ETV Bharat / state

उत्तराखंड में तेजी से पैर पसार रहा साइबर क्राइम, इन तरीकों से सेफ होगा आपका बैंक अकाउंट

उत्तराखंड में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो साइबर क्राइम के मामलों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है जो पुलिस के लिए चिंता का विषय है.

uttarakhand
साइबर क्राइम
author img

By

Published : Dec 17, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Dec 23, 2019, 12:05 PM IST

देहरादून: देवभूमि में लगातार बढ़ते साइबर क्राइम के मामले पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. तमाम नई टेक्नोलॉजी के बावजूद साइबर क्राइम से पार पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. साल 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं.

साइबर क्राइम पुलिस के लिए बना सिरदर्द

क्या है साइबर क्राइम
साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानि इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें- CM तक पहुंचा छात्रवृत्ति गड़बड़ी मामला, 5 दिन में रिपोर्ट पेश करने का आदेश

उत्तराखंड पुलिस हुई हाई टेक
यहीं कारण है कि जैसे-जैसे देश और दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर क्राइम के मामले भी लगातार बढ़ रहे है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस भी हाई टेक हुई है. इसके लिए उत्तराखंड में साइबर थाने भी खोला गया है.

जागरुकता की कमी
साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. जागरुकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं. जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.

संसाधनों का अभाव
साइबर अपराध से लड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इसी वजह से प्रदेश में साइबर थाना भी खोला गया था. लेकिन संसाधनों के अभाव और पुलिस कर्मियों में दक्षता की कमी के कारण ये उतने कारगर रुप से काम नहीं कर पा रहे है.

पढ़ें- वायरल वीडियो मामला: जांच के लिए दिनेशपुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे SDM, उच्च अधिकरियों को सौंपेंगे रिपोर्ट

साइबर क्राइम पुलिस की कमान संभाल रही डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती हैं कि आज साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोगों में जागरूकता की कमी है. इसके अलावा अन्य कारणों के चलते रिपोर्ट लिखाने में पीड़ित पक्ष कोताही बरतते हैं. जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार हुए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. ताकि पुलिस उन लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे और इस तरह के अपराधों पर लगाम लगा सके.

OLX के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी
डीआईजी अग्रवाल के मुताबकि हाल फिलहाल में ओएलएक्स (OLX) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है. साइबर ठग आसानी से OLX पर सामान दिखाकर लोगों के साथ ठगी कर लेते है. दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे कई राज्यों में ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं.

पढ़ें- व्यापारी हत्याकांडः DIG ने दिए जांच के आदेश, एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी
ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के साथ खूब ठगी की जा रही है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किसी के मोबाइल पर ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई लिंक भेजते है. जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिंक करता है. बैंक अकाउंट की सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है और वे उसके खाते से सारे पैसे निकाल लेते है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक को क्लिंक न करें, जिसके बारे में आपको पता न हो.

नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय
डीआईजी अग्रवाल ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ई-मेल समेत अन्य सोशल मीडिया पर नाइजीरियन गिरोह लंबे सयम से सक्रिय है. इस गिरोह के निशाने पर ज्यादातर महिलाएं होती है. पहले ये गिरोह सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती करता है. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें लोक लुभावनी बातों में फंसाकर उनसे पैसे निकलवाता है. उत्तराखंड पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

2015 से लेकर 2019 तक सोशल मीडिया पर साइबर ठगी के मामले

साल मुकदमों की संख्या
2015 35
2016 63
2017 79
2018 87
2019 में अब तक 89


पांच सालों में एटीएम से ठगी के मामले

2015 24
2016 23
2017 219
2018 214
2019 में अबतक 89

5 सालों में इंटरनेट हैकिंग के मामले

2015 2
2016 6
2017 5
2018 7
2019 में अब तक 7

साइबर क्राइम ने अन्य मामले

2015 5
2016 8
2017 35
2018 21
2019 में अब तक 33

देहरादून: देवभूमि में लगातार बढ़ते साइबर क्राइम के मामले पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. तमाम नई टेक्नोलॉजी के बावजूद साइबर क्राइम से पार पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. साल 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं.

साइबर क्राइम पुलिस के लिए बना सिरदर्द

क्या है साइबर क्राइम
साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानि इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें- CM तक पहुंचा छात्रवृत्ति गड़बड़ी मामला, 5 दिन में रिपोर्ट पेश करने का आदेश

उत्तराखंड पुलिस हुई हाई टेक
यहीं कारण है कि जैसे-जैसे देश और दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर क्राइम के मामले भी लगातार बढ़ रहे है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस भी हाई टेक हुई है. इसके लिए उत्तराखंड में साइबर थाने भी खोला गया है.

जागरुकता की कमी
साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. जागरुकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं. जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.

संसाधनों का अभाव
साइबर अपराध से लड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इसी वजह से प्रदेश में साइबर थाना भी खोला गया था. लेकिन संसाधनों के अभाव और पुलिस कर्मियों में दक्षता की कमी के कारण ये उतने कारगर रुप से काम नहीं कर पा रहे है.

