ऋषिकेश: जनपद पौड़ी के यमकेश्वर क्षेत्र में घट्टूघाट से गुमखाल जाने वाली सड़क पर 75 किलोमीटर का डामरीकरण होना है. डामरीकरण के शुरुआत होते ही गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं.सड़क मात्र चार दिन में ही उधड़ गई. अधिकारी मामले पर लीपापोती करने में जुटे हुए हैं.
3 किलोमीटर के क्षेत्र में किए गए डामरीकरण के 4 दिन बाद ही सड़क का डामर उखड़ने लगा है. देखने से ऐसे लग रहा है जैसे डामर में तारकोल डाला ही नहीं गया है. करीब 18 करोड़ की लागत से हो रहे डामरीकरण में भ्रष्टाचार की बू आती दिखाई दे रही है. स्थानीय ग्रामीणों और प्रधान ने सड़क के डामर पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने मामले में उच्च अधिकारियों और सरकार तक अपनी शिकायत पहुंचाने की बात कही है.
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ग्राम प्रधान ने बताया कि वर्ष 2014 में पीडब्ल्यूडी के द्वारा घट्टूघाट से गुमखाल तक सड़क का डामरीकरण किया था. वर्ष 2021 में फिर से इस सड़क का डामरीकरण नेशनल हाईवे के द्वारा किया जा रहा है, मगर अफसोस इस बात का है कि डामरीकरण में गुणवत्ता के साथ बड़ा खेल खेला जा रहा है.
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद मानकों की अनदेखी की जा रही है. नजारा देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि डामरीकरण में तारकोल की मात्रा शून्य के बराबर डाली जा रही है. इसी का नतीजा है कि केवल 4 दिन के अंदर 3 किलोमीटर की सड़क में किया गया डामर उखड़ गया है. जगह-जगह बजरी फैलने से सड़क हादसे होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
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कांग्रेस नेता दीपक जाटव ने भी डामरीकरण में की जा रही धांधली की शिकायत करने की बात कही है. उन्होंने कहा इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों वाहन आवागमन करते हैं. जिनकी यात्रा सुगम बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए का बजट एनएच को दे रही है, लेकिन एनएच किस तरह करोड़ों रुपए को मिट्टी में मिला रहा है, इसकी बानगी यहां दिख रही है.
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वहीं, मामले में एनएच धुमाकोट डिवीजन से ईई नवनीत पाण्डेय ने बताया कि फिलहाल डामरीकरण की पहली परत बिछाई जा रही है. जिसमें यदि डामर कहीं उखड़ने लगा है तो उसे दिखाया जाएगा. दूसरी परत में डामरीकरण बिल्कुल अच्छे से होगा. गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा.