ETV Bharat / state

लॉकडाउन की मार से अभी भी नहीं उभर पाए व्यापारी, कारोबार को रफ्तार देने की कोशिश जारी

आज से 5 दिन बाद यानी 23 मार्च 2021 को उत्तराखंड में लॉकडाउन को एक साल पूरा हो जाएगा. आर्थिक नुकसान झेल रहे लोगों की जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य तौर पर पटरी पर लौटने लगी है. लेकिन अभी भी व्यापारी आर्थिक नुकसान उठाने के लिए मजबूर हैं.

dehradun
देहरादून
author img

By

Published : Mar 18, 2021, 2:36 PM IST

देहरादून: देश के साथ ही विश्वभर में आज भी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. लेकिन अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. लेकिन बात 2020 में लगे लॉकडाउन की करें तो आज से 5 दिन बाद यानि 23 मार्च 2020 को देश में पूर्ण लॉकडाउन जारी कर दिया गया था, जो अगले पांच महीनों तक जारी रहा था. जिसके चलते जहां एक तरफ आम जनता की आर्थिक स्थिति पूरी तरह कमजोर हो गई तो वहीं स्थानीय व्यापारियों को भी खासे नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. विशेषकर अगर बात कपड़ा व्यापारी, सर्राफा, होटल व्यवसायियों और पीजी संचालकों की करें तो इन सभी व्यापारियों को लॉकडाउन के इस दौर में करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ. जिससे अभी तक भी लोग उभर नहीं पाए हैं.

उत्तराखंड में लॉकडाउन का एक साल

ईटीवी भारत से बात करते हुए दूध उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन नागलिया बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते व्यापारियों की कमर पूरी तरह से टूट चुकी थी. यह वह दौर था जब किराना व्यापारियों के व्यापार ने जोर पकड़ा. लोगों ने लॉकडाउन को देखते हुए तरह-तरह की खाद्य सामग्रियों की खूब खरीदारी की. लेकिन दूसरी तरफ कपड़ा व्यापारियों और सराफा व्यापारियों का व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ गया. लेकिन अब स्थानीय व्यापारी उभरने में जुटे हुए हैं.

Dehradun
23 मार्च को उत्तराखंड में लॉकडाउन को हो रहा एक साल पूरा

ये भी पढ़ेंः मसूरी विधानसभा क्षेत्र का यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से है वंचित

वहीं दूसरी तरफ बात टूरिज्म इंडस्ट्री की करें तो, टूरिज्म इंडस्ट्री के अंतर्गत आने वाले होटल व्यवसायियों को भी लॉकडाउन के चलते भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. स्थानीय होटल व्यापारी हरीश विरमानी बताते हैं कि लॉकडाउन की मार होटल व्यापारियों पर ऐसी पड़ी कि अब तक भी कई होटल व्यापारी अपना होटल शुरू नहीं कर पाए हैं. वर्तमान में जिंदगी सामान्य पटरी पर जरूर लौट आई है. लेकिन अभी भी होटल इंडस्ट्री का कारोबार सिर्फ 20 से 30% तक ही बढ़ पाया है. ऐसे में आज भी शहर के विभिन्न होटल नुकसान में ही अपना कारोबार चलाने को मजबूर हैं.

कुछ ऐसा ही हाल अन्य छोटे व्यापारियों का भी है. बात उन व्यापारियों की करें जो शहर में छोटे-छोटे पीजी (पेयिंग गेस्ट) का संचालन करते हैं. लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेजों के बंद होने की वजह से पीजी संचालकों को भी भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. स्थानीय पीजी संचालक सोनू साहनी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच पिछले साल मार्च महीने में जारी लॉकडाउन के बाद से ही उनका पीजी नहीं चल रहा है. स्कूल कॉलेज स्कूल जरूर खुल चुके हैं लेकिन अभी भी बाहरी शहरों के छात्र-छात्राएं ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में उनका पीजी पूरी तरह से बंद है, जो उनकी कमाई का एक मात्र साधन था.

