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'चारधाम यात्रा की गति को करेंगे धीमा', दिव्य-भव्य यात्रा से पहले उत्तराखंड सरकार का सरेंडर! - चारधाम यात्रा की गति को करेंगे धीमा

उत्तराखंड चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देख धामी सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं. सरकार अभी यात्रा को सीमित करने जा रही है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने खुद इसको लेकर बड़ा बयान दिया है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के इस बयान के बाद साफ हो जाता है कि सरकार ने चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले व्यवस्थाओं को लेकर जो दावे किए थे, वो महज दो हफ्तों में ही दम तोड़ चुके हैं.

Uttarakhand Chardham Yatra
उत्तराखंड चारधाम यात्रा
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Published : May 17, 2022, 4:03 PM IST

Updated : May 17, 2022, 7:43 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के शुरुआती चरण में ही सरकार की सारी व्यवस्थाओं ने दम तोड़ दिया है. चारधाम यात्रा में बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या ने सरकार के पसीने निकाल दिए हैं. भारी संख्या में तीर्थयात्रियों को संभाल पाना सरकार और प्रशासन के बूते से बाहर हो गया है. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसकी तस्दीक खुद पर्यटक मंत्री सतपाल महाराज कर रहे हैं. दुबई से लौटने से बाद उन्होंने उत्तराखंड चारधाम यात्रा का जो हाल देखा, उसके बाद उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है. जिसके मायने निकाले जाए तो धामी सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर सरेंडर कर दिया है.

जमीनी हकीकत से दूर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री वैसे तो दुबई तक में जाकर खुद चारधाम यात्रा पर आने के लिए लोगों को निमंत्रण देकर आए हैं. लेकिन जैसे ही वे दुबई दौरे से उत्तराखंड पहुंचे तो स्थिति देख उनके भी हाथ-पांव फूल गए और उन्होंने चरमराती व्यवस्थाओं के बीच हथियार डालना शुरू कर दिया है. सतपाल महाराज ने खुद कहा है कि वे चारधाम यात्रा को धीमी करने जा रहे हैं. इस बारे में उन्होंने खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात भी की है.

दिव्य-भव्य यात्रा से पहले उत्तराखंड सरकार का सरेंडर!
पढ़ें- चारधाम यात्रा: गौरीकुंड में तीन घंटे बंद रहा केदारनाथ पैदल मार्ग, 2 घंटे बाद खुला बदरीनाथ हाईवे

सरकार के छूटे पसीने: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज करीब एक हफ्ते बाद हाल ही में दुबई दौरे से लौटे हैं. इसके बाद उन्होंने चारधाम यात्रा पर उठ रहे सवालों के बीच अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे मामले की जानकारी ली. अधिकारियों से उन्होंने क्या बातचीत की, इसको लेकर तो कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. लेकिन इतना जरूर है कि चारधाम यात्रा के संचालन में सरकार, शासन और प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं.

तीर्थयात्रियों से लूट: चारधाम में न तो यात्रियों के रहने के कोई खास इंतजाम हो पाए हैं और न ही अन्य व्यवस्थाएं सरकार जुटा पाई है. हालात इतने खराब है कि केदारनाथ और यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भी जाम लग रहा है. पैदल मार्गों पर तीर्थयात्रियों को चलना मुश्किल हो रहा है. स्थानीय व्यापारियों ने लूट मचा रखी है. 20 से 25 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल 100 से बिक रही है.
पढ़ें- यमुनोत्री धाम में जान जोखिम में डालकर नदी में स्नान कर रहे श्रद्धालु, कागजों में घाट निर्माण!

पीएमओ ने भी लिया संज्ञान: सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौती चारधाम यात्रा में मरने वाले श्रद्धालुओं की है. चारधाम में अभीतक 40 तीर्थयात्री दम तोड़ चुके हैं. अधिकतर श्रद्धालुओं की मौत बीमारी के कारण हुई है, लेकिन मौत का कारण समय पर इलाज नहीं मिलना भी रहा है. यही कारण है कि पीएमओ ने खुद चारधाम यात्रा में दम तोड़ रहे तीर्थयात्रियों का संज्ञान लिया और व्यवस्थाओं को जिम्मा एनडीआरएफ और आईटीबीपी के हवाले कर दिया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब एनडीआरएफ और आईटीबीपी को चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं में शामिल किया गया है.

