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मॉनसून में भी 'ऊर्जा' प्रदेश पर संकट बरकरार, रोजाना खरीदनी पड़ रही ₹2 करोड़ की बिजली

बिजली उत्पादन के लिए मशहूर उत्तराखंड बिजली संकट से घिरता जा रहा है. राज्य के 22 साल के सफर को अगर देखें तो अब ऊर्जा प्रदेश एक जुमला लगता है. उत्तराखंड में ऊर्जा संकट लगातार बना हुआ है. आलम ये है कि उत्तराखंड में करीब 50 से 51 मिलियन यूनिट बिजली की हर दिन जरूरत पड़ रही है, जबकि हर दिन केवल 20 मिलियन यूनिट ही उत्पादन हो पा रहा है.

Uttarakhand Electricity
उत्तराखंड बिजली
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Published : Jul 15, 2022, 5:26 PM IST

Updated : Jul 15, 2022, 9:52 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन के तहत प्रदेश भर के तमाम क्षेत्रों में भारी बारिश के होने के बावजूद बिजली का संकट कम नहीं हो पा रहा है. स्थिति यह है कि हर दिन करीब 5 से 6 मिलियन यूनिट बिजली की कमी हो रही है. इसे खरीदने के लिए बाजार से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह मॉनसून के दौरान परियोजना में आने वाली गाद है, जिसके चलते परियोजनाओं को कुछ समय के लिए बंद तक करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड में गर्मी के दौरान डिमांड के अचानक बढ़ने के चलते बिजली संकट गहराता हुआ नजर आया था. हालांकि, मॉनसून आते ही प्रदेश में बिजली की कमी कुछ कम हुई है, लेकिन अब भी राज्य में बिजली का संकट बरकरार है. आंकड़े बताते हैं कि अभी प्रदेश में उत्पादन के लिहाज से डिमांड में बेहद ज्यादा अंतर है. चौंकाने वाली बात यह है कि बरसात आने के बावजूद राज्य में डिमांड कम नहीं हुई है.

मॉनसून में भी 'ऊर्जा' प्रदेश पर संकट बरकरार.

यही कारण है कि डिमांड की तुलना में राज्य में हो रहा करीब 50% उत्पादन प्रदेश पर बिजली संकट को बरकरार रखे हुए है. अच्छी बात यह है कि बिजली की भारी कमी के बावजूद कॉर्पोरेशन की तरफ से बिजली कटौती बेहद सीमित की जा रही है. फिलहाल, करीब 2 से 4 घंटे की ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर बिजली कटौती की जा रही है. उधर, प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों को बिजली कटौती से दूर रखा गया है.

उत्तराखंड में बिजली की जरूरत व खपत

  • उत्तराखंड में करीब 50 से 51 मिलियन यूनिट बिजली की हर दिन जरूरत.
  • उत्तराखंड में केवल 20 मिलियन यूनिट ही उत्पादन कर पा रहा है UJVNL.
  • केन्द्रांश से करीब 24 मिलियन यूनिट बिजली राज्य को हो रही प्राप्त.
  • करीब 4 से 6 मिलियन यूनिट हर दिन पड़ रही कम.
  • खुले बाजार से 4 से 5 रुपए/यूनिट मिल रही है बिजली.
  • करीब 2 करोड़ की बिजली हर दिन खरीदने को मजबूर UPCL.

ये भी पढ़ेंः अघोषित बिजली कटौती से अंधेरे में डूबा उत्तराखंड! 'हालात नहीं सुधरे तो होगा इंडस्ट्री का पलायन'

उत्तराखंड के लिए बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह राज्य में पिछले 10 सालों के दौरान बिजली उत्पादन का ना बढ़ना है. ये हाल तब है कि इन 10 सालों में कुछ नई परियोजनाएं शुरू तो हुईं लेकिन उत्पादन जस का तस बना हुआ है. उत्तराखंड जल विद्युत निगम की तरफ से 18 परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जो मॉनसून के दौरान फिलहाल कई बार सिल्ट (मलबा) आने के कारण कई घंटों या पूरे दिन भी बंद करनी पड़ रही है.

यूपीसीएल के अधिकारी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में कई बार 100 से 300 मिलियन यूनिट तक की बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इस सबसे इतर उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए उत्पादन में बेहतर स्थिति बताने की कोशिश कर रहे हैं. निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल कहते हैं कि कुल 18 परियोजनाएं फिलहाल निगम की तरफ से संचालित की जा रही है, जो कि सभी गतिमान है.

1 अप्रैल से 13 जुलाई 2022 तक का ब्योरा देते हुए प्रबंध निदेशक कहते हैं कि इस दौरान 1693 मिलियन यूनिट का उत्पादन किया गया जो कि पिछले साल 2021 में इसी अवधि के दौरान 1402 मिलियन यूनिट था. इस तरह इस साल 290 मिलियन यूनिट उत्पादन में बढ़ोतरी का दावा प्रबंध निदेशक की तरफ से किया गया. हालांकि, इसमें वह दो नई परियोजनाओं का उत्पादन भी शामिल है जो हाल ही में शुरू की गई है.
ये भी पढ़ेंः जुमला साबित हुआ उत्तराखंड का 'ऊर्जा प्रदेश' का नारा, 17 परियोजनाओं के बावजूद बेहाल

राज्य में बिजली उत्पादन की कुल स्थिति देखें तो 10 साल पहले करीब 2010 के दौरान प्रदेश में साल भर का उत्पादन 5261 मिलियन यूनिट था और इस दौरान डिमांड 10571 मिलियन यूनिट थी. यानी डिमांड के लिहाज से उत्पादन आधा हो पा रहा था. आंकड़े बताते हैं कि 10 साल बाद यानी 2021-22 में भी यह अंतर इसी तरह बरकरार है और फिलहाल 5157 मिलियन यूनिट का उत्पादन हो रहा है, तो वहीं डिमांड अब 10679 पर पहुंच गई है. इस तरह डिमांड तो बड़ी है लेकिन उत्पादन की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है.

