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देहरादून बर्गर किंग के सैंपल जांच में फेल, जुर्माने के साथ हो सकती है लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई - Dehradun Burger King license will be revoked

पिज्जा, बर्गर, चिकन फूड जैसे इंटरनेशनल प्रतिष्ठानों के खाद्य सैंपल बार-बार जांच में फेल हो रहे हैं. देहरादून में बर्गर किंग कंपनी के नमूने भी जांच में फेल हुए हैं. जिस पर पहले ही कंपनी पर 5 लाख का जुर्माना लगाया जा चुका है. अब एक बार फिर से इसके सैंपल फेल हुए हैं. जिसके बाद कंपनी पर जुर्माने के साथ ही लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है.

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Published : Aug 6, 2022, 9:35 PM IST

Updated : Nov 9, 2022, 5:48 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून बर्गर किंग के खिलाफ सबसे बड़ी शिकायत सामने आई है. बर्गर किंग में इस्तेमाल होने वाले तेल के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं. जिसके कारण पहले भी कोर्ट ने बर्गर किंग पर 5 लाख का जुर्माना लगाया था. अब एक बार फिर से बर्गर किंग में इस्तेमाल होने वाले तेल का सैंपल फेल हुआ है. जिसके कारण फिर से उस पर कार्रवाई की जा सकती है. बताया जा रहा है कि वाले दिनों में बर्गर किंग का लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है.

बता दें कि देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम के अनुसार बर्गर किंग के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाले तेल का पहली बार सैम्पल 2021 में लिया गया, जो लैब जांच में सब्सटेंडर्ड पाया गया. ऐसे में बर्गर किंग के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर करने के साथ ही 5 लाख का जुर्माना लगाया गया. इतना ही नहीं बर्गर किंग के प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाला तेल का सैंपल दूसरी बार फिर से 22 अप्रैल 2022 को फिर जांच के लिए भेजा गया, जो फिर सब्सटेंडर्ड पाया गया. ऐसे में अब बर्गर किंग के खिलाफ देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम दूसरी बार कोर्ट में केस दर्ज करने की तैयारी में जुटी है. इस बार बर्गर किंग पर डबल जुर्माना कोर्ट द्वारा लगाया जा सकता है.

पढ़ें- UKSSSC पेपर लीक मामले में नया खुलासा, एक नहीं तीनों पालियों में लीक हुए थे पेपर

क्यों चर्चाओं में बर्गर किंग

  • देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम के वरिष्ठ अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक, लगातार बर्गर किंग के सैंपल बार-बार जांच में फेल हो रहे हैं. जिसके चलते आने वाले दिनों में लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है.
  • वहीं, एक फ्राइड चिकन बनाने वाली कंपनी के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाला फ्राइड अनियन और गार्लिक भी FDA की लैब जांच में सब्सटेंडर्ड पाया गया है. 23 फरवरी 2022 को सैंपल लिया गया.
  • दूसरी ओर पिज्जा बनाने वाली कंपनी के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाला seasoning(मसाला) भी जांच में फेल पाया गया. ऐसे में कंपनी के खिलाफ 7 मई 2022 को देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम ने कोर्ट में केस दायर किया था.
  • पिज्जा बनाने वाली एक अन्य कंपनी के पनीर और चीज के सैंपल देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम द्वारा एकत्र कर जांच के लिए लैब में भेजे हैं.
  • FDA अधिकारी रमेश सिंह के अनुसार जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस फूड संस्थान में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री की क्वालिटी का पता चलेगा.


2021 से अब तक 72 केस फूड प्रतिष्ठानों के खिलाफ दायर: देहरादून खाद्य सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक इसी तरह फास्ट फूड जैसे फूड प्रोडक्ट बनाने वाले बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अलग-अलग संस्थान के खाद्य सामग्री सब्सटेंडर्ड जांच में सब्सटेंडर्ड पाए जा रही है. ये लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ जैसा है. अभी हाल के दिनों में एक और बड़ी पिज्जा कंपनी के पनीर और चीज का सैंपल लेकर जांच के लिए रुद्रपुर लैब भेजे गये हैं.