दर्शन के लिए करना होगा इंतजार: हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी से इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालु बेहद परेशानी महसूस कर रहे हैं. लिहाजा सब बातों को देखकर अब सतपाल महाराज को यह लगता है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या वहां की कैपेसिटी के हिसाब से तय होनी चाहिए. यानी जो हजारों श्रद्धालु हरिद्वार और ऋषिकेश एवं अन्य यात्रा मार्गो पर चल रहे हैं, उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है.
पढ़ें- द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर शीतकालीन गद्दीस्थल से धाम के लिए रवाना, 19 मई को खुलेंगे कपाट

उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की रफ्तार अब धामी सरकार धीमी करने जा रही है. इसको लेकर खुद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा की. सतपाल महाराज की माने तो राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनकी बातों पर सहमति जताई है और आने वाले दिनों में सरकार इस ओर कदम बढ़ाने जा रही है.

सरकार ने किया नजरअंदाज: इस बार चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे, इसका अंदाजा सरकार को पहले से ही था. लेकिन उस हिसाब से व्यवस्थाएं नहीं की गई. सरकार स्थिति तभी भांप गई थी. जब चारधाम यात्रा के लिए बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन होना शुरू हो गया था. हेली सेवा के लिए इतनी बुकिंग हुई कि दोबारा उस वेबसाइट पर विजिट करना भी श्रद्धालुओं के लिए मुश्किल हो रहा था. अप्रैल में ही जून तक की हेली सेवा फुल हो गई थी. लेकिन सरकार ने इन सब बातों को नजरअंदाज किया और जिसका परिणाम आज तीर्थयात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.

देश के कोने-कोने से श्रद्धालु चारधाम जाने के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर चारधाम जाने के लिए बसें तक नहीं मिल रही हैं. लोग कई-कई घंटे रजिस्ट्रेशन काउंटर पर खड़े रहते हैं, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि रजिस्ट्रेशन स्लॉट फुल हो गया है. कई यात्री तो बिना दर्शन किए ही ऋषिकेश से वापस लौट जा रहे हैं.

कांग्रेस बोली भक्तों का अपमान: कांग्रेस पहले दिन से ही चारधाम यात्रा की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस इस मौके पर सरकार को जमकर घेर रही है. कांग्रेस का कहना है कि मौजूदा सरकार भक्तों का तिरस्कार कर रही है, जबकि उत्तराखंड की संस्कृति में सभी पर्यटकों को सम्मान किया जाता है. लेकिन चारधाम यात्रा पर जिस तरह से तैयारियां ध्वस्त हो रही हैं, उससे सरकार और उनके सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है.

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के शुरुआती चरण में ही सरकार की सारी व्यवस्थाओं ने दम तोड़ दिया है. चारधाम यात्रा में बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या ने सरकार के पसीने निकाल दिए हैं. भारी संख्या में तीर्थयात्रियों को संभाल पाना सरकार और प्रशासन के बूते से बाहर हो गया है. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसकी तस्दीक खुद पर्यटक मंत्री सतपाल महाराज कर रहे हैं. दुबई से लौटने से बाद उन्होंने उत्तराखंड चारधाम यात्रा का जो हाल देखा, उसके बाद उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है. जिसके मायने निकाले जाए तो धामी सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर सरेंडर कर दिया है.

जमीनी हकीकत से दूर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री वैसे तो दुबई तक में जाकर खुद चारधाम यात्रा पर आने के लिए लोगों को निमंत्रण देकर आए हैं. लेकिन जैसे ही वे दुबई दौरे से उत्तराखंड पहुंचे तो स्थिति देख उनके भी हाथ-पांव फूल गए और उन्होंने चरमराती व्यवस्थाओं के बीच हथियार डालना शुरू कर दिया है. सतपाल महाराज ने खुद कहा है कि वे चारधाम यात्रा को धीमी करने जा रहे हैं. इस बारे में उन्होंने खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात भी की है.

दिव्य-भव्य यात्रा से पहले उत्तराखंड सरकार का सरेंडर!
पढ़ें- चारधाम यात्रा: गौरीकुंड में तीन घंटे बंद रहा केदारनाथ पैदल मार्ग, 2 घंटे बाद खुला बदरीनाथ हाईवे

सरकार के छूटे पसीने: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज करीब एक हफ्ते बाद हाल ही में दुबई दौरे से लौटे हैं. इसके बाद उन्होंने चारधाम यात्रा पर उठ रहे सवालों के बीच अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे मामले की जानकारी ली. अधिकारियों से उन्होंने क्या बातचीत की, इसको लेकर तो कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. लेकिन इतना जरूर है कि चारधाम यात्रा के संचालन में सरकार, शासन और प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं.