पढ़ें- वायरल वीडियो मामला: जांच के लिए दिनेशपुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे SDM, उच्च अधिकरियों को सौंपेंगे रिपोर्ट

साइबर क्राइम पुलिस की कमान संभाल रही डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती हैं कि आज साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोगों में जागरूकता की कमी है. इसके अलावा अन्य कारणों के चलते रिपोर्ट लिखाने में पीड़ित पक्ष कोताही बरतते हैं. जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार हुए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. ताकि पुलिस उन लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे और इस तरह के अपराधों पर लगाम लगा सके.

OLX के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी
डीआईजी अग्रवाल के मुताबकि हाल फिलहाल में ओएलएक्स (OLX) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है. साइबर ठग आसानी से OLX पर सामान दिखाकर लोगों के साथ ठगी कर लेते है. दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे कई राज्यों में ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं.

पढ़ें- व्यापारी हत्याकांडः DIG ने दिए जांच के आदेश, एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी
ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के साथ खूब ठगी की जा रही है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किसी के मोबाइल पर ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई लिंक भेजते है. जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिंक करता है. बैंक अकाउंट की सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है और वे उसके खाते से सारे पैसे निकाल लेते है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक को क्लिंक न करें, जिसके बारे में आपको पता न हो.

नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय
डीआईजी अग्रवाल ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ई-मेल समेत अन्य सोशल मीडिया पर नाइजीरियन गिरोह लंबे सयम से सक्रिय है. इस गिरोह के निशाने पर ज्यादातर महिलाएं होती है. पहले ये गिरोह सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती करता है. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें लोक लुभावनी बातों में फंसाकर उनसे पैसे निकलवाता है. उत्तराखंड पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

2015 से लेकर 2019 तक सोशल मीडिया पर साइबर ठगी के मामले

साल मुकदमों की संख्या
2015 35
2016 63
2017 79
2018 87
2019 में अब तक 89


पांच सालों में एटीएम से ठगी के मामले

2015 24
2016 23
2017 219
2018 214
2019 में अबतक 89

5 सालों में इंटरनेट हैकिंग के मामले

2015 2
2016 6
2017 5
2018 7
2019 में अब तक 7

साइबर क्राइम ने अन्य मामले

2015 5
2016 8
2017 35
2018 21
2019 में अब तक 33
Intro:pls नोट- Ready to spl story


summary-उत्तराखंड तेज़ी से बढ़ता साईबर अपराध पुलिस तंत्र के लिए सिरदर्द. ठगी के शिकार लोगों द्वारा मुकदमें दर्ज ना कराने के चलते वर्ष दर वर्ष बढ़ते आंकड़े


देश और दुनिया के अलग-अलग स्थानों से लगातार बढ़ने वाला साइबर अपराध आज पुलिस तंत्र के लिए बड़ी चुनौती बनाता जा रहा है। भले ही पुलिस को एक तरफ़ हाईटेक बनाने की क़वायद चल रही हो लेकिन साईबर अपराध से पार पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा हैं। वर्ष 2015 से 2019 तक उत्तराखंड राज्य में भी साइबर क्राइम तेजी से अपने पांव पसारता जा रहा है। मोबाईल की दुनिया जिस तरह से इंटरनेट वर्तमान समय में हरेक की पहुंच में आ रहा है,उसके चलते साइबर ठगी के आंकड़े प्रतिदिन तेज़ी बढ़ रहे हैं। ज्यादातर साइबर क्राइम के विषय में जागरूकता की कमी के चलते भारी संख्या में हर तबक़े के लोग आए दिन इस ठगी के जाल में कई तरह के लालच में आकर फंसते जा रहे। जानकारों के मु मुताबिक यह हाईटेक अपराध आने वाले दिनों में अभी और तेज़ी से आगे बढ़ने की प्रबल भावनाएं नजर आ रही है। हालांकि साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों के मुताबिक लगातार तेजी से फैलते साइबर ठगी बढ़ने की एक सबसे बड़ी वजह यह निकल कर सामने आ रही है कि ठगी के शिकार लोग जागरूकता,लज्जा (शर्म) अन्य विषयों के चलते मुकदमे दर्ज नहीं करा रहे हैं।





Body:साइबर ठगी के शिकार लोग रिपोर्ट दर्ज कराने में बरत रहे हैं कोताही: डीआईजी साइबर पुलिस

उत्तराखंड पुलिस विभाग लगातार तेज़ी फैलते साइबर क्राइम से पार पाने की दिशा में एक के बाद एक साइबर थानों को बढ़ाने की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे है, लेकिन तकनीकी रूप से कई तरह की खामियों के चलते सफल तरीके से साइबर ठगी से निपटना अभी साइबर क्राइम पुलिस के लिए दूर की कौड़ी बना हुआ है। उत्तराखंड पुलिस विभाग में साइबर क्राइम पुलिस एसटीएफ की कमान संभालने वाली डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल भी मानती है कि साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोग जागरूकता की कमी जैसे अन्य विषयों के चलते पुलिस तक रिपोर्ट लिखाने में कोताही बरत रहे हैं। जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार होने वाले लोगों को तत्काल ही नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए ताकि इस चुनौतीपूर्ण अपराध से निपटा जा सके।