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन के तहत प्रदेश भर के तमाम क्षेत्रों में भारी बारिश के होने के बावजूद बिजली का संकट कम नहीं हो पा रहा है. स्थिति यह है कि हर दिन करीब 5 से 6 मिलियन यूनिट बिजली की कमी हो रही है. इसे खरीदने के लिए बाजार से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह मॉनसून के दौरान परियोजना में आने वाली गाद है, जिसके चलते परियोजनाओं को कुछ समय के लिए बंद तक करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड में गर्मी के दौरान डिमांड के अचानक बढ़ने के चलते बिजली संकट गहराता हुआ नजर आया था. हालांकि, मॉनसून आते ही प्रदेश में बिजली की कमी कुछ कम हुई है, लेकिन अब भी राज्य में बिजली का संकट बरकरार है. आंकड़े बताते हैं कि अभी प्रदेश में उत्पादन के लिहाज से डिमांड में बेहद ज्यादा अंतर है. चौंकाने वाली बात यह है कि बरसात आने के बावजूद राज्य में डिमांड कम नहीं हुई है.

मॉनसून में भी 'ऊर्जा' प्रदेश पर संकट बरकरार.

यही कारण है कि डिमांड की तुलना में राज्य में हो रहा करीब 50% उत्पादन प्रदेश पर बिजली संकट को बरकरार रखे हुए है. अच्छी बात यह है कि बिजली की भारी कमी के बावजूद कॉर्पोरेशन की तरफ से बिजली कटौती बेहद सीमित की जा रही है. फिलहाल, करीब 2 से 4 घंटे की ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर बिजली कटौती की जा रही है. उधर, प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों को बिजली कटौती से दूर रखा गया है.

उत्तराखंड में बिजली की जरूरत व खपत

  • उत्तराखंड में करीब 50 से 51 मिलियन यूनिट बिजली की हर दिन जरूरत.
  • उत्तराखंड में केवल 20 मिलियन यूनिट ही उत्पादन कर पा रहा है UJVNL.
  • केन्द्रांश से करीब 24 मिलियन यूनिट बिजली राज्य को हो रही प्राप्त.
  • करीब 4 से 6 मिलियन यूनिट हर दिन पड़ रही कम.
  • खुले बाजार से 4 से 5 रुपए/यूनिट मिल रही है बिजली.
  • करीब 2 करोड़ की बिजली हर दिन खरीदने को मजबूर UPCL.

ये भी पढ़ेंः अघोषित बिजली कटौती से अंधेरे में डूबा उत्तराखंड! 'हालात नहीं सुधरे तो होगा इंडस्ट्री का पलायन'

उत्तराखंड के लिए बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह राज्य में पिछले 10 सालों के दौरान बिजली उत्पादन का ना बढ़ना है. ये हाल तब है कि इन 10 सालों में कुछ नई परियोजनाएं शुरू तो हुईं लेकिन उत्पादन जस का तस बना हुआ है. उत्तराखंड जल विद्युत निगम की तरफ से 18 परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जो मॉनसून के दौरान फिलहाल कई बार सिल्ट (मलबा) आने के कारण कई घंटों या पूरे दिन भी बंद करनी पड़ रही है.

यूपीसीएल के अधिकारी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में कई बार 100 से 300 मिलियन यूनिट तक की बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इस सबसे इतर उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए उत्पादन में बेहतर स्थिति बताने की कोशिश कर रहे हैं. निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल कहते हैं कि कुल 18 परियोजनाएं फिलहाल निगम की तरफ से संचालित की जा रही है, जो कि सभी गतिमान है.

1 अप्रैल से 13 जुलाई 2022 तक का ब्योरा देते हुए प्रबंध निदेशक कहते हैं कि इस दौरान 1693 मिलियन यूनिट का उत्पादन किया गया जो कि पिछले साल 2021 में इसी अवधि के दौरान 1402 मिलियन यूनिट था. इस तरह इस साल 290 मिलियन यूनिट उत्पादन में बढ़ोतरी का दावा प्रबंध निदेशक की तरफ से किया गया. हालांकि, इसमें वह दो नई परियोजनाओं का उत्पादन भी शामिल है जो हाल ही में शुरू की गई है.
ये भी पढ़ेंः जुमला साबित हुआ उत्तराखंड का 'ऊर्जा प्रदेश' का नारा, 17 परियोजनाओं के बावजूद बेहाल

राज्य में बिजली उत्पादन की कुल स्थिति देखें तो 10 साल पहले करीब 2010 के दौरान प्रदेश में साल भर का उत्पादन 5261 मिलियन यूनिट था और इस दौरान डिमांड 10571 मिलियन यूनिट थी. यानी डिमांड के लिहाज से उत्पादन आधा हो पा रहा था. आंकड़े बताते हैं कि 10 साल बाद यानी 2021-22 में भी यह अंतर इसी तरह बरकरार है और फिलहाल 5157 मिलियन यूनिट का उत्पादन हो रहा है, तो वहीं डिमांड अब 10679 पर पहुंच गई है. इस तरह डिमांड तो बड़ी है लेकिन उत्पादन की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है.

Last Updated : Jul 15, 2022, 9:52 PM IST
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