देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. वहीं, इसी कड़ी में बीजेपी-कांग्रेस लगातार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया के जरिए आचार संहिता लागू होने के बावजूद सरकार द्वारा नियुक्ति किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं.
हरीश रावत ने ट्वीट कर पूछा है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में अब भी नियुक्तियां जारी हैं. हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियां रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियां करने की कोशिश हो रही हैं. मुझे भरोसा है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा.
सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियां की हैं. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की ओर ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं. क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह नैतिक आधार तो उचित है? क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है? धज्जियां उड़ रही हैं. 57 हैं सब कर सकते हैं, वाह रे सत्ता के घमंड.
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#सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियां की हैं, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की और ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं। क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह नैतिक आधार पर तो छोड़िए नैतिक आधार तो उचित है,
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वहीं, हरीश रावत ने आबकारी कमिश्नर हटाए जाने को लेकर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा अब रहस्य समझ में आया कि क्यों आबकारी कमिश्नर को हटाया गया? आबकारी कमिश्नर यदि रहते तो सरकार एक ऐसा शासनादेश जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है, नहीं कर पाती. वह शासनादेश आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया है. आबकारी विभाग में किया गया है, जिसके जरिए जो उच्च स्पेसिफाइड मदिरा है, उसके विक्रय के लिए कई नियमों को शिथिल करते हुए लोगों को उपकृत किया गया है और सरकार भी उपकृत हुई है.