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PPE KIT के नाम पर निजी अस्पतालों में लूट, आंख मूंदे है सरकार

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Published : Jun 3, 2021, 3:27 PM IST

Updated : Jun 3, 2021, 6:02 PM IST

उत्तराखंड में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) निजी अस्पतालों के लिए मुनाफे का जरिया बनी हुई है. राज्य में पीपीई किट को लेकर फिलहाल कोई कमी नहीं है. बावजूद इसके निजी अस्पताल मरीजों से इसके कई गुना ज्यादा दाम वसूल रहे हैं.

PPE KIT के नाम पर लूट
PPE KIT के नाम पर लूट

देहरादून: कोरोना काल में जहां लोग जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं वहीं, यह महामारी कई लोगों के लिए कालाबाजारी और मुनाफाखोरी का जरिया बन चुकी है. इस संक्रमण काल में ऑक्सीजन, दवा और एंबुलेंस सहित अस्पतालों में बेड को लेकर कालाबाजारी किसी सी छुपी नहीं है. वहीं, देश के साथ-साथ देहरादून का भी हाल कमोवेश यही है. कोरोना काल में डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और संक्रमितों के लिए रक्षा कवच माना जाने वाला पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) भी मुनाफखोरी का जरिया बना हुआ है. राजधानी के निजी अस्पतालों में पीपीई किट के नाम पर कई गुना दाम वसूलने का खेल चल रहा है. देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट....

PPE KIT के नाम पर निजी अस्पतालों में लूट

पीपीई किट के नाम पर लूट

उत्तराखंड में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) निजी अस्पतालों के लिए मुनाफे का जरिया बनी हुई हैं. राज्य में पीपीई किट को लेकर फिलहाल कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके निजी अस्पताल मरीजों से इसके लिए कई गुना दाम वसूल रहे हैं. आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी कि इसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग और सरकार को भी है, लेकिन कोरोना महामारी के वक्त सरकार का निजी अस्पतालों से डर, ऐसे मामलों में कार्रवाई करने से उन्हें रोक रहा है. पीपीई किट को लेकर ईटीवी भारत ने स्थितियों का जायजा लिया, जिसमें पीपीई किट को लेकर प्राइवेट अस्पतालों का लूटतंत्र का देखने को मिला.

पीपीई किट का तीन गुना दाम वसूला जा रहा

कोरोना महामारी की पहली लहर में में पीपीई किट की डिमांड बढ़ने से इसकी कालाबाजारी बढ़ी थी. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में 1200 रुपए इलाज के साथ पीपीई किट का दाम तय किया. हालांकि पहली लहर के बाद कोरोना के मामले धीरे-धीरे बेहद कम हो गए. इस बीच स्थानीय स्तर पर ही पीपीई किट का प्रोडक्शन भी होने लगा. इससे पीपीई किट के दाम काफी कम हो गए. पीपीई किट के दाम ₹700 तक पहुंच गये. लेकिन प्रोडक्शन को लेकर कोई कमी नहीं होने के बावजूद भी निजी अस्पतालों ने इस पर लूट जारी रखी. आपको हैरानी होगी कि आज भी जब पीपीई किट बाजार में आसानी से ₹250 में मिल रही है. वहीं, निजी अस्पताल अभी भी हर किट पर ₹850 तक वसूल रहे हैं. एक ओर महामारी काल में लोग पहले ही बीमारी से जूझ रहे हैं और आर्थिक रूप से परेशान हैं, लेकिन लोगों की मजबूरी का फायदा निजी अस्पताल उठाने में लगे हैं, जो वाकई शर्मिंदा करने वाली बात है.

ये भी पढ़ें: वैक्सीन ऑन व्हील सेवा की शुरूआत, ग्रामीणों और निराश्रितों का घर पर होगा वैक्सीनेशन

अमित से सुनिए अस्पताल की मनमानी

तीमारदार अमित जिनके पिता घर में कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं, कोविड संक्रमित होने की वजह से अमित ने पिता को देहरादून के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया है. अमित बताते हैं कि अस्पताल वाले पीपीई किट के 850 रुपये वसूल रहे हैं, लेकिन बाजार में 250 रुपये की है, इसलिए वे बाजार से ये किट लाए हैं. जबकि राज्य सरकार ने कोरोना इलाज के लिए रेट तय किए हुए हैं. खास बात यह है कि इस तय रेट में पीपीई किट का दाम भी जोड़ा गया है. इसके बावजूद अस्पताल मरीज से अलग से पीपीई किट के पैसे क्यों ले रहा है, यह मरीजों के तीमारदारों को भी समझ नहीं आ रहा है ?

