देहरादून/हरिद्वार/श्रीनगर/चमोली: यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे उत्तराखंड के छात्रों के सब्र का बांध टूटने लगा है. छात्रों का कहना है कि भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी तो जारी कर दी कि सब छात्रों को पोलैंड और हंगरी के बॉर्डर से ले जाया जाएगा लेकिन तीन दिन बाद भी अभी तक कोई उनकी मदद के लिए नहीं पहुंच पाया है. वहीं, बाहर बम धमाकों की आवाजें उन्हें हर पल बेचैन कर रही हैं.
यूक्रेन के खारकीव में फंसे उत्तराखंड के पुरोला के विनायक थपलियाल, देहरादून की अनुष्का पंत, कौशी भट्ट, नैनीताल की सौम्या गौड़ और अस्मिता थपलियाल ने ईटीवी भारत को फोन पर दी जानकारी में बताया कि वह तीन दिन से होस्टल के बेसमेंट में कैद हैं. बड़ी मुश्किल से आज कुछ खाने का सामान खरीद पाए हैं. बेसमेंट में हर एक पल काटना मुश्किल हो रहा है.
वहीं, लीविव में फंसे उत्तराखंड के सूर्यांश बिष्ट अपने दोस्तों के साथ पोलैंड के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं, क्योंकि पोलैंड बॉर्डर पहुंचने के लिए यूक्रेन से कई गाड़ियां जा रही हैं, जिस कारण वहां पर करीब 25 से 30 किमी का लंबा जाम लग गया है. इस कारण अब छात्र पैदल ही पोलैंड बॉर्डर के लिए निकल पड़े हैं, जिससे कि वह सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें. तो वहीं, अब छात्रों के सामने खाने-पीने का भी संकट खड़ा हो गया है. अब छात्रों का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके. उन्हें सुरक्षित यूक्रेन से निकाला जाए.
देहरादून की प्रिया भी खरकीव में फंसीं: देहरादून जनपद की प्रिया जोशी भी यूक्रेन में फंसीं हैं. प्रिया ने अपने ममेरे भाई कपिल जोशी को बताया कि वे दो दिनों से बंकर में ही है, यहां दो दिनों से लाइट भी नहीं है. प्रिया एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गई थी. प्रिया ने बताया कि शहरों में रूस की सेना जमकर बम बारी कर रही है. खाने पीने की भी भारी कमी है, कपिल जोशी ने बताया कि यूक्रेन में जो शहर रोमानिया के बॉर्डर के नजदीक हैं. उन्हें तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया है लेकिन उनकी बहन रोमानिया बॉर्डर से 13 सौ किलोमीटर दूर है. इसके चलते उनकी बहन और उनके साथी खरकीव में ही फंसे हुए हैं.
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हरिद्वार के तीन छात्र यूक्रेन में फंसे: हरिद्वार जनपद के कनखल की रहने वाली नंदनी भी यूक्रेन में फंस गई है. नंदनी भी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने तीन महीने पहले गई थी. अब युद्ध के हालात में नंदनी बंकर में रहने को मजबूर है. नंदिनी शर्मा जगजीतपुर निवासी राकेश शर्मा की बेटी है. उसकी उम्र अभी 20 साल ही है. नंदनी के माता-पिता अपनी बेटी को लेकर चिंतित है पर उन्हें विश्वास है कि भारत सरकार उनकी बेटी को सुरक्षित वापस लेकर आएगी.
नंदनी के पिता राकेश शर्मा का कहना है कि उनकी बेटी 10 दिसंबर को यूक्रेन गई थी. युद्ध के हालात के बीच भारतीय छात्रों को खाने का सामान भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में छात्रों को अब मानसिक तनाव होने लगा है. मकान के बेसमेंट को बंकर में तब्दील कर दिया गया है. रात्रि में भी सोने पर कमरा बंद करके नहीं सोना है. कहते हैं कि गहरी नींद नहीं सोना है क्योंकि अगर कुछ हो तो सारे बच्चे एक साथ भागें.
उन्होंने कहा कि हरिद्वार के दो तीन छात्र और हैं. एक छात्र दूसरी जगह पर है, वहां स्थिति नाजुक है. भारत सरकार ने अब तक जो कदम उठाया है अगर पहले ही एडवाइजरी जारी कर देते तो हम अपने बच्चों को पहले ही बुला लेते लेकिन भारत सरकार पर भरोसा है कि उनके बच्चे बच्चे सुरक्षित आ जाएंगे. छात्रों के आने का खर्चा भी सभी देने को तैयार हैं.
लक्सर के भी 3 छात्र यूक्रेन में फंसे: तीनों छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गये हैं. ऐसे में रूसी सेना के हमले के बाद उनके परिजन बेहद परेशान हैं. लक्सर के मेन बाजार निवासी आशुतोष शर्मा, सीधडू गांव निवासी देवांश और लक्सर तहसील क्षेत्र के ही गोवर्धनपुर गांव निवासी परमेश्वर यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. आशुतोष शर्मा के पिता संजीव शर्मा का कहना है कि आशुतोष यूक्रेन के खारकीव शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. आशुतोष (19) साल 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गया था. उन्होंने बताया कि आशुतोष की बिल्डिंग के नीचे बंकर बने हुए हैं, जिसमें सभी लोग सुरक्षित हैं. तीनों छात्रों के परिजनों ने भारत सरकार से सभी भारतीयों को सकुशल वापस लाने की गुहार लगाई है.
चमोली के चार लोग भी यूक्रेन में फंसे: चमोली की दो बेटियों के साथ ही दो युवाओं के भी फंसे हुए हैं. ऐसे में इन युवाओं के परिजन अपने बच्चों की कुशलता को लेकर चिंतित हैं और वे भारत सरकार की ओर से भारतीयों को वापस लाने के लिये किये जा रहे प्रयासों पर नजर बनाये हुए हैं. जहां गैरसैंण की कनुप्रिया और योगिता एमबीबीएस की पढ़ाई के लिये यूक्रेन गई थी. वहीं, जिले के मठ-झड़ेता गांव के मोहन सिंह और बौंला छिनका के दिनेश सिंह जो रोजगार की चाह में यूक्रेन गये थे. वो भी ओडिसा शहर में फंसे हुए हैं. यूक्रेन और रुस के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद से दोनों के परिजन चिंतित हैं. उन्होंने सरकार से उनके बच्चों के सकुशल वापसी की सरकार से गुहार लगाई है.
उत्तराखंड के 188 बच्चे यूक्रेन में फंसे: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी दी है कि यूक्रेन में उत्तराखंड के 188 छात्र फंसे हैं. मुख्यमंत्री का दावा है कि लगातार अपने राज्य के छात्रों को सकुशल वापस वतन लाने के लिए भारत सरकार ही नहीं बल्कि विदेश मंत्रालय के साथ भी सामंजस्य बनाया हुआ है. सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी वह लगातार संपर्क कर छात्रों को सुरक्षित वापस लाने की दिशा में प्रयासरत हैं.