देहरादूनः कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा करने वाले कोरोना वॉरियर्स बीते 109 दिनों से एकता विहार स्थित धरना स्थल पर आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. इसके विरोध स्वरूप आज कोरोना वॉरियर्स ने राज्यपाल गुरमीत सिंह को खून से पत्र लिखकर सामूहिक इच्छा मृत्यु की मांग की है. इसके साथ ही चेतावनी दी कि यदि दो दिन के भीतर सरकार की ओर से उनकी मांगों को लेकर कोई उचित आश्वासन नहीं मिलता है तो उन्हें बड़ा कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
![wrote letter to Governor with blood in Dehradun](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-10-2023/ukdehcoronaworiyarsnerajypalkokhoonselikhapatrvisuk10004_23102023165448_2310f_1698060288_63.jpg)
कोरोना वॉरियर्स का कहना है कि कोरोना काल में उन्होंने कई लोगों की जान बचाई. आज वो खुद ही लाचार हो गए हैं. धरनास्थल पर आमरण अनशन पर बैठे संतोष राणा का कहना है कि उनका धरना बीते 109 दिनों से जारी है. कर्मचारी विभाग से अपने समायोजन की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रही है.
ये भी पढ़ेंः अफसरों ने कोरोना वॉरियर्स को दी भैंस चराने की सलाह!, महामारी के समय फूलों से किया था स्वागत
उन्होंने कहा कि धरना स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे करीब 21 कर्मचारी स्वास्थ्य बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं. अभी भी सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है, इसके विरोध भी आज कर्मचारियों ने उत्तराखंड के राज्यपाल को खून से पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु देने का आग्रह किया है. कर्मचारियों ने आरोप लगाए कि बीते चार महीने से स्वास्थ्य मंत्री उन्हें समायोजित किए जाने का बार-बार आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.
गौर हो कि कोरोना की लहर में सरकार ने आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से इन कर्मचारियों को विभिन्न अस्पतालों में तैनाती दी थी, लेकिन जैसे ही कोरोना खत्म हुआ, इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई. कोरोना वॉरियर्स का कहना है कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना मरीजों की सेवा की, लेकिन सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
ये भी पढ़ेंः स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप, स्वास्थ्य मंत्री सदन से सड़क तक बोल रहे झूठ, जानें पूरा मामला
इसके बाद कोरोना वॉरियर्स एकता विहार स्थित धरना स्थल पर आंदोलन कर रहे हैं. बीते 78 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर हैं. अभी भी एक कर्मचारी संतोष राणा बीते 10 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. लिहाजा, अब खून से पत्र लिखकर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह को भेजा है.