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उत्तराखंड में 'सिस्टम' के आगे एयर एंबुलेंस ने भी टेके घुटने! नियमित सेवा के लिए अब भी इंतजार - National Health Mission

उत्तराखंड में प्रदेशवासियों का एयर एंबुलेंस को लेकर इंतजार लंबा होता जा रहा है. केंद्रीय मंजूरी के बाद भी राज्य विभिन्न औपचारिकताओं में ही फंसा हुआ है. लिहाजा, राज्य में रेगुलर इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा को तमाम प्रयासों के बाद भी शुरू नहीं किया जा सका है.

Uttarakhand Air Ambulance
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Published : May 24, 2021, 6:30 PM IST

देहरादून: प्रदेश में नियमित रूप से एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने के सालों पुराने प्रयासों को अब भी अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंचा जा सका है. त्रिवेंद्र सरकार के दौरान राज्य में एयर एंबुलेंस की शुरुआत करने के दावे किए गए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस सेवा को जल्द शुरू करने की घोषणा भी की थी, लेकिन साल 2018 से जिस योजना के नाम पर सरकार ने वाहवाही लूटी. वह योजना अब तक शुरू ही नहीं हो पाई.

उस दौरान कहा गया था कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां नियमित एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन यह सभी दावे हवा हवाई साबित हुए. मौजूदा महामारी के दौर में यह सेवा बेहद अहम साबित हो सकती थी और पहाड़ों में दुर्गम क्षेत्रों से मरीजों को गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचाया जा सकता था. लेकिन केंद्र की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद भी एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के स्तर पर इस सेवा को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है.

बता दें, साल 2019 में ही एनएचएम के तहत 5 करोड़ का बजट इसके लिए स्वीकृत भी किया गया था और कुछ कंपनियों ने इसके लिए डेमो भी दिया. इन सब के बावजूद प्रदेश में अभी तक इस योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है.

पढ़ें- सरकार के पास अनाथ बच्चों का सही आंकड़ा ही नहीं, कैसे मिलेगा वात्सल्य योजना का लाभ

दरअसल, यह एक हेली सेवा के रूप में विकसित की जानी थी. जिसमें दुर्गम क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को जल्द से जल्द अस्पताल भेजने की व्यवस्था की जानी थी. इस संबंध में फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी से संपर्क नहीं हो पाया.

शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते विभिन्न कार्यों पर इसका असर पड़ा है. सरकार ऐसे सभी महत्वपूर्ण योजनाओं को जल्द से जल्द धरातल उतारने की कोशिश कर रही है. हालांकि, केंद्र की सैद्धांतिक मंजूरी के साथ ही एनएचएम के स्तर पर भी इसे मंजूरी दी जा चुकी है.

देहरादून: प्रदेश में नियमित रूप से एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने के सालों पुराने प्रयासों को अब भी अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंचा जा सका है. त्रिवेंद्र सरकार के दौरान राज्य में एयर एंबुलेंस की शुरुआत करने के दावे किए गए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस सेवा को जल्द शुरू करने की घोषणा भी की थी, लेकिन साल 2018 से जिस योजना के नाम पर सरकार ने वाहवाही लूटी. वह योजना अब तक शुरू ही नहीं हो पाई.

उस दौरान कहा गया था कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां नियमित एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन यह सभी दावे हवा हवाई साबित हुए. मौजूदा महामारी के दौर में यह सेवा बेहद अहम साबित हो सकती थी और पहाड़ों में दुर्गम क्षेत्रों से मरीजों को गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचाया जा सकता था. लेकिन केंद्र की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद भी एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के स्तर पर इस सेवा को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है.

बता दें, साल 2019 में ही एनएचएम के तहत 5 करोड़ का बजट इसके लिए स्वीकृत भी किया गया था और कुछ कंपनियों ने इसके लिए डेमो भी दिया. इन सब के बावजूद प्रदेश में अभी तक इस योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है.

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दरअसल, यह एक हेली सेवा के रूप में विकसित की जानी थी. जिसमें दुर्गम क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को जल्द से जल्द अस्पताल भेजने की व्यवस्था की जानी थी. इस संबंध में फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी से संपर्क नहीं हो पाया.

शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते विभिन्न कार्यों पर इसका असर पड़ा है. सरकार ऐसे सभी महत्वपूर्ण योजनाओं को जल्द से जल्द धरातल उतारने की कोशिश कर रही है. हालांकि, केंद्र की सैद्धांतिक मंजूरी के साथ ही एनएचएम के स्तर पर भी इसे मंजूरी दी जा चुकी है.

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