देहरादून: वर्ष 2017 में ऋषिकेश में दो मासूम बच्चियों से दुष्कर्म-हत्या मामले में आरोपित सेवादार परवान सिंह की सजा के खिलाफ देहरादून पुलिस एक बार फिर पुनर्विचार याचिका को लेकर सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट) के दरवाजे पहुंच चुकी है. हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकार से अनुमति मिलने के उपरांत 15 जून 2020 को दून पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. लेकिन तकनीकी कारणों की वजह से उस वक्त यह याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं की थी. ऐसे में इस जघन्य अपराध के मामले में हाईकोर्ट से बरी होने वाले सेवादार परवान सिंह के खिलाफ पुलिस ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जो विचाराधीन है.
आपको बता दें कि सेवादार परवान सिंह पर आरोप है कि 15 जून 2017 को उसने ऋषिकेश के श्यामपुर पुलिस चौकी के समीप दो मासूम बच्चियों से दुष्कर्म और हत्या कर दी थी. 7 साल और 3 साल की बच्ची के साथ हुए इस जघन्य अपराध में ऋषिकेश के गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह को आरोपित मानते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
घटनास्थल से आरोपी सेवादार के दाढ़ी के बाल सहित पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट जैसे साक्ष्य और सुबूत कानूनी प्रक्रिया में शामिल किए गए. वही मामले में सभी तरह के एविडेंस को ध्यान में रखकर मासूम बच्चों से दुष्कर्म और हत्या मामले में देहरादून पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी सेवादार परवान सिंह को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि इस मामले में कुछ दिनों बाद सेवादार को नैनीताल हाईकोर्ट से बरी कर दिया गया.
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मामले में मासूम बच्चियों के आरोपी को हाईकोर्ट से बरी किए जाने के बाद दून पुलिस ने शासन को मुख्यालय के स्तर से प्रस्ताव भेजा. जिसके बाद राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद आरोपी सेवादार के खिलाफ दून पुलिस 15 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट पहुंची. हालांकि पहली अपील में तकनीकी कारणों के चलते सर्वोच्च अदालत ने उस याचिका को वापस कर दिया था. ऐसे में अब एक बार फिर 3 फरवरी 2021 को दून पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जो विचारधीन है.
बता दें कि 15 जून 2017 को ऋषिकेश के श्यामपुर पुलिस चौकी से कुछ दूरी पर गुरुद्वारे के पास दिनदहाड़े दो मासूम बच्चियों से दुष्कर्म और हत्या करने का मामला सामने आया था. मामले में गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह पर दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगा था. मामले में पुलिस ने अब सुप्रीम कोर्ट में आरोपी के खिलाफ एक बार फिर से अपील की, जो विचाराधीन है.