देहरादून: आयुष विभाग में निदेशक पद को लेकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है. विभाग में जिस अधिकारी को जांच के नाम पर हटाया जाता है उसे फिर जांच पूरी हुए बिना उसी पद पर बैठाने की तैयारी की जा रही है. वहीं आयुष विभाग में निदेशक के पद पर रहे विवादित अधिकारी डॉ0 अरुण त्रिपाठी पर सरकार एक बार फिर मेहरबान नजर आ रही है.
गौरतलब है कि अंदरखाने अरुण त्रिपाठी को एक बार फिर निदेशक बनाने की तैयारी हो रही है. दरअसल, अरुण त्रिपाठी को नियुक्तियों में लापरवाही करने, चहेतों को एडजेस्ट करने व दवाओं की खरीद- फरोख्त में अनियमितता के आरोप में आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने जांच के आदेश देते हुए निदेशक पद से हटाकर विश्व विद्यालय में अटैच किया था. अभी जांच शासन स्तर पर लंबित है, लेकिन अब एक बार फिर विवादित अधिकारी को आयुष मंत्री निदेशक बनाने की तैयारी चल रही है.
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हालांकि आयुष मंत्री हरक सिंह रावत निदेशक के पद पर काबिज होने वाले विवादित अधिकारी को अपने स्तर पर क्लीन चिट दे रहे हैं. उनके अनुसार अभी अरुण त्रिपाठी पर लगाये गए आरोप अभी जांच गतिमान है. लेकिन जांच के चलते उनकी नियुक्ति पर रोक नहीं लगाई जा सकती. हरक सिंह रावत के मुताबिक अरुण त्रिपाठी को स्थाई नियुक्ति नहीं दी जा रही है और अधिकारियों की कमी के चलते उन्हें इस पद पर बैठाना मजबूरी है.