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98 साल से लगातार इस मंदिर में जल रही दिव्य ज्योति, दर्शन करने से पूरी हो जाती है हर मनोकामना

नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि वो बीते कई सालों से माता के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि माता के आशीर्वाद लेने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही कहा कि यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है.

डाट काली सिद्धपीठ मंदिर
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Published : Apr 10, 2019, 9:55 AM IST

देहरादूनः पूरे देश में नवरात्रि पर्व के मौके पर इनदिनों श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी क्रम में देहरादून-दिल्ली रोड पर स्थित प्रसिद्ध डाट काली सिद्धपीठ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मां डाट काली को भगवान शिव की पत्नी देवी सती का अंश भी माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक खास वजह है.

डाट काली सिद्धपीठ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़.


देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम के साथ हिंदू देवी-देवताओं के कई प्रसिद्ध मंदिर और सिद्ध पीठ भी मौजूद हैं. एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ राजधानी देहरादून में भी स्थित है. यहां पर श्रद्धालुओं की आस्था 1804 से भी पहले से जुड़ी हुई है. माता डाट काली का पौराणिक सिद्ध मंदिर पीठ मां काली को समर्पित माना जाता है. इस पौराणिक मंदिर के स्थापना के बारे में महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की स्थापना साल 1804 में हुई थी. उस दौर में यहां सिर्फ जंगल मौजूद थे. उन्होंने बताया कि एक दिन मां डाट काली उनके किसी पूर्वज के सपने में आईं और मंदिर स्थापित करने को कहा. जिससे देहरादून से सहारनपुर, दिल्ली जाने वाली सड़क बन पाये. महंत का कहना है कि माता के आशीर्वाद से ही लोग आसानी से देहरादून से दिल्ली इस मार्ग से जा पाते हैं.

ये भी पढ़ेंः भेजें स्याही लगी अंगुली के साथ सेल्फी और Etv Bharat पर पाएं दिखने का मौका

नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि वो बीते कई सालों से माता के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं. इस बार वो पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि माता के आशीर्वाद लेने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही कहा कि यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है.


माना जाता है कि डाट काली के इस प्रसिद्ध मंदिर में एक दिव्य ज्योति साल 1921 से लगातार जल रही है. ये भी मान्यता हो कि कोई व्यक्ति नया वाहन खरीदने के बाद यहां पूजन के लिए जरूर लाता है. दांपत्य जीवन की शुरुआत करने वाले नए जोड़े भी विवाह के बाद माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

देहरादूनः पूरे देश में नवरात्रि पर्व के मौके पर इनदिनों श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी क्रम में देहरादून-दिल्ली रोड पर स्थित प्रसिद्ध डाट काली सिद्धपीठ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मां डाट काली को भगवान शिव की पत्नी देवी सती का अंश भी माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक खास वजह है.

डाट काली सिद्धपीठ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़.


देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम के साथ हिंदू देवी-देवताओं के कई प्रसिद्ध मंदिर और सिद्ध पीठ भी मौजूद हैं. एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ राजधानी देहरादून में भी स्थित है. यहां पर श्रद्धालुओं की आस्था 1804 से भी पहले से जुड़ी हुई है. माता डाट काली का पौराणिक सिद्ध मंदिर पीठ मां काली को समर्पित माना जाता है. इस पौराणिक मंदिर के स्थापना के बारे में महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की स्थापना साल 1804 में हुई थी. उस दौर में यहां सिर्फ जंगल मौजूद थे. उन्होंने बताया कि एक दिन मां डाट काली उनके किसी पूर्वज के सपने में आईं और मंदिर स्थापित करने को कहा. जिससे देहरादून से सहारनपुर, दिल्ली जाने वाली सड़क बन पाये. महंत का कहना है कि माता के आशीर्वाद से ही लोग आसानी से देहरादून से दिल्ली इस मार्ग से जा पाते हैं.

