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मानसून से पहले देहरादून का ड्रेनेज सिस्टम बना चुनौती, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में तेजी की दरकार

स्मार्ट सिटी के कामों के लिए देहरादून शहर की सड़कें खोदी गई हैं. ये खुदी हुई सड़कें आने वाले समय में शासन-प्रशासन के लिए चुनौती बनने वाली है. दरअसल, कुछ दिनों में उत्तराखंड मे मानसून की दस्तक होने वाली है. उससे पहले राजधानी के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना बड़ी चुनौती है.

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हरादून का ड्रेनेज सिस्टम बना चुनौती
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Published : Jun 11, 2023, 9:51 PM IST

हरादून का ड्रेनेज सिस्टम बना चुनौती

देहरादून: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने का काम चुनौती बन गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ मानसून जल्द ही राज्य में जल्द ही दस्तक देने जा रहा है, तो ड्रेनेज सिस्टम पर अभी देहरादून में सड़कें खोदने के अलावा कोई काम नहीं हो पाया. लिहाजा, अब स्मार्ट सिटी के कामों में तेजी लाने की जरूरत महसूस होने लगी है. हालांकि, केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के कामों की डेडलाइन को 1 साल के लिए पहले ही बढ़ा दिया है.

एक तरफ भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत देश भर के करीब 100 शहरों में हो रहे विकास कार्यों की समय सीमा को 1 साल आगे बढ़ा दिया है. वहीं, देहरादून में बरसात से पहले ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. दरअसल स्मार्ट सिटी के तहत शहर भर में कई जगह सड़कें खोद दी गई हैं. उधर जल्द ही अब मानसून की दस्तक भी होने जा रही है. ऐसे में बरसात से पहले सड़कों को ठीक करना और ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना बेहद जरूरी और चुनौतीपूर्ण हो गया है. बता दें केंद्र सरकार ने जून 2023 तक स्मार्ट सिटी के सभी कार्यों को पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन, तमाम जगहों पर चल रहे कार्यों के लक्ष्य तक न पहुंचने की वजह से भारत सरकार ने अब इसका समय बढ़ाते हुए जून 2024 तक कर दिया है. इस तरह राज्य सरकार को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 1 साल का अतिरिक्त समय मिल गया है.

पढे़ं- मल्टीस्टोरी कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना फाइलों में अटकी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हो रही है लेटलतीफी

बता दें देहरादून में स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों में लापरवाही और सुस्त रवैया पहले ही चर्चाओं में रहा है. इसको लेकर कई बार नोटिस तक अधिकारियों को दिए जाते रहे हैं. इतना ही नहीं मंत्री से लेकर जिलाधिकारी और विधायक तक भी अपनी नाराजगी स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर जताते रहे हैं. इस सबके बाद भी समय पर स्मार्ट सिटी में काम हो पाना मुमकिन नहीं दिख रहा.

अब देहरादून वासियों की सबसे बड़ी दिक्कत आने वाला मानसून है. इससे पहले यदि देहरादून का ड्रेनेज सिस्टम नहीं सुधरा तो बरसात के समय सर के तालाब में तब्दील हो सकती हैं. उधर खुदी हुई सड़कों के कारण न केवल ट्रैफिक की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है बल्कि दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ जाएगी. इस मामले पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा वैसे तो स्मार्ट सिटी के काम में सख्ती के बाद तेजी लाई गई है, लेकिन, कोशिश की जा रही है कि बचे हुए कामों को तय समय सीमा से पहले कर लिया जाए. उधर बरसात के समय दिक्कतें बढ़ जाती हैं, लिहाजा ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना जरूरी है. प्रयास किया जा रहा है कि मानसून आने से पहले इन सभी कार्यों को भी पूरा कर लिया जाए.

पढे़ं- बड़ा सवाल: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में आग बुझाने की व्यवस्था नहीं

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को चौथे चरण में साल 2017 के दौरान स्मार्ट सिटी योजना का हिस्सा बनाया गया था. जिसमें करीब 1400 करोड़ रुपए से देहरादून को स्मार्ट बनाया जाना है. फिलहाल अब 2024 तक का समय है, लेकिन, मानसून से पहले सड़कों के काम को ठीक करवाना फिलहाल पहली प्राथमिकता है.

हरादून का ड्रेनेज सिस्टम बना चुनौती

देहरादून: स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने का काम चुनौती बन गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ मानसून जल्द ही राज्य में जल्द ही दस्तक देने जा रहा है, तो ड्रेनेज सिस्टम पर अभी देहरादून में सड़कें खोदने के अलावा कोई काम नहीं हो पाया. लिहाजा, अब स्मार्ट सिटी के कामों में तेजी लाने की जरूरत महसूस होने लगी है. हालांकि, केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के कामों की डेडलाइन को 1 साल के लिए पहले ही बढ़ा दिया है.

एक तरफ भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत देश भर के करीब 100 शहरों में हो रहे विकास कार्यों की समय सीमा को 1 साल आगे बढ़ा दिया है. वहीं, देहरादून में बरसात से पहले ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. दरअसल स्मार्ट सिटी के तहत शहर भर में कई जगह सड़कें खोद दी गई हैं. उधर जल्द ही अब मानसून की दस्तक भी होने जा रही है. ऐसे में बरसात से पहले सड़कों को ठीक करना और ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना बेहद जरूरी और चुनौतीपूर्ण हो गया है. बता दें केंद्र सरकार ने जून 2023 तक स्मार्ट सिटी के सभी कार्यों को पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन, तमाम जगहों पर चल रहे कार्यों के लक्ष्य तक न पहुंचने की वजह से भारत सरकार ने अब इसका समय बढ़ाते हुए जून 2024 तक कर दिया है. इस तरह राज्य सरकार को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 1 साल का अतिरिक्त समय मिल गया है.

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बता दें देहरादून में स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों में लापरवाही और सुस्त रवैया पहले ही चर्चाओं में रहा है. इसको लेकर कई बार नोटिस तक अधिकारियों को दिए जाते रहे हैं. इतना ही नहीं मंत्री से लेकर जिलाधिकारी और विधायक तक भी अपनी नाराजगी स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर जताते रहे हैं. इस सबके बाद भी समय पर स्मार्ट सिटी में काम हो पाना मुमकिन नहीं दिख रहा.

अब देहरादून वासियों की सबसे बड़ी दिक्कत आने वाला मानसून है. इससे पहले यदि देहरादून का ड्रेनेज सिस्टम नहीं सुधरा तो बरसात के समय सर के तालाब में तब्दील हो सकती हैं. उधर खुदी हुई सड़कों के कारण न केवल ट्रैफिक की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है बल्कि दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ जाएगी. इस मामले पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा वैसे तो स्मार्ट सिटी के काम में सख्ती के बाद तेजी लाई गई है, लेकिन, कोशिश की जा रही है कि बचे हुए कामों को तय समय सीमा से पहले कर लिया जाए. उधर बरसात के समय दिक्कतें बढ़ जाती हैं, लिहाजा ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना जरूरी है. प्रयास किया जा रहा है कि मानसून आने से पहले इन सभी कार्यों को भी पूरा कर लिया जाए.

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को चौथे चरण में साल 2017 के दौरान स्मार्ट सिटी योजना का हिस्सा बनाया गया था. जिसमें करीब 1400 करोड़ रुपए से देहरादून को स्मार्ट बनाया जाना है. फिलहाल अब 2024 तक का समय है, लेकिन, मानसून से पहले सड़कों के काम को ठीक करवाना फिलहाल पहली प्राथमिकता है.

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