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डिजिटल होगा देहरादून-मसूरी का नया मास्टर प्लान, 60 प्रतिशत कार्य हो चुका है पूरा

वर्तमान में लैंड यूज व धरातलीय स्थिति में काफी भिन्नता पाई जाती है, लेकिन सेटेलाइट से मैपिंग हो जाने के बाद इस डिजिटल मास्टर प्लान के माध्यम से लैंड यूज की सटीक जानकारी मिल पाएगी.

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देहरादून
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Published : Dec 24, 2019, 6:10 PM IST

देहरादून: एमडीडीए (मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण) की तरफ से दून और मसूरी के लिए डिजिटल मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. इस मास्टर प्लान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह मास्टर प्लान पूरी तरह जीआईएस मैपिंग (जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) यानी सेटेलाइट के जरिए मिली जानकारी के अनुसार तैयार किया जा रहा है.

डिजिटल मैप को राजस्व मैप से ओवर लैप कराकर लैंडयूज की जानकारी पाना आसान होगा. इसका सबसे बड़ा फायदा जमीन खरीदने वाले लोगों को होगा, क्योंकि वह एक क्लिक करके संबंधित जमीन की असल स्थिति को जान पाएंगे. इस डिजिटल मास्टर प्लान में धरातल पर जो संरचना जैसी होगी उसी के अनुरूप उसका लैंड यूज तय कर दिया जाएगा.

देहरादून-मसूरी का नया मास्टर प्लान

पढ़ें- क्रिसमस और नए साल को देखते हुए पुलिस ने कसी कमर, DIG ने सभी अधिकारियों को दिया निर्देश

अक्सर देखने में आता है कि वर्तमान में लैंड यूज व धरातलीय स्थिति में काफी भिन्नता पाई जाती है, लेकिन सेटेलाइट से मैपिंग हो जाने के बाद इस डिजिटल मास्टर प्लान के माध्यम से लैंड यूज की सटीक जानकारी मिल पाएगी. इस बारे में एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि डिजिटल मास्टर प्लान का 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है. उम्मीद है कि फरवरी 2020 तक इसे तैयार कर सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा.

डिजिटल मास्टर प्लान की खासियत

  1. डिजिटल मास्टर प्लान में सेटेलाइट से निर्धारित क्षेत्रफल की हाई रेजोल्यूशन पिक्चर ली जाएगी. जिससे 0.3-0.5 मीटर तक के भाग की स्थिति पूरी तरह से साफ नजर आएगी.
  2. वर्तमान मास्टर प्लान लागू हुए लंबा वक्त बीत चुका है. धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से मिलना हो चुकी है. जिसकी वजह से अक्सर लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन इसमें डिजिटल मास्टर प्लान के लागू होने से आप लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगे. इसके साथ ही अवैध निर्माण पर भी लगाम लग सकेगी.
  3. सेटेलाइट मैपिंग के जरिए तैयार किए जा रहे इस डिजिटल मास्टर प्लान में स्पष्ट हो जाएगा की धरातल पर कितने भाग पर रिहायशी,कमर्शियल, वन या कृषि भूमि मौजूद है.

देहरादून: एमडीडीए (मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण) की तरफ से दून और मसूरी के लिए डिजिटल मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. इस मास्टर प्लान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह मास्टर प्लान पूरी तरह जीआईएस मैपिंग (जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) यानी सेटेलाइट के जरिए मिली जानकारी के अनुसार तैयार किया जा रहा है.

डिजिटल मैप को राजस्व मैप से ओवर लैप कराकर लैंडयूज की जानकारी पाना आसान होगा. इसका सबसे बड़ा फायदा जमीन खरीदने वाले लोगों को होगा, क्योंकि वह एक क्लिक करके संबंधित जमीन की असल स्थिति को जान पाएंगे. इस डिजिटल मास्टर प्लान में धरातल पर जो संरचना जैसी होगी उसी के अनुरूप उसका लैंड यूज तय कर दिया जाएगा.

