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Debate on DDA: त्रिवेंद्र सरकार ने किया शुरू, तीरथ ने किया रद्द, जोशीमठ भू धंसाव के बाद DDA पर बहस तेज

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Published : Jan 13, 2023, 1:46 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 2:35 PM IST

जोशीमठ भू धंसाव (joshimath landslide) के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड में जिला विकास प्राधिकरणों (District Development Authority in Uttarakhand) को लेकर बहस तेज हो गई है. त्रिवेंद्र सरकार ने पहाड़ों पर सुनियोजित विकास और बसावट के लिए उत्तराखंड में जिला विकास प्राधिकरणों की घोषणा की थी. जिसके बाद कांग्रेस ने इसका विरोध किया. बाद में तत्कालीन तीरथ सरकार ने इसे रद्द कर दिया था. अब इस मामले पर जमकर राजनीति (Politics intensified on Development Authority) हो रही है.

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जोशीमठ भू-धंसाव के बाद जिला विकास प्राधिकरणों पर बहस तेज
जोशीमठ भू-धंसाव के बाद जिला विकास प्राधिकरणों पर बहस तेज

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव (joshimath landslide) के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. जिसमें से एक कारण अनियंत्रित कंस्ट्रक्शन को भी माना जा रहा है. वैज्ञानिकों के इस तर्क के साथ ही एक बार फिर जिला विकास प्राधिकरण (Debate on District Development Authority) को लेकर बहस तेज हो गई है. जिस पर विरोध के बाद तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इन प्राधिकरणों पर रोक लगा दी थी. खास बात यह है कि इसको लेकर अब राजनीतिक दल बहस में जुट गए हैं. साथ ही प्राधिकरणों की जरूरत को लेकर आवाजें भी उठने लगी हैं.

जिला विकास प्राधिकरण प्रदेश के पहाड़ी जनपदों में अनियंत्रित विकास कार्यों और निर्माण पर नियंत्रण के लिए बनाए गए थे. जिसे तीरथ सरकार के दौरान हाशिए पर रख दिया गया. बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के दौरान जिला विकास प्राधिकरण को अस्तित्व में लाया गया. प्रदेश के तमाम जिलों में विकास कार्यों के लिए प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी रखी गई. इसके पीछे की वजह पहाड़ों पर अनियंत्रित विकास को रोकना था, लेकिन उस दौरान कांग्रेस समेत तमाम लोगों ने इसका विरोध किया. जिसके बाद तीरथ सरकार ने इस पर रोक लगा दी.
पढे़ं- Joshimath Sinking: एक साथ धंस सकता है इतना बड़ा इलाका, ISRO की सैटेलाइट इमेज से खुलासा

अब जब जोशीमठ में भू धंसाव के कारण पूरा शहर खतरे में है, ऐसी स्थिति में एक बार फिर सभी को जिला विकास प्राधिकरण याद आने लगा है. कांग्रेस से लेकर भाजपा तक प्राधिकरण की जरूरत पर बहस में जुट गए हैं. हालांकि यह वही कांग्रेस थी जिसने विधानसभा में प्राधिकरण का विरोध किया था और यह कहा था कि यह व्यवहारिक नहीं है. इससे लोगों को दिक्कत आ रही है. इसके बाद सरकार ने इस प्राधिकरण पर रोक लगी दी थी. जोशीमठ मामले के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि उन्होंने विरोध जरूर किया था, लेकिन सरकार को चाहिए था कि एक बेहतर और तर्कसंगत नीति के साथ पहाड़ों के लिए प्राधिकरण को लाया जाता.
पढे़ं- Joshimath Sinking: राहत राशि और मुआवजे पर है कंफ्यूजन? पढ़ें पूरी खबर