अस्पताल की डिमांड से तीमारदार परेशान

इससे भी बड़ी बात यह है कि अस्पताल के अंदर 3 गुना से ज्यादा दाम पर इस किट को बेचा जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि हर मरीज के तीमारदार से पीपीई किट मंगाई जाती है. जाहिर है कि मरीजों के रूम में डॉक्टर या स्टाफ एक चक्कर में एक किट पहन कर जाते होंगे. इसके बावजूद हर मरीज से पीपीई किट मंगाना सवाल पैदा करता है. अब नरेंद्र सिंह भी अस्पताल द्वारा मंगाए जा रहे पीपीई किट के दाम और कारण को लेकर हैरानी जता रहे हैं.

पीपीई किट क्यों है महत्वपूर्ण

इस रिपोर्ट में आपका यह जानना जरूरी है कि आखिरकार संक्रमण काल में पीपीई किट क्यों सबसे महत्वपूर्ण है. दरअसल पीपीई किट का पूरा नाम पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट है. नाम से ही जाहिर है कि इसका किस रूप में प्रयोग किया जाता है. हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच रहा है. ऐसे में संक्रमित व्यक्ति का इलाज करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसी चुनौती से पार पाने के लिए पीपीई किट काम आती है. पीपीई किट व्यक्ति के सर से लेकर पांव तक बना एक परिधान है, जो प्लास्टिक का होता है. इसके अंदर वायरस नहीं घुस सकता. मरीज का चेकअप और उसका ट्रीटमेंट करने के दौरान चिकित्सक इसका प्रयोग करते हैं. यही नहीं बाकी अस्पताल का स्टाफ मरीज से संक्रमित ना हो, इसके लिए मरीज के आसपास साफ-सफाई से लेकर दूसरे किसी भी कार्य के लिए पीपीई किट पहनकर ही स्टाफ मरीज के कमरे में दाखिल होता है.

सरकार को अस्पतालों की मनमानी की जानकारी

निजी अस्पतालों की मनमानी की सारी जानकारी सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों को है. इसके बावजूद सरकार कोई कड़ा कदम नहीं उठा रही है. कोरोना की पहली लहर में पीपीई किट की कालाबाजारी पर रोकथाम को लेकर छापेमारी भी हुई और कई लोग पकड़े भी गए. लेकिन किसी भी निजी अस्पताल में ना तो छापेमारी की गई और ना ही उन पर कोई कार्रवाई हुई. इसके बावजूद सरकार के कैबिनेट मंत्री इस पर अपना एक तर्क देते नजर आ रहे हैं.

हरक सिंह रावत ने कार्रवाई की बात कही

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि पूर्व में छापेमारी की गई थी. लेकिन सरकार ने इसलिए कठोर कदम नहीं उठाया क्योंकि उस दौरान सरकार की प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाना था. अब ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. अगर कोई इसकी कालाबाजारी करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. अब देखने वाली बात होगी कि आपदा को अवसर बनाने वाले इन निजी अस्पतालों के खिलाफ सरकार कब और क्या कार्रवाई करती है.

देहरादून: कोरोना काल में जहां लोग जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं वहीं, यह महामारी कई लोगों के लिए कालाबाजारी और मुनाफाखोरी का जरिया बन चुकी है. इस संक्रमण काल में ऑक्सीजन, दवा और एंबुलेंस सहित अस्पतालों में बेड को लेकर कालाबाजारी किसी सी छुपी नहीं है. वहीं, देश के साथ-साथ देहरादून का भी हाल कमोवेश यही है. कोरोना काल में डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और संक्रमितों के लिए रक्षा कवच माना जाने वाला पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) भी मुनाफखोरी का जरिया बना हुआ है. राजधानी के निजी अस्पतालों में पीपीई किट के नाम पर कई गुना दाम वसूलने का खेल चल रहा है. देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट....

PPE KIT के नाम पर निजी अस्पतालों में लूट

पीपीई किट के नाम पर लूट

उत्तराखंड में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) निजी अस्पतालों के लिए मुनाफे का जरिया बनी हुई हैं. राज्य में पीपीई किट को लेकर फिलहाल कोई कमी नहीं है, बावजूद इसके निजी अस्पताल मरीजों से इसके लिए कई गुना दाम वसूल रहे हैं. आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी कि इसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग और सरकार को भी है, लेकिन कोरोना महामारी के वक्त सरकार का निजी अस्पतालों से डर, ऐसे मामलों में कार्रवाई करने से उन्हें रोक रहा है. पीपीई किट को लेकर ईटीवी भारत ने स्थितियों का जायजा लिया, जिसमें पीपीई किट को लेकर प्राइवेट अस्पतालों का लूटतंत्र का देखने को मिला.

पीपीई किट का तीन गुना दाम वसूला जा रहा

कोरोना महामारी की पहली लहर में में पीपीई किट की डिमांड बढ़ने से इसकी कालाबाजारी बढ़ी थी. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में 1200 रुपए इलाज के साथ पीपीई किट का दाम तय किया. हालांकि पहली लहर के बाद कोरोना के मामले धीरे-धीरे बेहद कम हो गए. इस बीच स्थानीय स्तर पर ही पीपीई किट का प्रोडक्शन भी होने लगा. इससे पीपीई किट के दाम काफी कम हो गए. पीपीई किट के दाम ₹700 तक पहुंच गये. लेकिन प्रोडक्शन को लेकर कोई कमी नहीं होने के बावजूद भी निजी अस्पतालों ने इस पर लूट जारी रखी. आपको हैरानी होगी कि आज भी जब पीपीई किट बाजार में आसानी से ₹250 में मिल रही है. वहीं, निजी अस्पताल अभी भी हर किट पर ₹850 तक वसूल रहे हैं. एक ओर महामारी काल में लोग पहले ही बीमारी से जूझ रहे हैं और आर्थिक रूप से परेशान हैं, लेकिन लोगों की मजबूरी का फायदा निजी अस्पताल उठाने में लगे हैं, जो वाकई शर्मिंदा करने वाली बात है.

ये भी पढ़ें: वैक्सीन ऑन व्हील सेवा की शुरूआत, ग्रामीणों और निराश्रितों का घर पर होगा वैक्सीनेशन

अमित से सुनिए अस्पताल की मनमानी

तीमारदार अमित जिनके पिता घर में कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं, कोविड संक्रमित होने की वजह से अमित ने पिता को देहरादून के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया है. अमित बताते हैं कि अस्पताल वाले पीपीई किट के 850 रुपये वसूल रहे हैं, लेकिन बाजार में 250 रुपये की है, इसलिए वे बाजार से ये किट लाए हैं. जबकि राज्य सरकार ने कोरोना इलाज के लिए रेट तय किए हुए हैं. खास बात यह है कि इस तय रेट में पीपीई किट का दाम भी जोड़ा गया है. इसके बावजूद अस्पताल मरीज से अलग से पीपीई किट के पैसे क्यों ले रहा है, यह मरीजों के तीमारदारों को भी समझ नहीं आ रहा है ?

अस्पताल की डिमांड से तीमारदार परेशान

इससे भी बड़ी बात यह है कि अस्पताल के अंदर 3 गुना से ज्यादा दाम पर इस किट को बेचा जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि हर मरीज के तीमारदार से पीपीई किट मंगाई जाती है. जाहिर है कि मरीजों के रूम में डॉक्टर या स्टाफ एक चक्कर में एक किट पहन कर जाते होंगे. इसके बावजूद हर मरीज से पीपीई किट मंगाना सवाल पैदा करता है. अब नरेंद्र सिंह भी अस्पताल द्वारा मंगाए जा रहे पीपीई किट के दाम और कारण को लेकर हैरानी जता रहे हैं.

पीपीई किट क्यों है महत्वपूर्ण

इस रिपोर्ट में आपका यह जानना जरूरी है कि आखिरकार संक्रमण काल में पीपीई किट क्यों सबसे महत्वपूर्ण है. दरअसल पीपीई किट का पूरा नाम पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट है. नाम से ही जाहिर है कि इसका किस रूप में प्रयोग किया जाता है. हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच रहा है. ऐसे में संक्रमित व्यक्ति का इलाज करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसी चुनौती से पार पाने के लिए पीपीई किट काम आती है. पीपीई किट व्यक्ति के सर से लेकर पांव तक बना एक परिधान है, जो प्लास्टिक का होता है. इसके अंदर वायरस नहीं घुस सकता. मरीज का चेकअप और उसका ट्रीटमेंट करने के दौरान चिकित्सक इसका प्रयोग करते हैं. यही नहीं बाकी अस्पताल का स्टाफ मरीज से संक्रमित ना हो, इसके लिए मरीज के आसपास साफ-सफाई से लेकर दूसरे किसी भी कार्य के लिए पीपीई किट पहनकर ही स्टाफ मरीज के कमरे में दाखिल होता है.

सरकार को अस्पतालों की मनमानी की जानकारी

निजी अस्पतालों की मनमानी की सारी जानकारी सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों को है. इसके बावजूद सरकार कोई कड़ा कदम नहीं उठा रही है. कोरोना की पहली लहर में पीपीई किट की कालाबाजारी पर रोकथाम को लेकर छापेमारी भी हुई और कई लोग पकड़े भी गए. लेकिन किसी भी निजी अस्पताल में ना तो छापेमारी की गई और ना ही उन पर कोई कार्रवाई हुई. इसके बावजूद सरकार के कैबिनेट मंत्री इस पर अपना एक तर्क देते नजर आ रहे हैं.

हरक सिंह रावत ने कार्रवाई की बात कही

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि पूर्व में छापेमारी की गई थी. लेकिन सरकार ने इसलिए कठोर कदम नहीं उठाया क्योंकि उस दौरान सरकार की प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाना था. अब ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. अगर कोई इसकी कालाबाजारी करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. अब देखने वाली बात होगी कि आपदा को अवसर बनाने वाले इन निजी अस्पतालों के खिलाफ सरकार कब और क्या कार्रवाई करती है.

Last Updated : Jun 3, 2021, 6:02 PM IST
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