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सराहनीय पहल: अनाथों का सहारा बनी ये संस्था ले चुकी 38 बच्चों को गोद

देहरादून की एक निजी समाजसेवी संस्था ने सराहनीय कदम उठाया है. संस्था Just Open Yourself अनाथ बच्चों के पठन-पाठन का खर्चा उठाने के लिए आगे आई है. इसके साथ ही संस्था 38 अनाथ बच्चों को गोद ले चुकी है.

Uttarakhand Corona News
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Published : Jul 20, 2021, 2:58 PM IST

देहरादून: कोरोना महामारी ने जहां प्रदेश के हजारों लोगों की जिंदगियों को निगल लिया, वहीं कई बच्चे अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो गए. ऐसे में राज्य सरकार वात्सल्य योजना के तहत अनाथ बच्चों की आर्थिक सहायता और उनके पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान कर चुकी है. वहीं, प्रदेश की कई निजी संस्थाएं भी बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे बढ़ रही हैं.

राजधानी देहरादून की एक निजी सामाजसेवी संस्था Just Open Yourself भी अनाथ बच्चों के पठन-पाठन का खर्चा उठाने के लिए आगे आई है. युवाओं की JOY नाम की इस समाजसेवी संस्था ने भी कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान किया है. संस्था के संस्थापक जय शर्मा ने बताया की उनकी संस्था कोरोना काल में अनाथ हुए 100 बच्चों के पठन-पाठन का खर्च उठाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके तहत संस्था से जुड़े सभी युवा सदस्य अपने खर्च पर इन बच्चों के पठन-पाठन का खर्च उठाएंगे.

निजी संस्था की सराहनीय पहल.

जय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था ने अभी तक कोरोना काल में अनाथ हुए 38 बच्चों को गोद लिया है. इसमें देहरादून, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद के कई ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना काल में या तो अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है या फिर किसी बच्चे ने अपने पिता को खो दिया है और उनकी मां के पास आय का कोई साधन नहीं है.

पढ़ें- कोविड प्रोटोकॉल के तहत मनाई जाए बकरीद, कुर्बानी प्रथा पर लगे रोक- महंत नरेंद्र गिरि

ऐसे में जय शर्मा ने सभी प्रदेशवासियों से अपील की है कि अगर उनकी नजर में कोई ऐसा बच्चा है, जो कोरोना काल में अनाथ हो चुका है, तो ऐसे बच्चों की जानकारी उन तक जरूर पहुंचाएं. इस पहल के माध्यम से उनका लक्ष्य यही है कि प्रदेश का कोई भी बच्चा किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित न रह जाए. संस्था की वेबसाइट www.Justopenyourself.org या फिर संस्था के संस्थापक जय शर्मा के मोबाइल नंबर 8979839966 पर सीधे संपर्क कर इसकी जानकारी दे सकते हैं.

उत्तराखंड में जुलाई 2021 की शुरुआत तक 1600 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है. सबसे ज्यादा मामले देहरादून से 432 सामने आए हैं. उधमसिंह नगर से 227 और हरिद्वार से ऐसे 179 मामले सामने आए हैं. उत्तराखंड सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए वात्सल्य योजना शुरू की है. इस योजना के तहत बच्चों को प्रतिमाह 3000 रुपए दिए जा रहे हैं.

देहरादून: कोरोना महामारी ने जहां प्रदेश के हजारों लोगों की जिंदगियों को निगल लिया, वहीं कई बच्चे अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो गए. ऐसे में राज्य सरकार वात्सल्य योजना के तहत अनाथ बच्चों की आर्थिक सहायता और उनके पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान कर चुकी है. वहीं, प्रदेश की कई निजी संस्थाएं भी बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे बढ़ रही हैं.

राजधानी देहरादून की एक निजी सामाजसेवी संस्था Just Open Yourself भी अनाथ बच्चों के पठन-पाठन का खर्चा उठाने के लिए आगे आई है. युवाओं की JOY नाम की इस समाजसेवी संस्था ने भी कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के पठन-पाठन की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान किया है. संस्था के संस्थापक जय शर्मा ने बताया की उनकी संस्था कोरोना काल में अनाथ हुए 100 बच्चों के पठन-पाठन का खर्च उठाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके तहत संस्था से जुड़े सभी युवा सदस्य अपने खर्च पर इन बच्चों के पठन-पाठन का खर्च उठाएंगे.

निजी संस्था की सराहनीय पहल.

जय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था ने अभी तक कोरोना काल में अनाथ हुए 38 बच्चों को गोद लिया है. इसमें देहरादून, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद के कई ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना काल में या तो अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है या फिर किसी बच्चे ने अपने पिता को खो दिया है और उनकी मां के पास आय का कोई साधन नहीं है.

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ऐसे में जय शर्मा ने सभी प्रदेशवासियों से अपील की है कि अगर उनकी नजर में कोई ऐसा बच्चा है, जो कोरोना काल में अनाथ हो चुका है, तो ऐसे बच्चों की जानकारी उन तक जरूर पहुंचाएं. इस पहल के माध्यम से उनका लक्ष्य यही है कि प्रदेश का कोई भी बच्चा किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित न रह जाए. संस्था की वेबसाइट www.Justopenyourself.org या फिर संस्था के संस्थापक जय शर्मा के मोबाइल नंबर 8979839966 पर सीधे संपर्क कर इसकी जानकारी दे सकते हैं.

उत्तराखंड में जुलाई 2021 की शुरुआत तक 1600 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है. सबसे ज्यादा मामले देहरादून से 432 सामने आए हैं. उधमसिंह नगर से 227 और हरिद्वार से ऐसे 179 मामले सामने आए हैं. उत्तराखंड सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए वात्सल्य योजना शुरू की है. इस योजना के तहत बच्चों को प्रतिमाह 3000 रुपए दिए जा रहे हैं.

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