देहरादूनः पूरे देश में नवरात्रि पर्व के मौके पर इनदिनों श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी क्रम में देहरादून-दिल्ली रोड पर स्थित प्रसिद्ध डाट काली सिद्धपीठ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मां डाट काली को भगवान शिव की पत्नी देवी सती का अंश भी माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक खास वजह है.
देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम के साथ हिंदू देवी-देवताओं के कई प्रसिद्ध मंदिर और सिद्ध पीठ भी मौजूद हैं. एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ राजधानी देहरादून में भी स्थित है. यहां पर श्रद्धालुओं की आस्था 1804 से भी पहले से जुड़ी हुई है. माता डाट काली का पौराणिक सिद्ध मंदिर पीठ मां काली को समर्पित माना जाता है. इस पौराणिक मंदिर के स्थापना के बारे में महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की स्थापना साल 1804 में हुई थी. उस दौर में यहां सिर्फ जंगल मौजूद थे. उन्होंने बताया कि एक दिन मां डाट काली उनके किसी पूर्वज के सपने में आईं और मंदिर स्थापित करने को कहा. जिससे देहरादून से सहारनपुर, दिल्ली जाने वाली सड़क बन पाये. महंत का कहना है कि माता के आशीर्वाद से ही लोग आसानी से देहरादून से दिल्ली इस मार्ग से जा पाते हैं.
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नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि वो बीते कई सालों से माता के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं. इस बार वो पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि माता के आशीर्वाद लेने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही कहा कि यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है.
माना जाता है कि डाट काली के इस प्रसिद्ध मंदिर में एक दिव्य ज्योति साल 1921 से लगातार जल रही है. ये भी मान्यता हो कि कोई व्यक्ति नया वाहन खरीदने के बाद यहां पूजन के लिए जरूर लाता है. दांपत्य जीवन की शुरुआत करने वाले नए जोड़े भी विवाह के बाद माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.