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ऑनलाइन धोखाधड़ी के पीड़ितों को ऐसे वापस मिले 11 लाख रुपए - एनसीआरपी पोर्टल

उत्तराखंड में साइबर वित्तीय हेल्पलाइन पर पिछले एक महीने में साइबर ठगी पीड़ितों को 11.25 लाख रुपए वापस कराए गए हैं.

Cyber fraud
ऑनलाइन धोखाधड़ी
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Published : Jul 18, 2021, 4:49 PM IST

देहरादून: गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) आरंभ किया गया है. उत्तराखंड में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए 17 जून से साइबर हेल्पलाइन नंबर 155-260 की विधिवत शुरुआत की गई है.

साइबर वित्तीय हेल्पलाइन (Cyber Financial Helpline) पर एक महीने में प्राप्त साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों पर पीड़ितों के 11.25 लाख वापस कराए गए हैं. साथ ही एक महीने में हेल्पलाइन कुल 558 साइबर वित्तीय कॉल्स (cyber financial calls) प्राप्त हुई है.

उत्तराखंड में साइबर अपराध (cyber crime in uttarakhand) तेजी के साथ अपने पांव पसार रहा है, लेकिन अगर आप जागरूक हैं तो आप साइबर ठगी से बच सकते हैं. इतना ही नहीं आपके साथ ठगी होती भी है तो उसकी सूचना देने पर आपके पैसों के ट्रांजेक्शन (bank transaction) को रोका जा सकता है. बस इसके लिए आपको साइबर ठगी (cyber fraud) होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 155-260 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करानी है.

ये भी पढ़ें: 6 जून को हुई हत्या का आरोपी गिरफ्तार, दो चोर भी चढ़े पुलिस के हत्थे

इसके अलावा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून (Cyber Crime Police Station Dehradun) और पंतनगर द्वारा पिछले 6 महीने में पीड़ितों की मदद की गई है. इस साल साइबर थाने में कुल 154 मामलों और 2 केस में पीड़ितों की 1.35 करोड़ की धनराशि वापस कराई गई है.

एसपी एसटीएफ चंद्रमोहन सिंह ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर (helpline number) 155-260 लोगों के लिए बड़ी राहत दे रहा है. बस इसके लिए ठगी होने पर पीड़ित को तत्काल सूचना देना जरूरी है. ताकि बैंक ट्रांजेक्शन को रोका जा सके.

धोखाधड़ी की सूचना तत्काल 155-260 नंबर पर देनी होगी, जिसके बाद ई-सुरक्षा चक्र कंट्रोल रूम द्वारा तत्काल इस सूचना को गृह मंत्रालय के एनसीआरपी पोर्टल (ncrp portal) पर दर्ज कर दिया जाता है. सूचना मिलने के बाद गृह मंत्रालय से पीड़ित को एक लिंक एसएमएस के माध्यम से भेजा जाएगा.

पीड़ित व्यक्ति को इस लिंक पर क्लिक कर अपनी शिकायत 24 घंटे के अन्दर NCRP पोर्टल पर पंजीकृत करना आवश्यक है. जिससे की साइबर अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से निकासी की गई धनराशि को रोका जा सके और उन्हें वापस कराया जा सके.

देहरादून: गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) आरंभ किया गया है. उत्तराखंड में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए 17 जून से साइबर हेल्पलाइन नंबर 155-260 की विधिवत शुरुआत की गई है.

साइबर वित्तीय हेल्पलाइन (Cyber Financial Helpline) पर एक महीने में प्राप्त साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों पर पीड़ितों के 11.25 लाख वापस कराए गए हैं. साथ ही एक महीने में हेल्पलाइन कुल 558 साइबर वित्तीय कॉल्स (cyber financial calls) प्राप्त हुई है.

उत्तराखंड में साइबर अपराध (cyber crime in uttarakhand) तेजी के साथ अपने पांव पसार रहा है, लेकिन अगर आप जागरूक हैं तो आप साइबर ठगी से बच सकते हैं. इतना ही नहीं आपके साथ ठगी होती भी है तो उसकी सूचना देने पर आपके पैसों के ट्रांजेक्शन (bank transaction) को रोका जा सकता है. बस इसके लिए आपको साइबर ठगी (cyber fraud) होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 155-260 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करानी है.

ये भी पढ़ें: 6 जून को हुई हत्या का आरोपी गिरफ्तार, दो चोर भी चढ़े पुलिस के हत्थे

इसके अलावा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून (Cyber Crime Police Station Dehradun) और पंतनगर द्वारा पिछले 6 महीने में पीड़ितों की मदद की गई है. इस साल साइबर थाने में कुल 154 मामलों और 2 केस में पीड़ितों की 1.35 करोड़ की धनराशि वापस कराई गई है.

एसपी एसटीएफ चंद्रमोहन सिंह ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर (helpline number) 155-260 लोगों के लिए बड़ी राहत दे रहा है. बस इसके लिए ठगी होने पर पीड़ित को तत्काल सूचना देना जरूरी है. ताकि बैंक ट्रांजेक्शन को रोका जा सके.

धोखाधड़ी की सूचना तत्काल 155-260 नंबर पर देनी होगी, जिसके बाद ई-सुरक्षा चक्र कंट्रोल रूम द्वारा तत्काल इस सूचना को गृह मंत्रालय के एनसीआरपी पोर्टल (ncrp portal) पर दर्ज कर दिया जाता है. सूचना मिलने के बाद गृह मंत्रालय से पीड़ित को एक लिंक एसएमएस के माध्यम से भेजा जाएगा.

पीड़ित व्यक्ति को इस लिंक पर क्लिक कर अपनी शिकायत 24 घंटे के अन्दर NCRP पोर्टल पर पंजीकृत करना आवश्यक है. जिससे की साइबर अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से निकासी की गई धनराशि को रोका जा सके और उन्हें वापस कराया जा सके.

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