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Uttarakhand Politics: CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम! त्रिवेंद्र के बयानों से बैकफुट पर सरकार - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुश्किलें जितनी विपक्षी नेताओं ने बढ़ा रखी है, उससे कई ज्यादा अपने घेरने में लगे हुए हैं. बात हो रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के उन बयानों की जिनकी वजह से धामी सरकार सवालों के घेरे में हैं.

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Published : Feb 20, 2023, 7:40 PM IST

Updated : Feb 21, 2023, 2:48 PM IST

CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम!

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जितना गैरों यानी कांग्रेस के निशाने पर हैं, उतना ही अपनों के निशाने पर भी हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सत्ता संभलाने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं. हाल फिलहाल की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बीते हुए बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज को भी गलत बताया है. सरकार ने भले ही इस मामले में कुछ खुलकर नहीं कहा हो. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो पुलिस की इस कार्रवाई के लिए युवाओं से माफी भी मांग चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुछ बयान इन दिनों उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा के विषय बने हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने जिस तरह से बेरोजगारों पर पुलिस के लाठीचार्ज का गलत बताते हुए माफी मांगी, उसने जहां वो प्रदेश में अपनी एक अलग छवि दिखाने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के इस तरह के बयान बीजेपी सरकार को ही मुश्किलें में डालने वाले हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से साफ पता चलता है कि वो सरकार की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.
पढ़ें- CM Dhami on Paper Leak: 'मैं भी पेपर लीक केस की CBI जांच कराना चाहता हूं, लेकिन...'

हालांकि उनके इस बयान को इस बार आगामी लोकसभा चुनाव 2025 से भी जोड़कर देखा जा रहा है. उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं और पांचों ही सीटों पर युवाओं की निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में यदि युवा बीजेपी से छिटक गया तो लोकसभा चुनाव जीतना पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगा. वहीं, चर्चाएं इस तरह की भी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इसीलिए अपनी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए भी युवाओं से लाठीचार्ज के मुद्दे पर माफी मांगने से गुरेज नहीं कर रहे हैं.

सरकार को घेरने को मौका नहीं छोड़ा: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली बार अपनी सरकार के खिलाफ कोई इस तरह का बयान नहीं दिया है, बल्कि इससे पहले भी वो कई बार अपने बयानों और सवालों से सरकार को बैकफुट पर ला चुके हैं. हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत को जोशीमठ संकट को लेकर दिया बयान भी काफी सुर्खियों में आया था, जिसमें उन्होंने सरकार के उस फैसले पर सवाल खड़े किए थे, जिसमें जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) को खत्म किया गया था. जिला विकास प्राधिकरण का फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यक्राल में लिया है, जिस बाद में धामी सरकार ने बदल दिया था.
पढ़ें- Dehradun Lathicharge: 'अपनों' पर ही भड़के त्रिवेंद्र! बोले- पुलिस बताए किसके इशारे पर किया लाठीचार्ज?

तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बिना नाम लिए कहा था कि कभी-कभी जनता ऐसे नेताओं को चुन लेती है और उन नेताओं के ऊपर इस तरह की जिम्मेदारी अचानक आ जाती है ,जो उस जिम्मेदारी को उठाने के लायक या अनुभवी नहीं होते हैं. यह बयान भी सीधे तौर पर मौजूदा सरकार के लिए देखा जा रहा था.

सीएम धामी को नहीं दिया श्रेय: दिल्ली में चर्चित छावला रेपकांड में जब कोर्ट ने आरोपियों को निर्दोष मुक्त किया गया तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की गई. उत्तराखंड के सभी नेताओं ने रिव्यू पिटीशन का श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिया, लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बचाए राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता अनिल बलूनी की तारीफ की. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अनिल बलूनी को रिव्यू पिटीशन का श्रेय देते हुए सोशल मीडिया पर कई पोस्ट भी किए.
पढ़ें- Chardham Yatra 2023: सीएम धामी की महत्वपूर्ण बैठक कल, 10 विभागों के अधिकारी देंगे प्रेजेंटेशन

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व में सलाहकार रहे पंवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जांच के आदेश दिए तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इशारों ही इशारों में सरकार के मुखिया पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सभी लोग जानते हैं कि यह सब क्या हो रहा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में ब्लैक मेलिंग की पॉलिटिक्स नहीं चलनी चाहिए और यह राज्य के लिए किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने दिखाया आइना: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर कांग्रेस ने चुटकी ली है. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हो या वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी, सत्ता में आने के बाद दोनों ही एक तरीके से काम करते हैं. गरिमा दसौनी का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए न तो कोई भर्ती हुई और नहीं कोई परीक्षा. धामी सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा ही हो रहा है.

रही बात बेरोजगार युवाओं से माफी मांगने की तो कांग्रेस का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत शायद चमोली में हुए महिलाओं पर लाठीचार्ज को भूल गए हैं. कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को शिक्षिका बहुगुणा का मामला भी याद दिला दिया. कांग्रेस ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारते हैं. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर जानकारों का मानना है कि त्रिवेंद्र भले ही सीएम की कुर्सी से हट गए हो, लेकिन उनके इरादे अभी भी सत्ता की गलियारों में चर्चाओं में रहने के हैं.

