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केदार भंडारी मामले में गढ़वाल डीआईजी ने शुरू की जांच, परमार्थ निकेतन प्रबंधन से की पूछताछ

केदार भंडारी मामले की जांच (Kedar Singh case investigation) एक बार फिर शुरू कर दी गई है. गढ़वाल डीआईजी को इसकी जांच (Garhwal DIG to investigate Kedar Singh case ) सौंपी गई है. साथ ही मामले की जांच निष्पक्ष हो इसके लिए लक्ष्मण झूला थाना प्रभारी संतोष सिंह (Laxman Jhula police station in charge Santosh ) को भी थाने के प्रभाव से मुक्त करते हुए उन्हें पौड़ी पुलिस कार्यालय भेज दिया गया है.

What is Kedar Singh case
केदार सिंह मामले की जांच
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Published : Oct 7, 2022, 7:34 PM IST

ऋषिकेश: पुलिस हिरासत से छूटकर गंगा में कूदने वाले केदार भंडारी मामले में डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल (DIG Garhwal Karan Singh Nagnyal) ने जांच शुरू कर दी है. आज गढ़वाल डीआईजी ने मामले में सबसे पहले परमार्थ निकेतन में हुई चोरी के संबंध में कर्मचारियों और प्रबंधकों से पूछताछ की. इसके बाद वे लक्ष्मण झूला थाने पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों से भी मामले की जानकारी ली.

क्या है केदार सिंह मामला: पुलिस के मुताबिक, 22 अगस्त को चुनेर गांव का केदार भंडारी अग्निवीर भर्ती के लिए कोटद्वार आया था. वापसी में वह तपोवन के होटल में रुका. जहां उस पर परमार्थ निकेतन में चोरी करने का आरोप लगा. मामले में मुनिकी रेती थाना पुलिस ने आरोपी को पकड़ कर लक्ष्मण झूला थाना पुलिस के हवाले कर दिया. परमार्थ निकेतन की ओर से आरोपी के पकड़े जाने तक कोई तहरीर नहीं मिली. इसलिए पुलिस ने केदार सिंह को बैरक में एक पीआरडी जवान की निगरानी में बैठा दिया.

पुलिस का दावा है कि इस दौरान केदार भंडारी पीआरडी के जवान को धक्का देकर थाने से बाहर भाग गया. जिसका पुलिस ने काफी दूर तक पीछा किया, मगर केदार भंडारी लक्ष्मण झूला पुल पर चढ़कर गंगा में कूद गया. यह सारी घटना स्थानीय लोगों ने भी देखी. वहीं, सीसीटीवी कैमरे में भी पूरी वारदात कैद हुई. तभी से लगातार केदार के परिजन पुलिस पर उत्पीड़न करने और लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहे हैं.

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मामले में कोटद्वार के एएसपी शेखर सुयाल अपनी जांच पूरी कर चुके हैं. जिसमें पीआरडी के जवान और थाना लक्ष्मण झूला के हेड मुहर्रिर की लापरवाही सामने आई है. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार शायद एएसपी जांच से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं. इसलिए उन्होंने मामले की जांच अब डीआइजी गढ़वाल को सौंप दी है. जांच प्रभावित ना हो इसके लिए लक्ष्मण झूला थाना प्रभारी संतोष सिंह को भी थाने के प्रभाव से मुक्त करते हुए उन्हें पौड़ी पुलिस कार्यालय भेज दिया गया है.

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जांच मिलने के बाद पहली बार डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल केस इन्वेस्टिगेशन के लिए लक्ष्मण झूला थाना पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले परमार्थ निकेतन में कर्मचारियों और प्रबंधकों से चोरी के संबंध में बातचीत कर पूछताछ की. जिसके बाद वह लक्ष्मण झूला थाने आए. थाने का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने वह बैरक देखी जहां केदार सिंह को बैठाया गया था. थाने में सीसीटीवी कैमरे का भी उन्होंने अवलोकन किया. अधीनस्थ अधिकारियों से घटना के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की. इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष कुंवर को भी लक्ष्मणझूला थाने में तलब किया गया. डीआईजी ने संतोष कुंवर से भी पूछताछ कर मामले की पूरी जानकारी ली.