कुल मिलाकर देखें तो मार्च 2020 में जारी पूर्ण लॉकडाउन में हुए आर्थिक नुकसान से उभरने में अभी भी व्यापारियों को काफी लंबा वक्त लगने जा रहा है. ऐसे में स्थानीय व्यापारी यही कामना करते हैं कि जिस तरह देश के अन्य राज्यों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति प्रदेश में पैदा न हो. क्योंकि यदि दोबारा लॉकडाउन की स्थिति बनती है तो, इस बार स्थानीय व्यापारी लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान से बिल्कुल उभर नहीं पाएंगे.

देहरादून: देश के साथ ही विश्वभर में आज भी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. लेकिन अब जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. लेकिन बात 2020 में लगे लॉकडाउन की करें तो आज से 5 दिन बाद यानि 23 मार्च 2020 को देश में पूर्ण लॉकडाउन जारी कर दिया गया था, जो अगले पांच महीनों तक जारी रहा था. जिसके चलते जहां एक तरफ आम जनता की आर्थिक स्थिति पूरी तरह कमजोर हो गई तो वहीं स्थानीय व्यापारियों को भी खासे नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. विशेषकर अगर बात कपड़ा व्यापारी, सर्राफा, होटल व्यवसायियों और पीजी संचालकों की करें तो इन सभी व्यापारियों को लॉकडाउन के इस दौर में करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ. जिससे अभी तक भी लोग उभर नहीं पाए हैं.

उत्तराखंड में लॉकडाउन का एक साल

ईटीवी भारत से बात करते हुए दूध उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन नागलिया बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते व्यापारियों की कमर पूरी तरह से टूट चुकी थी. यह वह दौर था जब किराना व्यापारियों के व्यापार ने जोर पकड़ा. लोगों ने लॉकडाउन को देखते हुए तरह-तरह की खाद्य सामग्रियों की खूब खरीदारी की. लेकिन दूसरी तरफ कपड़ा व्यापारियों और सराफा व्यापारियों का व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ गया. लेकिन अब स्थानीय व्यापारी उभरने में जुटे हुए हैं.

Dehradun
23 मार्च को उत्तराखंड में लॉकडाउन को हो रहा एक साल पूरा

ये भी पढ़ेंः मसूरी विधानसभा क्षेत्र का यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से है वंचित

वहीं दूसरी तरफ बात टूरिज्म इंडस्ट्री की करें तो, टूरिज्म इंडस्ट्री के अंतर्गत आने वाले होटल व्यवसायियों को भी लॉकडाउन के चलते भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. स्थानीय होटल व्यापारी हरीश विरमानी बताते हैं कि लॉकडाउन की मार होटल व्यापारियों पर ऐसी पड़ी कि अब तक भी कई होटल व्यापारी अपना होटल शुरू नहीं कर पाए हैं. वर्तमान में जिंदगी सामान्य पटरी पर जरूर लौट आई है. लेकिन अभी भी होटल इंडस्ट्री का कारोबार सिर्फ 20 से 30% तक ही बढ़ पाया है. ऐसे में आज भी शहर के विभिन्न होटल नुकसान में ही अपना कारोबार चलाने को मजबूर हैं.

कुछ ऐसा ही हाल अन्य छोटे व्यापारियों का भी है. बात उन व्यापारियों की करें जो शहर में छोटे-छोटे पीजी (पेयिंग गेस्ट) का संचालन करते हैं. लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेजों के बंद होने की वजह से पीजी संचालकों को भी भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा. स्थानीय पीजी संचालक सोनू साहनी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच पिछले साल मार्च महीने में जारी लॉकडाउन के बाद से ही उनका पीजी नहीं चल रहा है. स्कूल कॉलेज स्कूल जरूर खुल चुके हैं लेकिन अभी भी बाहरी शहरों के छात्र-छात्राएं ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में उनका पीजी पूरी तरह से बंद है, जो उनकी कमाई का एक मात्र साधन था.

कुल मिलाकर देखें तो मार्च 2020 में जारी पूर्ण लॉकडाउन में हुए आर्थिक नुकसान से उभरने में अभी भी व्यापारियों को काफी लंबा वक्त लगने जा रहा है. ऐसे में स्थानीय व्यापारी यही कामना करते हैं कि जिस तरह देश के अन्य राज्यों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति प्रदेश में पैदा न हो. क्योंकि यदि दोबारा लॉकडाउन की स्थिति बनती है तो, इस बार स्थानीय व्यापारी लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान से बिल्कुल उभर नहीं पाएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.