देहरादूनः नगर निगम के वार्डों में सफाई व्यवस्था के लिए गठित की गई पार्षद स्वच्छता समिति में घोटाला सामने आया है. पार्षद समितियों की सूची का सत्यापन करने पर आधे नाम गायब मिले हैं. सत्यापन में ये भी पता चला कि निगम जिन कर्मचारियों के खाते में वेतन जारी कर रहा है, उनकी जगह अब कोई और काम कर रहा है. ऐसे में नगर निगम की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए गए कर्मचारियों के वेतन के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है.
सफाई व्यवस्था के लिए गठित की गई पार्षद स्वच्छता समिति में घोटाला सामने आने के बाद कई अस्थाई महिला सफाई कर्मचारियों को हटा दिया है. लेकिन महिलाएं नगर निगम का चक्कर काटकर अपनी नौकरी की गुहार लगा रही हैं. नगर निगम अब तक 88 वार्डों में सफाई कर्मचारियों का सत्यापन कर चुका है.
ये है मामलाः नगर निगम के पिछले बोर्ड के कार्यकाल में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करीब 1000 सफाई कर्मचारियों को पार्षद समिति के जरिए भर्ती किया गया था. प्रत्येक वार्ड में कम से कम पांच और अधिकतम 16 कर्मचारी रखे गए थे. हर महीने प्रति कर्मचारी को 15-15 हजार रुपए का भुगतान वेतन के तौर पर दिया जा रहा था. लेकिन 2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया तो कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने लगी. इसके बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया.
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ऐसे सामने आया घोटाला: इसके लिए नगर निगम में समितियां के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या से जुटाए गए तो पता चला कि करीब आधे कर्मचारी गायब हैं और उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य कर रहा है. इससे साफ हो गया कि जो सूची दी गई थी उस सूची के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा था. शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए गए कर्मचारियों के वेतन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में नगर निगम की ओर से हर महीने करीब डेढ़ करोड़ का भुगतान किया गया है. प्रत्येक कर्मचारी का मासिक वेतन 15 हजार रुपए है. ऐसे में प्रतिवर्ष करीब 18 करोड़ रुपए के हिसाब से पिछले 5 साल में नगर निगम करीब 90 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है.
15 हजार के कर्मचारी की जगह पर 2 हजार की कर्मचारी: वहीं अब सत्यापन के बाद बाहर किए गए अस्थाई महिला सफाई कर्मचारी अपनी नौकरी के लिए नगर निगम के चक्कर काट रही हैं. इंद्रेश नगर निवासी सफाई कर्मचारी पीड़िता ने नगर निगम पहुंकर अपनी नौकरी की गुहार लगाते हुए बताया कि वह नगर निगम के अस्थाई सफाई कर्मचारी के तौर पर किसी अन्य की जगह काम कर रही थी. पीड़िता ने बताया कि उन्हें पार्षद मनोज जाटव ने दो हजार रुपए में किसी अन्य की जगह पर रखवाया था. पीड़िता पिछले डेढ़ साल से नौकरी करती रही. पीड़िता को लालच दिया गया कि नगर निगम में पक्की नौकरी लग जाएगी. लेकिन पक्की नौकरी तो नहीं लगी जबकि अस्थाई तौर पर ली जा रही सेवा से भी उसे हटा दिया गया है.
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सत्यापन के बाद जारी होगा वेतन: नगर स्वास्थ्य अधिकारी अविनाश खन्ना ने बताया कि वर्तमान में वार्डों में सत्यापन कार्य जारी है. 88 वार्डों का सत्यापन हो चुका है. 12 वार्डों को चेतावनी दी गई है कि जल्द से जल्द सफाई कर्मचारियों का सत्यापन की कार्रवाई की जाए. जिन वार्डों में कोई खामियां नहीं है. उसके लिए उच्च अधिकारियों से वार्ता कर सफाई कर्मचारियों की सैलरी भी रिलीज कर दी जाएगी. जिन वार्डों में कमियां नजर आएगी, उसमें आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन कर सैलरी दी जाएगी. वर्तमान में जो सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं, उस पर संज्ञान लिया जा रहा है. निगम द्वारा ऐसे लोगों का डाटा लिया जा रहा है.
नगर निगम प्रशासक सोनिका का कहना है कि जांच के लिए नगर आयुक्त को निर्देशित किया है. अब जो भी सफाई कर्मचारियों का भुगतान होगा, वह सत्यापन की कार्रवाई के बाद दिया जाएगा. साथ ही अभी तक नगर निगम से रिपोर्ट नहीं है. जिसके लिए नगर आयुक्त को कहा गया है.