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आठ महीने से प्रोफेसरों को नहीं मिला वेतन, उच्च शिक्षा मंत्री से भी लगा चुके हैं गुहार

सूबे के जाने-माने डीएवी पीजी कॉलेज के प्रोफेसरों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है. इस मामले को लेकर प्रोफेसर शिक्षा महकमे के आलाधिकारियों से लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से गुहार लगा चुके हैं

आठ महीने से प्रोफेसरों को नहीं मिला वेतन
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Published : Jul 17, 2019, 8:06 PM IST

देहरादून: सूबे के जाने-माने डीएवी पीजी कॉलेज के प्रोफेसरों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है. इस मामले को लेकर प्रोफेसर शिक्षा महकमे के आलाधिकारियों से लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से गुहार लगा चुके हैं.

लेकिन, अब भी उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. ऐसे में उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है.
छात्र संख्या के मामले में सूबे के सबसे बड़े डीएवी पीजी कॉलेज में सात असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति नवंबर 2018 में की गई थी. इस कॉलेज में सेवा देते हुए उन्हें आठ महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इस उन्हें अभीतक वेतन नहीं मिला है.

आठ महीने से प्रोफेसरों को नहीं मिला वेतन

पढ़ें- लापरवाह प्रशासन! गंगा घाटों पर बिना सेफ्टी चैन के स्नान को मजबूर कांवड़िए

इन असिस्टेंट प्रोफेसरों में से 6 को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (LAW) और एक को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (B.Ed) के लिए नियुक्त किया गया था.
इस मामले की जानकारी देते हुए प्रो. डॉ. प्रतिमा सिंह का कहना है कि कड़ी मेहनत और लगन के बाद उन्हें नौकरी मिली है. लेकिन बावजूद इसके आज भी उन्हें दर-ब-दर भटकना पड़ रहा है.

जबकि, अन्य प्रोफेसर का कहना है कि इस समस्या को लेकर वे शिक्षा महकमे के सभी वरिष्ठ अधिकारियों से मिल चुके हैं. जबकि, उन्होंने इस समस्या से उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी अवगत कराया गया हैं. बावजूद इसके अभीतक इस मामले का कोई समाधान नहीं निकला है.

देहरादून: सूबे के जाने-माने डीएवी पीजी कॉलेज के प्रोफेसरों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है. इस मामले को लेकर प्रोफेसर शिक्षा महकमे के आलाधिकारियों से लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से गुहार लगा चुके हैं.

लेकिन, अब भी उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. ऐसे में उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है.
छात्र संख्या के मामले में सूबे के सबसे बड़े डीएवी पीजी कॉलेज में सात असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति नवंबर 2018 में की गई थी. इस कॉलेज में सेवा देते हुए उन्हें आठ महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद इस उन्हें अभीतक वेतन नहीं मिला है.

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इन असिस्टेंट प्रोफेसरों में से 6 को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (LAW) और एक को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (B.Ed) के लिए नियुक्त किया गया था.
इस मामले की जानकारी देते हुए प्रो. डॉ. प्रतिमा सिंह का कहना है कि कड़ी मेहनत और लगन के बाद उन्हें नौकरी मिली है. लेकिन बावजूद इसके आज भी उन्हें दर-ब-दर भटकना पड़ रहा है.

जबकि, अन्य प्रोफेसर का कहना है कि इस समस्या को लेकर वे शिक्षा महकमे के सभी वरिष्ठ अधिकारियों से मिल चुके हैं. जबकि, उन्होंने इस समस्या से उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी अवगत कराया गया हैं. बावजूद इसके अभीतक इस मामले का कोई समाधान नहीं निकला है.

Intro:देहरादून- यह बात हम सभी बखूबी जानते हैं कि सालों की कड़ी मेहनत के बाद ही सरकारी नौकरी का सुख मिल पाता है । लेकिन यदि आपकी सरकारी नौकरी लगी हो और आपको 8 महीनों से वेतन न मिले तो आप क्या कहेंगे ? कुछ ऐसी ही दास्तां है देहरादून के जाने-माने डीएवी पीजी कॉलेज के 7 असिस्टेंट प्रोफेसरों की । जिनकी नियुक्ति पिछले साल यानी नवंबर 2018 में की गई थी ।


Body:बता दे कि इन सभी 7 असिस्टेंट प्रोफेसरों में से 6 को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (LAW) और एक को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (B.Ed) पिछले साल नवंबर माह में नियुक्ति दी गई थी । लेकिन आज इन सभी अस्सिटेंट प्रोफेसरों को कॉलेज में अपनी सेवाएं देते हुए 8 महीने का समय बीत चुका है । लेकिन इसके बावजूद अब तक भी इन सभी 7 असिस्टेंट प्रोफेसरों को उनका पहला वेतन भी नही मिल पाया है ।

ईटीवी भारत के समक्ष अपनी दास्तां बयां करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रतिमा सिंह का कहना था लिखित परीक्षा और इंटरव्यू का सामना करने के बाद किसी तरह उन्हें यह असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी नसीब हुई थी । लेकिन आज अपने ही मेहनताने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है ।

अपनी नियुक्ति के 8 महीनों में एक बार भी वेतन न मिलने से परेशान चल रहे असिस्टेंट प्रोफेसर अपूर्व और संदीप कुमार का कहना था कि वेतन न मिलने की अपनी समस्या को लेकर अब तक वह और उनके साथी शिक्षा शिक्षा महकमे के सभी वरिष्ठ अधिकारियों से मिल चुके हैं । इसके साथ ही उन्होंने ने अपनी इस समस्या से उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी अवगत कराया है । लेकिन इसके इसके बावजूद अब तक भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है । ऐसे में उन्हें यह समझ नही आ रहा है कि आखिर वह करें तो करें क्या ।


Conclusion:बरहाल एक तरफ नियुक्ति के 8 महीनों में एक बार भी वेतन न मिलने से यह सभी असिस्टेंट प्रोफेसर परेशान चल रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ सूबे की जीरो टॉलरेंस की सरकार के किसी भी हुक्मरान ने पास इन असिस्टेंट प्रोफेसरों के वाज़िब सवालों का उचित जवाब नही है । यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि आप है इन असिस्टेंट प्रोफेसरों का दोष क्या है ।क्या वह नियुक्ति पत्र फर्जी है जो इन्हें ईनकी नियुक्ति के समय दिए गए थे ।
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