बाइट- रिद्धिम अग्रवाल, डीआईजी, उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस ,एसटीएफ

ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर हाल फिलहाल में सबसे ज्यादा ठगी

साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हाल फिलहाल ओएलएक्स (olx) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी के मामले देखने में सामने आ रहे हैं लोग बिना वास्तविक रूप से किसी खरीदने वाले सामान को देखे बिना ठगी के जाल में फस कर रुपए कमा रहे हैं। दिल्ली झारखंड राजस्थान छत्तीसगढ़ बिहार जैसे कई राज्यों से ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले गिरोह सक्रिय हैं जिन पर उत्तराखंड सागर पुलिस की लगातार कार्रवाई चल रही है।


बाइट- रिद्धिम अग्रवाल, डीआईजी, उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस ,एसटीएफ


ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी

वहीं दूसरी तरफ आए दिन ऑनलाइन शॉपिंग चलन बढ़ने से भुगतान (पेमेंट) करने के नाम भी शातिर साइबर ठग अलग-अलग माध्यम से लोगों को लिंक भेज रहे हैं जिसको क्लिक करने के बाद तत्काल ही बैंक अकाउंट से रुपए निकल जाते हैं। उत्तराखंड साइबर पुलिस डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग पेमेंट के नाम पर किसी भी ऐसे संदिग्ध लगने वाले लिंक को ओपन या क्लिक करने से पहले सोच विचार व सही जानकारी लेने के बाद ही आगे कदम बढ़ाए।

बाइट- रिद्धिम अग्रवाल, डीआईजी, उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस ,एसटीएफ


सोशल मीडिया फ़ेसबुक पर नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय

उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल के मुताबिक तीसरे स्थान पर फेसबुक व्हाट्सएप ईमेल जैसे अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से ठगी करने वाला नाइजीरियन गिरोह लंबे समय से सक्रिय है। यह गिरोह ज्यादातर अजनबी महिलाओं के नाम पर फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर पहले दोस्त बनाते हैं और धीरे-धीरे लोक लुभावनी बातों के बाद बड़े बिजनेस में पार्टनर बनाने व्यापार में बड़े मुनाफा कमाने का लालच देकर ठगी के शिकार लोगों से लाखों-करोड़ों जैसे भारी भरकम रकम को धीरे धीरे फर्जी बैंक अकाउंट में जमा करवाकर रुपये हड़प ले जाते हैं। उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस द्वारा इस अपराध से जुड़े नाइजीरियन गिरोह का पर्दाफाश कर कई लोगों को जेल भेजा जा चुका है।

बाइट- रिद्धिम अग्रवाल, डीआईजी, उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस ,एसटीएफ


Conclusion:प्रतिदिन देश विदेश के अलग-अलग स्थानों से सैकड़ों की तादात में साइबर ठगी के मामले जानकारी में आ रहे हैं, लेकिन साइबर क्राइम पुलिस के अधिकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2019 तक फेसबुक और सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत कम संख्या पीड़ित लोगों साइबर क्राइम ठगी में मात्र इतने मुकदमें दर्ज कराए हैं।

वर्ष 2015 में 35 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2016 में 63 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2017 में 79 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2018 में 87 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2019 में अब तक कुल 89 मुकदमे दर्ज किए गए।

वर्ष 2015 से 2019 तक एटीएम फ्रॉड में दर्ज मुकदमों की संख्या

वर्ष 2015 में एटीएम ठगी के 24 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2016 में 23 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2017 में 219 मामले एटीएम फ्रॉड के दर्ज किए गए
वर्ष 2018 में 214 मामले एटीएम ठगी से संबंधित पुलिस में दर्ज की गई
वर्ष 2019 में अब तक 89 मुकदमे एटीएम ठगी से संबंधित दर्ज किए गए हैं।

वर्ष 2015 से 2019 तक इंटरनेट हैकिंग के मात्र इतने मामले दर्ज साइबर पुलिस ने दर्ज कराया जाए

वर्ष 2015 में हैकिंग के 2 मामले दर्ज किए गए
वर्ष 2016 में हैकिंग के 6 मामले दर्ज किए गए
वर्ष 2017 में हैकिंग के 5 मामले दर्ज किए गए
वर्ष 2018 में हैकिंग के 7 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2019 में अब तक 7 मामले हैकिंग के पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हैं।


सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्सएप जैसे अन्य माध्यमों के जरिए करोड़ों की लॉटरी निकलने ,नौकरी, बीमा, व्यापार में मोटे मुनाफे का लालच व विदेशी महिला दोस्त बनकर एयरपोर्ट में फसने और olx में सामान बेचने के नाम पर वर्ष 2015 से 2019 तक ठगी के मात्र इतने मामले दर्ज हुए।


वर्ष 2015 में ठगी के पांच मुकदमे दर्ज हुए
वर्ष 2016 में 8 मामले ठगी के दर्ज हुए
वर्ष 2017 में 35 मुकदमे दर्ज किए गए
वर्ष 2018 में 21 मामले दर्ज किए गए
वर्ष 2019 में अब तक 33 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।


Last Updated : Dec 23, 2019, 12:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.