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डीआईजी करन सिंह ने बताया कि वह केदार सिंह के मामले में डीजीपी के निर्देश पर अपनी जांच शुरू कर चुके हैं. जल्द ही जांच पूरी कर मामले में वह अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेंगे. उन्होंने दावा किया कि जांच के बाद मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

ऋषिकेश: पुलिस हिरासत से छूटकर गंगा में कूदने वाले केदार भंडारी मामले में डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल (DIG Garhwal Karan Singh Nagnyal) ने जांच शुरू कर दी है. आज गढ़वाल डीआईजी ने मामले में सबसे पहले परमार्थ निकेतन में हुई चोरी के संबंध में कर्मचारियों और प्रबंधकों से पूछताछ की. इसके बाद वे लक्ष्मण झूला थाने पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों से भी मामले की जानकारी ली.

क्या है केदार सिंह मामला: पुलिस के मुताबिक, 22 अगस्त को चुनेर गांव का केदार भंडारी अग्निवीर भर्ती के लिए कोटद्वार आया था. वापसी में वह तपोवन के होटल में रुका. जहां उस पर परमार्थ निकेतन में चोरी करने का आरोप लगा. मामले में मुनिकी रेती थाना पुलिस ने आरोपी को पकड़ कर लक्ष्मण झूला थाना पुलिस के हवाले कर दिया. परमार्थ निकेतन की ओर से आरोपी के पकड़े जाने तक कोई तहरीर नहीं मिली. इसलिए पुलिस ने केदार सिंह को बैरक में एक पीआरडी जवान की निगरानी में बैठा दिया.

पुलिस का दावा है कि इस दौरान केदार भंडारी पीआरडी के जवान को धक्का देकर थाने से बाहर भाग गया. जिसका पुलिस ने काफी दूर तक पीछा किया, मगर केदार भंडारी लक्ष्मण झूला पुल पर चढ़कर गंगा में कूद गया. यह सारी घटना स्थानीय लोगों ने भी देखी. वहीं, सीसीटीवी कैमरे में भी पूरी वारदात कैद हुई. तभी से लगातार केदार के परिजन पुलिस पर उत्पीड़न करने और लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहे हैं.

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मामले में कोटद्वार के एएसपी शेखर सुयाल अपनी जांच पूरी कर चुके हैं. जिसमें पीआरडी के जवान और थाना लक्ष्मण झूला के हेड मुहर्रिर की लापरवाही सामने आई है. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार शायद एएसपी जांच से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं. इसलिए उन्होंने मामले की जांच अब डीआइजी गढ़वाल को सौंप दी है. जांच प्रभावित ना हो इसके लिए लक्ष्मण झूला थाना प्रभारी संतोष सिंह को भी थाने के प्रभाव से मुक्त करते हुए उन्हें पौड़ी पुलिस कार्यालय भेज दिया गया है.

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जांच मिलने के बाद पहली बार डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल केस इन्वेस्टिगेशन के लिए लक्ष्मण झूला थाना पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले परमार्थ निकेतन में कर्मचारियों और प्रबंधकों से चोरी के संबंध में बातचीत कर पूछताछ की. जिसके बाद वह लक्ष्मण झूला थाने आए. थाने का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने वह बैरक देखी जहां केदार सिंह को बैठाया गया था. थाने में सीसीटीवी कैमरे का भी उन्होंने अवलोकन किया. अधीनस्थ अधिकारियों से घटना के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की. इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष कुंवर को भी लक्ष्मणझूला थाने में तलब किया गया. डीआईजी ने संतोष कुंवर से भी पूछताछ कर मामले की पूरी जानकारी ली.

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डीआईजी करन सिंह ने बताया कि वह केदार सिंह के मामले में डीजीपी के निर्देश पर अपनी जांच शुरू कर चुके हैं. जल्द ही जांच पूरी कर मामले में वह अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेंगे. उन्होंने दावा किया कि जांच के बाद मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

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