फ आपकी बचपन की याद ताजा कर देगा, बल्कि आपको प्रकृति के असली सौंदर्य से भी रुबरू होने का मौका मिलेगा.

उत्तराखंडियत देखनी है तो चले आइए डिंडयाली होम स्टे

पढ़ें- सावन की पूजा में ब्रह्म कमल का विशेष महत्व, नंगे पांव ग्रामीण हिमालय से लाते हैं 'देव पुष्प'

डिंडयाली होम स्टे को अरविंद नैथानी और उनकी पत्नी चित्रा नैथानी चला रहे हैं. ये दोनों शहर में अच्छी नौकरी करते थे, लेकिन शहर का भीड़-भाड़ वाला माहौल उन्हें गांव के सकून की याद दिलाता था. इसके बाद नैथानी दंपति ने नौकरी छोड़कर कुछ ऐसा करने की सोची जिससे वो गांव में रहकर जीवनयापन करें और लोगों को पहाड़ी संस्कृति से भी रूबरू करा सकें इसलिए उन्होंने डिंडयाली में एक होम स्टे बनाया.

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उत्तखंडी वास्तुकला से होंगे रूबरू.
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उत्तराखंड के गांवों की याद.

इस होम स्टे में न सिर्फ पहाड़ के गांवों का एहसास होता है, बल्कि देवभूमि उत्तराखंड के देवत्व को भी इस होम स्टे में उजागर किया गया है. यहां अध्यात्म से जोड़ने वाला एक मेडिटेशन सेंटर भी बनाया गया है, जहां आप योग साधना भी कर सकते हैं.

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उत्तराखंड के देवत्व का दर्शन.
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संस्कृति की झलक.

इस होम स्टे के बारे में जब नैथानी दंपति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एमबीए के बाद उन्होंने शहर में काफी समय तक जॉब की, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगता था. उन्हें हमेशा अपना गांव की याद आती थी. ऐसे में उन्होंने शहर के पास होम स्टे बनाने की सोची जहां लोग पहाड़ और खासकर गांव के बारे में जान सकें.

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पहाड़ के गांवों की झलक.

इस होम स्टे का कॉन्सेप्ट उनके मन उन बच्चों को लेकर भी आया जो शहर में ही रहते हैं, जिन्होंने कभी गांव नहीं देखा है. शहर के पास एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहां बच्चे गांव के माहौल में रह सकें. गांव को समझ सकें. इस होम स्टे में गांव के घरों की तरह के कुछ नियम भी बनाए गए हैं. यहां आने वालों लोगों को इसका पालान करना अनिवार्य है. इसके साथ ही जो लोग यहां आत हैं वो पहाड़ी व्यंजन का लुफ्त भी उठा सकते हैं और यहां के सभी कमरे गांव की शैली के ही बनाए गए हैं.

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पहाड़ी झलक.

शहर की आपाधापी, शोर-शराबे और फाइव स्टार कल्चर से दूर एक अलग दुनिया का आनंद लेना चाहते हैं को ये स्थान आपके लिये मुफीद है. डिंडयाली होमस्टे में आपको मिट्टी का घर मिलेगा, घर की वह खुशबू मिलेगी, चौसा, भात, फाणु मिलेगा और पहाड़ों का सुकून भरा वातावरण भी मिलेगा.

Last Updated : Aug 10, 2020, 5:44 PM IST
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