CM धामी पर गैरों से ज्यादा 'अपनों' का सितम!

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जितना गैरों यानी कांग्रेस के निशाने पर हैं, उतना ही अपनों के निशाने पर भी हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सत्ता संभलाने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं. हाल फिलहाल की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बीते हुए बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज को भी गलत बताया है. सरकार ने भले ही इस मामले में कुछ खुलकर नहीं कहा हो. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो पुलिस की इस कार्रवाई के लिए युवाओं से माफी भी मांग चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुछ बयान इन दिनों उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा के विषय बने हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने जिस तरह से बेरोजगारों पर पुलिस के लाठीचार्ज का गलत बताते हुए माफी मांगी, उसने जहां वो प्रदेश में अपनी एक अलग छवि दिखाने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के इस तरह के बयान बीजेपी सरकार को ही मुश्किलें में डालने वाले हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से साफ पता चलता है कि वो सरकार की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.
पढ़ें- CM Dhami on Paper Leak: 'मैं भी पेपर लीक केस की CBI जांच कराना चाहता हूं, लेकिन...'

हालांकि उनके इस बयान को इस बार आगामी लोकसभा चुनाव 2025 से भी जोड़कर देखा जा रहा है. उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं और पांचों ही सीटों पर युवाओं की निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में यदि युवा बीजेपी से छिटक गया तो लोकसभा चुनाव जीतना पार्टी के लिए मुश्किल हो जाएगा. वहीं, चर्चाएं इस तरह की भी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इसीलिए अपनी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए भी युवाओं से लाठीचार्ज के मुद्दे पर माफी मांगने से गुरेज नहीं कर रहे हैं.

सरकार को घेरने को मौका नहीं छोड़ा: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली बार अपनी सरकार के खिलाफ कोई इस तरह का बयान नहीं दिया है, बल्कि इससे पहले भी वो कई बार अपने बयानों और सवालों से सरकार को बैकफुट पर ला चुके हैं. हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत को जोशीमठ संकट को लेकर दिया बयान भी काफी सुर्खियों में आया था, जिसमें उन्होंने सरकार के उस फैसले पर सवाल खड़े किए थे, जिसमें जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) को खत्म किया गया था. जिला विकास प्राधिकरण का फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यक्राल में लिया है, जिस बाद में धामी सरकार ने बदल दिया था.
पढ़ें- Dehradun Lathicharge: 'अपनों' पर ही भड़के त्रिवेंद्र! बोले- पुलिस बताए किसके इशारे पर किया लाठीचार्ज?

तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बिना नाम लिए कहा था कि कभी-कभी जनता ऐसे नेताओं को चुन लेती है और उन नेताओं के ऊपर इस तरह की जिम्मेदारी अचानक आ जाती है ,जो उस जिम्मेदारी को उठाने के लायक या अनुभवी नहीं होते हैं. यह बयान भी सीधे तौर पर मौजूदा सरकार के लिए देखा जा रहा था.

सीएम धामी को नहीं दिया श्रेय: दिल्ली में चर्चित छावला रेपकांड में जब कोर्ट ने आरोपियों को निर्दोष मुक्त किया गया तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की गई. उत्तराखंड के सभी नेताओं ने रिव्यू पिटीशन का श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिया, लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बचाए राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता अनिल बलूनी की तारीफ की. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अनिल बलूनी को रिव्यू पिटीशन का श्रेय देते हुए सोशल मीडिया पर कई पोस्ट भी किए.
पढ़ें- Chardham Yatra 2023: सीएम धामी की महत्वपूर्ण बैठक कल, 10 विभागों के अधिकारी देंगे प्रेजेंटेशन

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व में सलाहकार रहे पंवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जांच के आदेश दिए तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इशारों ही इशारों में सरकार के मुखिया पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सभी लोग जानते हैं कि यह सब क्या हो रहा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में ब्लैक मेलिंग की पॉलिटिक्स नहीं चलनी चाहिए और यह राज्य के लिए किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने दिखाया आइना: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर कांग्रेस ने चुटकी ली है. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हो या वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी, सत्ता में आने के बाद दोनों ही एक तरीके से काम करते हैं. गरिमा दसौनी का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए न तो कोई भर्ती हुई और नहीं कोई परीक्षा. धामी सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा ही हो रहा है.

रही बात बेरोजगार युवाओं से माफी मांगने की तो कांग्रेस का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत शायद चमोली में हुए महिलाओं पर लाठीचार्ज को भूल गए हैं. कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को शिक्षिका बहुगुणा का मामला भी याद दिला दिया. कांग्रेस ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारते हैं. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर जानकारों का मानना है कि त्रिवेंद्र भले ही सीएम की कुर्सी से हट गए हो, लेकिन उनके इरादे अभी भी सत्ता की गलियारों में चर्चाओं में रहने के हैं.

Last Updated : Feb 21, 2023, 2:48 PM IST
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