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देहरादून फिर बन रहा कोरोना का हॉट स्पॉट! हर मरीज की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग

उत्तराखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट की दस्तक ने सरकार और स्वास्थ्य महकमे की चिताएं बढ़ा दी हैं. यही वजह है कि अब हर कोरोना मरीज के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय लिया गया है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि फिलहाल उत्तराखंड ओमीक्रोन मुक्त हैं.

omicron variant in uttarakhand
उत्तराखंड में ओमीक्रोन
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Published : Dec 30, 2021, 4:07 PM IST

Updated : Jan 1, 2022, 3:30 PM IST

देहरादूनः भारत में कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron variant) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इन दिनों प्रदेश में हॉट स्पॉट बन गई है. कोरोना के कम होते मामलों के बीच भी दून की चिंता कम नहीं हुई है. ऐसा एक दिन नहीं बीत रहा जब दून में कोरोना का कोई नया मामला नहीं आ रहा. बल्कि बीच-बीच में मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. उस पर अब आमजन से लेकर सिस्टम तक बेपरवाह दिख रहे हैं.

दरअसल, दून शुरुआत से ही कोरोना का हॉट स्पॉट रहा है और अब भी सबसे ज्यादा मामले यहीं आ रहे हैं. 30 दिसंबर को राजधानी में कोरोना के 25 नए मरीज मिले हैं. वहीं, नए वेरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है. उत्तराखंड में बीते दिनों मिले चारों ओमीक्रोन संक्रमित मरीजों की RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आ गई है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो चारों लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उत्तराखंड फिलहाल ओमीक्रोन मुक्त है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि तीन संदिग्धों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए लैब में भेजे गए हैं.

उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग.

उत्तराखंड में जीनोम सीक्वेंसिंग: उत्तराखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर स्वास्थ्य महकमा गंभीर हो गया है. यही वजह है कि अब स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में पॉजिटिव पाए जाने वाले कोरोना मरीजों के सैंपलों की अनिवार्य जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय लिया है. कई राज्यों में ओमीक्रोन के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं. जबकि, अनुमान लगाया जा रहा है कि दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर में भी देहरादून ही प्रदेश में कोरोना का केंद्र होगा.

ये भी पढ़ेंः ओमीक्रोन पर कारगर है वैक्सीन, WHO की साइंटिस्ट की अपील, जल्द लगवाएं टीका

देश में तेजी से बढ़ रहे ओमीक्रोन के मामले: दरअसल, विदेशों के बाद अब देश के कई राज्यों में भी ओमीक्रोन के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं. इससे राज्य के स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है. वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में अभी केवल दून मेडिकल कॉलेज में ही जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है. यानि मामले बढ़ने पर लैब पर बोझ बढ़ना तय है. जिसको लेकर दून मेडिकल कालेज यानी दून अस्पताल ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.

जीनोम सीक्वेंसिंग में 6 दिन लगते हैं: दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच की प्रक्रिया में 6 दिन लगते हैं. उसके बाद ही जीनोम की रिपोर्ट आ पाती है. डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि जितने भी राज्य में पॉजिटिव केस आ रहे हैं, उनका जीनोम सिक्वेंसिंग किया जा रहा है. अभी फिलहाल तीन केस ओमीक्रोन के संदिग्ध लग रहे हैं.

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग मरीज के कोरोना पॉजिटिव होने से लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट तक के समय को काउंट करता है. उदाहरण के लिए कोई मरीज एक तारीख को कोरोना पॉजिटिव मिलता है और उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट 10 तारीख को आती है. ऐसे में अगर शख्स 14 तारीख को आरटीपीआर टेस्ट करवाता है और उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो स्वास्थ्य विभाग उसे निगेटिव मान लेता है.

देहरादून बन रहा है कोरोना का हॉट स्पॉट: उत्तराखंड में तेजी से कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले एक हफ्ते की बात करें तो 212 कोरोना के नए मामले सामने आए हैं. अकेले देहरादून की बात करें तो 92 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. ये आंकड़े काफी हैं कि देहरादून में या फिर उत्तराखंड में किस तेजी से कोविड के मरीज सामने आ रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड आ रहे हैं तो रखें ये ध्यान, निगेटिव रिपोर्ट दिखाने के बाद ही मिलेगा होटल में कमरा

क्या होती है जीनोम सिक्वेंसिंग?: जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है. इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.

सरल भाषा में जीनोम सीक्वेंसिंग समझें: मानव कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है, जिसे DNA (Deoxyribonucleic Acid) और RNA (Ribonucleic Acid) कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. वहीं, स्ट्रेन को वैज्ञानिक भाषा में जेनेटिक वेरिएंट कहते हैं. सरल भाषा में इसे अलग-अलग वेरिएंट भी कह सकते हैं. इनकी क्षमता अलग-अलग होती है. इनका आकार और इनके स्वभाव में परिवर्तन भी पूरी तरह से अलग होता है.

बीते एक हफ्ते के भीतर उत्तराखंड और देहरादून में कोरोना केसों में उछाल-

  • 22 दिसंबर को उत्तराखंड में 27 कोरोना मरीज मिले. जिनमें से 9 केस देहरादून में पाए गए.
  • 23 दिसंबर को उत्तराखंड में 39 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 11 संक्रमित मिले.
  • 24 दिसंबर को उत्तराखंड में 27 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 8 कोरोना संक्रमित मिले.
  • 25 दिसंबर को उत्तराखंड में 42 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 21 मरीज मिले.
  • 26 दिसंबर को उत्तराखंड में 13 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून से 6 केस सामने आए.
  • 27 दिसंबर को उत्तराखंड में 20 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 12 कोरोना पॉजिटिव मिले.
  • 28 दिसंबर को उत्तराखंड में 44 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 25 मामले सामने आए.

उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक! बरहाल, जिस तेजी से उत्तराखंड में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना को अंदेशा है कि तीसरी लहर की दस्तक उत्तराखंड में हो चुकी है.

देहरादूनः भारत में कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron variant) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इन दिनों प्रदेश में हॉट स्पॉट बन गई है. कोरोना के कम होते मामलों के बीच भी दून की चिंता कम नहीं हुई है. ऐसा एक दिन नहीं बीत रहा जब दून में कोरोना का कोई नया मामला नहीं आ रहा. बल्कि बीच-बीच में मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. उस पर अब आमजन से लेकर सिस्टम तक बेपरवाह दिख रहे हैं.

दरअसल, दून शुरुआत से ही कोरोना का हॉट स्पॉट रहा है और अब भी सबसे ज्यादा मामले यहीं आ रहे हैं. 30 दिसंबर को राजधानी में कोरोना के 25 नए मरीज मिले हैं. वहीं, नए वेरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है. उत्तराखंड में बीते दिनों मिले चारों ओमीक्रोन संक्रमित मरीजों की RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव आ गई है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो चारों लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उत्तराखंड फिलहाल ओमीक्रोन मुक्त है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि तीन संदिग्धों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए लैब में भेजे गए हैं.

उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग.

उत्तराखंड में जीनोम सीक्वेंसिंग: उत्तराखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर स्वास्थ्य महकमा गंभीर हो गया है. यही वजह है कि अब स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में पॉजिटिव पाए जाने वाले कोरोना मरीजों के सैंपलों की अनिवार्य जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय लिया है. कई राज्यों में ओमीक्रोन के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं. जबकि, अनुमान लगाया जा रहा है कि दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर में भी देहरादून ही प्रदेश में कोरोना का केंद्र होगा.

ये भी पढ़ेंः ओमीक्रोन पर कारगर है वैक्सीन, WHO की साइंटिस्ट की अपील, जल्द लगवाएं टीका

देश में तेजी से बढ़ रहे ओमीक्रोन के मामले: दरअसल, विदेशों के बाद अब देश के कई राज्यों में भी ओमीक्रोन के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं. इससे राज्य के स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है. वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में अभी केवल दून मेडिकल कॉलेज में ही जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है. यानि मामले बढ़ने पर लैब पर बोझ बढ़ना तय है. जिसको लेकर दून मेडिकल कालेज यानी दून अस्पताल ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.

जीनोम सीक्वेंसिंग में 6 दिन लगते हैं: दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच की प्रक्रिया में 6 दिन लगते हैं. उसके बाद ही जीनोम की रिपोर्ट आ पाती है. डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि जितने भी राज्य में पॉजिटिव केस आ रहे हैं, उनका जीनोम सिक्वेंसिंग किया जा रहा है. अभी फिलहाल तीन केस ओमीक्रोन के संदिग्ध लग रहे हैं.

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग मरीज के कोरोना पॉजिटिव होने से लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट तक के समय को काउंट करता है. उदाहरण के लिए कोई मरीज एक तारीख को कोरोना पॉजिटिव मिलता है और उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट 10 तारीख को आती है. ऐसे में अगर शख्स 14 तारीख को आरटीपीआर टेस्ट करवाता है और उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो स्वास्थ्य विभाग उसे निगेटिव मान लेता है.

देहरादून बन रहा है कोरोना का हॉट स्पॉट: उत्तराखंड में तेजी से कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले एक हफ्ते की बात करें तो 212 कोरोना के नए मामले सामने आए हैं. अकेले देहरादून की बात करें तो 92 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. ये आंकड़े काफी हैं कि देहरादून में या फिर उत्तराखंड में किस तेजी से कोविड के मरीज सामने आ रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड आ रहे हैं तो रखें ये ध्यान, निगेटिव रिपोर्ट दिखाने के बाद ही मिलेगा होटल में कमरा

क्या होती है जीनोम सिक्वेंसिंग?: जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है. इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.

सरल भाषा में जीनोम सीक्वेंसिंग समझें: मानव कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है, जिसे DNA (Deoxyribonucleic Acid) और RNA (Ribonucleic Acid) कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. वहीं, स्ट्रेन को वैज्ञानिक भाषा में जेनेटिक वेरिएंट कहते हैं. सरल भाषा में इसे अलग-अलग वेरिएंट भी कह सकते हैं. इनकी क्षमता अलग-अलग होती है. इनका आकार और इनके स्वभाव में परिवर्तन भी पूरी तरह से अलग होता है.

बीते एक हफ्ते के भीतर उत्तराखंड और देहरादून में कोरोना केसों में उछाल-

  • 22 दिसंबर को उत्तराखंड में 27 कोरोना मरीज मिले. जिनमें से 9 केस देहरादून में पाए गए.
  • 23 दिसंबर को उत्तराखंड में 39 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 11 संक्रमित मिले.
  • 24 दिसंबर को उत्तराखंड में 27 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 8 कोरोना संक्रमित मिले.
  • 25 दिसंबर को उत्तराखंड में 42 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 21 मरीज मिले.
  • 26 दिसंबर को उत्तराखंड में 13 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून से 6 केस सामने आए.
  • 27 दिसंबर को उत्तराखंड में 20 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 12 कोरोना पॉजिटिव मिले.
  • 28 दिसंबर को उत्तराखंड में 44 कोरोना मरीज मिले. जबकि, देहरादून में 25 मामले सामने आए.

उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक! बरहाल, जिस तेजी से उत्तराखंड में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना को अंदेशा है कि तीसरी लहर की दस्तक उत्तराखंड में हो चुकी है.

Last Updated : Jan 1, 2022, 3:30 PM IST
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