विकासनगर: उत्तराखंड अपनी अनूठी संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है. जिससे देवभूमि उत्तराखंड की देश-विदेश में अलग पहचान बनी हुई है. यहां हर कदम पर देवताओं का वास है. इसी क्रम में जौनसार बावर अंतर्गत आने वाले हनोल स्थित महासू देवता का ऐसा मंदिर है जहां पौष महीने में मंदिर आने और देव दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं. दूर-दूर से भक्त बोठा महासू मंदिर हनोल पहुंचकर रात्रि जागरण करके देवता की स्तुति करते हैं.
पौष में भक्तों का लगता है जमावड़ा: हनोल महासू देवता मंदिर के राजगुरु पूरणनाथ ने बताया कि पौष का महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है. बोठा महासू महाराज बड़े दयालु और न्याय प्रिय देवता हैं. इनको लेकर ऐसी मान्यता है कि पौष माह में जो भी श्रद्धालु अपनी कठिन से कठिन समस्या लेकर देवता के दर्शन करने मंदिर आता है और सच्ची श्रद्धा-भाव से एक रात्रि जागकर देवता की स्तुति करता है, तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि देव दर्शन करने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.
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उत्तरकाशी में भक्तों ने चढ़ाया चांदी का त्रिशूल और डमरू: उधर भगवद भक्ति का कोई ओर छोर नहीं है. ऐसा ही कुछ उत्तरकाशी के तुनालका गांव में देखने को मिला. यहां की माताओं और बहन बेटियों ने अपने ईष्ट देव भदेश्वर महाराज को चांदी का त्रिशूल और डमरू चढ़ाए हैं. चांदी के त्रिशूल और डमरू के लिए इन लोगों ने साढ़े चार लाख रुपए जमा किए. भदेश्वर महाराज को भगवान शिव का रूप माना जाता है.
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