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नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि वो बीते कई सालों से माता के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं. इस बार वो पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि माता के आशीर्वाद लेने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही कहा कि यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है.


माना जाता है कि डाट काली के इस प्रसिद्ध मंदिर में एक दिव्य ज्योति साल 1921 से लगातार जल रही है. ये भी मान्यता हो कि कोई व्यक्ति नया वाहन खरीदने के बाद यहां पूजन के लिए जरूर लाता है. दांपत्य जीवन की शुरुआत करने वाले नए जोड़े भी विवाह के बाद माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं.

Intro:उत्तराखंड विश्व भर में देवभूमि के नाम से जाना जाता है यहां चार धाम होने के साथ ही हिंदू देवी देवताओं के कई प्रसिद्ध मंदिर व सिद्ध पीठ भी मौजूद हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ सूबे की राजधानी देहरादून मे भी स्थित है। जिससे श्रद्धालुओं की आस्था आज से नहीं बल्कि सन 1804 से भी पहले से जुड़ी हुई है।

हम बात कर रहे हैं देहरादून-दिल्ली रोड पर स्थित प्रसिद्ध डाट काली सिद्धपीठ मंदिर की । जहां साल भर यूं तो श्रद्धालुओं का ताता लगा ही रहता है । वहीं नवरात्रों के मौके पर यहां दूर दूर से माता के दर्शनों के लिए पहुचने वाले श्रद्धालुओ की संख्या और भी बढ़ जाती है ।

बता दें कि माता डाट काली का यह प्रसिद्ध पौराणिक सिद्ध पीठ मां काली को पूर्णता समर्पित है । माँ डाट काली को भगवान शिव की पत्नी देवी सती का अंश भी माना जाता है । इस पौराणिक मंदिर के स्थापना के बारे में बताते हुए मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना साल 1804 में हुई थी ।जिसके पीछे एक खास कहानी है ।




Body:महंत रमन प्रसाद गौस्वामी के अनुसार उस दौर में यहां सिर्फ जंगल मौजूद थे । ऐसे में एक दिन मां डाट काली उनके किसी पूर्वज के सपने में आई और कहा कि वह यहां उनका मंदिर स्थापित करें तभी देहरादून से सहारनपुर, दिल्ली जाने की सड़क यहां बन पाएगी । यह माता के आशीर्वाद का ही असर है कि आज लोग दूनवासी आसानी से देहरादून से दिल्ली इस सड़क मार्ग से जा पाते हैं । जहां सड़क किनारे माता डाट काली का यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।

बाइट- महंत रमन प्रसाद गोस्वामी


आपको बता दें कि इस मंदिर से लोगों की आस्था सालों से जुड़ी हुई है । माता के दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि वह बीते कई सालों से माता के दर्शनों के लिए यहां पहुंच रहे हैं माता के आशीर्वाद से अब तक उनकी कई मनोकामनाएं पूर्ण हुई है यही कारण है कि वह हर बार यहां खिंचे चले आते हैं यहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है।

बाइट- श्रद्धालु







Conclusion:वहीं माता डाट काली के इस प्रसिद्ध मंदिर की अन्य विशेषताओं की बात करें तो इस मंदिर में एक दिव्य ज्योति साल 1921 से लगातार जल रही है। इसके अलावा सालों से यह मान्यता भी चली आ रही है कि जब भी कोई व्यक्ति नया वाहन खरीदना है तो वह अपने वाहन को इस मंदिर में माता के आशीर्वाद के लिए जरूर लेकर आता है । अपने वाहन को यहां लाने से माता के आशीर्वाद से वो हमेशा सुरक्षित यात्रा कर पाते हैं। यही नहीं दांपत्य जीवन की शुरुआत करने वाले नए जोड़े भी विवाह के बाद माता का आशीर्वाद लेने यहां जरूर पहुंचते हैं।

बाइट- पंडित डाट काली मंदिर
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