देहरादून: उत्तराखंड में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं. उत्तराखंड का 72 फ़ीसदी हिस्सा वनाच्छादित क्षेत्र है. ऐसे में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने को लेकर राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने ईको टूरिज्म की नई पॉलिसी को मंजूरी दे दी है. ऐसे में इस नई पॉलिसी के तहत इको टूरिज्म के जरिए होने वाले इनकम का मात्र 10 फीसदी हिस्सा राजस्व के रूप में राज्य को प्राप्त होगा, जबकि, 90 फीसदी हिस्सा ईको टूरिज्म के स्थलों को विकसित करने में खर्च किया जाएगा.
इसके साथ ही प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने को लेकर ईको डेवलपमेंट कमेटी का गठन किया गया है. प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ईको डेवलपमेंट कमेटी का गठन किया गया है. जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ईको डेवलपमेंट कमेटी बनाई गई है. प्रदेश में जिन- जिन जगहों पर ईको टूरिज्म की संभावनाएं हैं उन उन जगहों को तलाशा जाएगा. इसके लिए सभी डीएफओ को निर्देश दे दिए गए हैं. ऐसे में अगर वन क्षेत्र में ईको टूरिज्म प्लेस चिन्हित किया जाता है तो उसके लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ईको डेवलपमेंट कमेटी गठित की जाएगी.
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इसी तरह से जिन- जिन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म प्लेस चिन्हित किए जाएंगे, वहां स्थानीय स्तर पर ईको डेवलपमेंट कमेटी बनाई जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया ईको टूरिज्म की इस नई पॉलिसी में यह व्यवस्था की गई है कि वन पंचायतों और वन क्षेत्रों में मौजूद ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन से जितनी कमाई होगी उसमें से मात्र 10 फीसदी इनकम राज्य सरकार को दी जाएगी. बाकी 90 फीसदी धनराशि ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन को विकसित करने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए खर्च किया जाएगा.
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इस नई पॉलिसी के जरिए करीब एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. प्रदेश में तमाम ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन की ईको डेवलपमेंट कमेटी के जरिए अपग्रेड किया जाएगा. प्रदेश के बुग्यालो में नाइट स्टे पर अभी भी रोक लगी हुई है. जिस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा इसके लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. बेहतर वकील के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जाएगी.