जोशीमठ मामले पर अब जब सरकार घिरती नजर आ रही है, ऐसे क्षेत्रों में कंस्ट्रक्शन पर कोई नियंत्रण नहीं रखने को लेकर सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई जा रही है. ऐसे में भाजपा ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए जिला विकास प्राधिकरण पर कांग्रेस के विरोध को जिम्मेदार मानते हुए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. भाजपा के नेता विपिन कैंथोला कहते हैं कि कांग्रेस हमेशा विरोध के लिए विरोध करती है. इस तरह के सरकार के बेहतर फैसले के खिलाफ भी आवाज उठाती है. वो कहते हैं कि जिन शहरों पर जन दबाव है, ऐसे क्षेत्रों के लिए सरकार ने आगामी कार्यक्रम तय किया है. पहाड़ों पर 25 नए शहरों को स्थापित करने का फैसला ले लिया है. जिससे एक नियोजित तरीके से पहाड़ों पर शहरों को बसाया जा सके.

जोशीमठ भू-धंसाव के बाद जिला विकास प्राधिकरणों पर बहस तेज

देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव (joshimath landslide) के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. जिसमें से एक कारण अनियंत्रित कंस्ट्रक्शन को भी माना जा रहा है. वैज्ञानिकों के इस तर्क के साथ ही एक बार फिर जिला विकास प्राधिकरण (Debate on District Development Authority) को लेकर बहस तेज हो गई है. जिस पर विरोध के बाद तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इन प्राधिकरणों पर रोक लगा दी थी. खास बात यह है कि इसको लेकर अब राजनीतिक दल बहस में जुट गए हैं. साथ ही प्राधिकरणों की जरूरत को लेकर आवाजें भी उठने लगी हैं.

जिला विकास प्राधिकरण प्रदेश के पहाड़ी जनपदों में अनियंत्रित विकास कार्यों और निर्माण पर नियंत्रण के लिए बनाए गए थे. जिसे तीरथ सरकार के दौरान हाशिए पर रख दिया गया. बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के दौरान जिला विकास प्राधिकरण को अस्तित्व में लाया गया. प्रदेश के तमाम जिलों में विकास कार्यों के लिए प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी रखी गई. इसके पीछे की वजह पहाड़ों पर अनियंत्रित विकास को रोकना था, लेकिन उस दौरान कांग्रेस समेत तमाम लोगों ने इसका विरोध किया. जिसके बाद तीरथ सरकार ने इस पर रोक लगा दी.
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अब जब जोशीमठ में भू धंसाव के कारण पूरा शहर खतरे में है, ऐसी स्थिति में एक बार फिर सभी को जिला विकास प्राधिकरण याद आने लगा है. कांग्रेस से लेकर भाजपा तक प्राधिकरण की जरूरत पर बहस में जुट गए हैं. हालांकि यह वही कांग्रेस थी जिसने विधानसभा में प्राधिकरण का विरोध किया था और यह कहा था कि यह व्यवहारिक नहीं है. इससे लोगों को दिक्कत आ रही है. इसके बाद सरकार ने इस प्राधिकरण पर रोक लगी दी थी. जोशीमठ मामले के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि उन्होंने विरोध जरूर किया था, लेकिन सरकार को चाहिए था कि एक बेहतर और तर्कसंगत नीति के साथ पहाड़ों के लिए प्राधिकरण को लाया जाता.
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जोशीमठ मामले पर अब जब सरकार घिरती नजर आ रही है, ऐसे क्षेत्रों में कंस्ट्रक्शन पर कोई नियंत्रण नहीं रखने को लेकर सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई जा रही है. ऐसे में भाजपा ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए जिला विकास प्राधिकरण पर कांग्रेस के विरोध को जिम्मेदार मानते हुए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है. भाजपा के नेता विपिन कैंथोला कहते हैं कि कांग्रेस हमेशा विरोध के लिए विरोध करती है. इस तरह के सरकार के बेहतर फैसले के खिलाफ भी आवाज उठाती है. वो कहते हैं कि जिन शहरों पर जन दबाव है, ऐसे क्षेत्रों के लिए सरकार ने आगामी कार्यक्रम तय किया है. पहाड़ों पर 25 नए शहरों को स्थापित करने का फैसला ले लिया है. जिससे एक नियोजित तरीके से पहाड़ों पर शहरों को बसाया जा सके.

Last Updated : Jan 13, 2023, 2:35 PM IST
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