एफडीए अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक, वर्ष 2021 से वर्तमान समय तक इसी तरह के बड़े फ़ूड प्रतिष्ठानों सैंपल खाद्य सैंपल फेल होने के कारण अब तक 72 केस कोर्ट में दायर किए जा चुके हैं. सभी पर कार्यवाही जारी है. वहीं, 1 अप्रैल 2022 से वर्तमान तक 23 केस फूड संस्थानों के खिलाफ कोर्ट में दायर किए गए हैं. ऐसे में लगातार किसी भी फूड कंपनी के नमूने सब्सटेंडर्ड आने के बाद उनकी कानूनी प्रक्रिया के तहत लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.

देहरादून: राजधानी देहरादून बर्गर किंग के खिलाफ सबसे बड़ी शिकायत सामने आई है. बर्गर किंग में इस्तेमाल होने वाले तेल के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं. जिसके कारण पहले भी कोर्ट ने बर्गर किंग पर 5 लाख का जुर्माना लगाया था. अब एक बार फिर से बर्गर किंग में इस्तेमाल होने वाले तेल का सैंपल फेल हुआ है. जिसके कारण फिर से उस पर कार्रवाई की जा सकती है. बताया जा रहा है कि वाले दिनों में बर्गर किंग का लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है.

बता दें कि देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम के अनुसार बर्गर किंग के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाले तेल का पहली बार सैम्पल 2021 में लिया गया, जो लैब जांच में सब्सटेंडर्ड पाया गया. ऐसे में बर्गर किंग के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर करने के साथ ही 5 लाख का जुर्माना लगाया गया. इतना ही नहीं बर्गर किंग के प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाला तेल का सैंपल दूसरी बार फिर से 22 अप्रैल 2022 को फिर जांच के लिए भेजा गया, जो फिर सब्सटेंडर्ड पाया गया. ऐसे में अब बर्गर किंग के खिलाफ देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम दूसरी बार कोर्ट में केस दर्ज करने की तैयारी में जुटी है. इस बार बर्गर किंग पर डबल जुर्माना कोर्ट द्वारा लगाया जा सकता है.

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क्यों चर्चाओं में बर्गर किंग

  • देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम के वरिष्ठ अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक, लगातार बर्गर किंग के सैंपल बार-बार जांच में फेल हो रहे हैं. जिसके चलते आने वाले दिनों में लाइसेंस कैंसिल करने की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है.
  • वहीं, एक फ्राइड चिकन बनाने वाली कंपनी के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाला फ्राइड अनियन और गार्लिक भी FDA की लैब जांच में सब्सटेंडर्ड पाया गया है. 23 फरवरी 2022 को सैंपल लिया गया.
  • दूसरी ओर पिज्जा बनाने वाली कंपनी के फूड आइटम में इस्तेमाल होने वाला seasoning(मसाला) भी जांच में फेल पाया गया. ऐसे में कंपनी के खिलाफ 7 मई 2022 को देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम ने कोर्ट में केस दायर किया था.
  • पिज्जा बनाने वाली एक अन्य कंपनी के पनीर और चीज के सैंपल देहरादून खाद्य सुरक्षा टीम द्वारा एकत्र कर जांच के लिए लैब में भेजे हैं.
  • FDA अधिकारी रमेश सिंह के अनुसार जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस फूड संस्थान में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री की क्वालिटी का पता चलेगा.


2021 से अब तक 72 केस फूड प्रतिष्ठानों के खिलाफ दायर: देहरादून खाद्य सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक इसी तरह फास्ट फूड जैसे फूड प्रोडक्ट बनाने वाले बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अलग-अलग संस्थान के खाद्य सामग्री सब्सटेंडर्ड जांच में सब्सटेंडर्ड पाए जा रही है. ये लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ जैसा है. अभी हाल के दिनों में एक और बड़ी पिज्जा कंपनी के पनीर और चीज का सैंपल लेकर जांच के लिए रुद्रपुर लैब भेजे गये हैं.

एफडीए अधिकारी रमेश सिंह के मुताबिक, वर्ष 2021 से वर्तमान समय तक इसी तरह के बड़े फ़ूड प्रतिष्ठानों सैंपल खाद्य सैंपल फेल होने के कारण अब तक 72 केस कोर्ट में दायर किए जा चुके हैं. सभी पर कार्यवाही जारी है. वहीं, 1 अप्रैल 2022 से वर्तमान तक 23 केस फूड संस्थानों के खिलाफ कोर्ट में दायर किए गए हैं. ऐसे में लगातार किसी भी फूड कंपनी के नमूने सब्सटेंडर्ड आने के बाद उनकी कानूनी प्रक्रिया के तहत लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.

Last Updated : Nov 9, 2022, 5:48 PM IST
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