देहरादून-मसूरी का नया मास्टर प्लान

पढ़ें- क्रिसमस और नए साल को देखते हुए पुलिस ने कसी कमर, DIG ने सभी अधिकारियों को दिया निर्देश

अक्सर देखने में आता है कि वर्तमान में लैंड यूज व धरातलीय स्थिति में काफी भिन्नता पाई जाती है, लेकिन सेटेलाइट से मैपिंग हो जाने के बाद इस डिजिटल मास्टर प्लान के माध्यम से लैंड यूज की सटीक जानकारी मिल पाएगी. इस बारे में एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि डिजिटल मास्टर प्लान का 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है. उम्मीद है कि फरवरी 2020 तक इसे तैयार कर सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा.

डिजिटल मास्टर प्लान की खासियत

  1. डिजिटल मास्टर प्लान में सेटेलाइट से निर्धारित क्षेत्रफल की हाई रेजोल्यूशन पिक्चर ली जाएगी. जिससे 0.3-0.5 मीटर तक के भाग की स्थिति पूरी तरह से साफ नजर आएगी.
  2. वर्तमान मास्टर प्लान लागू हुए लंबा वक्त बीत चुका है. धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से मिलना हो चुकी है. जिसकी वजह से अक्सर लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन इसमें डिजिटल मास्टर प्लान के लागू होने से आप लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगे. इसके साथ ही अवैध निर्माण पर भी लगाम लग सकेगी.
  3. सेटेलाइट मैपिंग के जरिए तैयार किए जा रहे इस डिजिटल मास्टर प्लान में स्पष्ट हो जाएगा की धरातल पर कितने भाग पर रिहायशी,कमर्शियल, वन या कृषि भूमि मौजूद है.
Intro:देहरादून- एमडीडीए की ओर से देहरादून और मसूरी के लिए डिजिटल मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इस मास्टर प्लान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मास्टर प्लान पूरी तरह जीआईएस मैपिंग (जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) यानी सैटेलाइट के जरिए मिली जानकारी के अनुसार तैयार किया जा रहा है।

बता दें कि सेटेलाइट मैपिंग होने के चलते इस डिजिटल मास्टर प्लान में धरातल पर जो संरचना जैसी होगी उसी के अनुरूप उसका लैंड यूज़ तय कर दिया जाएगा । इसके लिए डिजिटल मैप को रेवेन्यू मैप से ओवर लेप किया जा रहा है ।

गौरतलब है कि वर्तमान में लैंड यूज़ व धरातलीय स्थिति में काफी भिन्नता पाई जाती है। लेकिन सेटेलाइट से मैपिंग के जाने के चलते हैं इस डिजिटल मास्टर प्लान के माध्यम से लैंड यूज की सटीक जानकारी मिल पाएगी।


Body:एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ आशीष श्रीवास्तव ने डिजिटल मास्टर प्लान मास्टर प्लान का 60 % कार्य पूरा कर लिया गया है । उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी फरवरी 2020 तक इसे तैयार कर सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा।

डिजिटल मास्टर प्लान की खासियत

- डिजिटल मास्टर प्लान में सेटेलाइट से निर्धारित क्षेत्रफल की हाई रेजोल्यूशन पिक्चर ली जाएगी। इसमें 0.3-0.5 मीटर तक के भाग की स्थिति पूरी तरह से साफ नजर आएगी।

- वर्तमान मास्टर प्लान लागू हुई लंबा वक्त बीत चुका है पैसे में धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से मिलना हो चुकी है । जिसकी वजह से अक्सर लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन इसमें डिजिटल मास्टर प्लान के लागू होने से आप लोगों को नक्शा पास कराने में दिक्कतें पेश नहीं आएंगे इसके साथ ही अवैध निर्माण पर भी लगाम लग सकेगी।

- सेटेलाइट मैपिंग के जरिए तैयार किए जा रहे इस डिजिटल मास्टर प्लान में स्पष्ट हो जाएगा की धरातल पर कितने भाग पर रिहायशी ,कमर्शियल, वन या कृषि भूमि मौजूद है।




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