तीर्थयात्रियों से लूट: चारधाम में न तो यात्रियों के रहने के कोई खास इंतजाम हो पाए हैं और न ही अन्य व्यवस्थाएं सरकार जुटा पाई है. हालात इतने खराब है कि केदारनाथ और यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भी जाम लग रहा है. पैदल मार्गों पर तीर्थयात्रियों को चलना मुश्किल हो रहा है. स्थानीय व्यापारियों ने लूट मचा रखी है. 20 से 25 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल 100 से बिक रही है.
पढ़ें- यमुनोत्री धाम में जान जोखिम में डालकर नदी में स्नान कर रहे श्रद्धालु, कागजों में घाट निर्माण!

पीएमओ ने भी लिया संज्ञान: सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौती चारधाम यात्रा में मरने वाले श्रद्धालुओं की है. चारधाम में अभीतक 40 तीर्थयात्री दम तोड़ चुके हैं. अधिकतर श्रद्धालुओं की मौत बीमारी के कारण हुई है, लेकिन मौत का कारण समय पर इलाज नहीं मिलना भी रहा है. यही कारण है कि पीएमओ ने खुद चारधाम यात्रा में दम तोड़ रहे तीर्थयात्रियों का संज्ञान लिया और व्यवस्थाओं को जिम्मा एनडीआरएफ और आईटीबीपी के हवाले कर दिया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब एनडीआरएफ और आईटीबीपी को चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं में शामिल किया गया है.

दर्शन के लिए करना होगा इंतजार: हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी से इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालु बेहद परेशानी महसूस कर रहे हैं. लिहाजा सब बातों को देखकर अब सतपाल महाराज को यह लगता है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या वहां की कैपेसिटी के हिसाब से तय होनी चाहिए. यानी जो हजारों श्रद्धालु हरिद्वार और ऋषिकेश एवं अन्य यात्रा मार्गो पर चल रहे हैं, उन्हें और इंतजार करना पड़ सकता है.
पढ़ें- द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर शीतकालीन गद्दीस्थल से धाम के लिए रवाना, 19 मई को खुलेंगे कपाट

उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की रफ्तार अब धामी सरकार धीमी करने जा रही है. इसको लेकर खुद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा की. सतपाल महाराज की माने तो राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनकी बातों पर सहमति जताई है और आने वाले दिनों में सरकार इस ओर कदम बढ़ाने जा रही है.

सरकार ने किया नजरअंदाज: इस बार चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे, इसका अंदाजा सरकार को पहले से ही था. लेकिन उस हिसाब से व्यवस्थाएं नहीं की गई. सरकार स्थिति तभी भांप गई थी. जब चारधाम यात्रा के लिए बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन होना शुरू हो गया था. हेली सेवा के लिए इतनी बुकिंग हुई कि दोबारा उस वेबसाइट पर विजिट करना भी श्रद्धालुओं के लिए मुश्किल हो रहा था. अप्रैल में ही जून तक की हेली सेवा फुल हो गई थी. लेकिन सरकार ने इन सब बातों को नजरअंदाज किया और जिसका परिणाम आज तीर्थयात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.

देश के कोने-कोने से श्रद्धालु चारधाम जाने के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर चारधाम जाने के लिए बसें तक नहीं मिल रही हैं. लोग कई-कई घंटे रजिस्ट्रेशन काउंटर पर खड़े रहते हैं, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि रजिस्ट्रेशन स्लॉट फुल हो गया है. कई यात्री तो बिना दर्शन किए ही ऋषिकेश से वापस लौट जा रहे हैं.

कांग्रेस बोली भक्तों का अपमान: कांग्रेस पहले दिन से ही चारधाम यात्रा की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस इस मौके पर सरकार को जमकर घेर रही है. कांग्रेस का कहना है कि मौजूदा सरकार भक्तों का तिरस्कार कर रही है, जबकि उत्तराखंड की संस्कृति में सभी पर्यटकों को सम्मान किया जाता है. लेकिन चारधाम यात्रा पर जिस तरह से तैयारियां ध्वस्त हो रही हैं, उससे सरकार और उनके सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है.

Last Updated : May 17, 2022, 7:43 PM IST
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