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कोरोना वायरस के बाद हेल्थ सेक्टर के सुधरे हालात, पहाड़ों को मिली 'संजीवनी' - Dr. Ashutosh Sayana Principal

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. वहीं, ये वायरस स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़े मौके के रूप में भी देखा गया. खासतौर पर भारत में इस महामारी ने हेल्थ सेक्टर को नई संजीवनी दी है. कैसे और क्यों है घातक वायरस उत्तराखंड समेत देश के लिए बेहद खास... जानिए.

Uttarakhand Health System
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Published : Feb 18, 2021, 9:59 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 4:27 PM IST

देहरादून: दुनिया में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 11.04 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है. देश में कोरोना मरीजों की संख्या एक करोड़ साढ़े नौ लाख से ज्यादा पहुंच गई है, जबकि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में ही करीब एक लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं. आंकड़ों की यह स्थिति स्पष्ट करती है कि कैसे कोरोना वायरस ने महज 11 महीने में ही न केवल दुनिया को हिला कर रख दिया बल्कि तेजी से संक्रमण के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को भी प्रभावित किया.

इसी बात को दूसरे लिहाज से देखें तो कोरोना वायरस भारत जैसे देशों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौती के साथ-साथ एक बड़ा मौका लेकर भी आया. यह मौका स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर और हाईटेक करने से जुड़ा है. उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए तो यह महामारी किसी बड़े संकट से कम नहीं थी. ऐसा इसलिए क्योंकि ना तो उत्तराखंड इतनी बड़ी स्वास्थ्य संबंधित परेशानी से निपटने के लिए सक्षम था और ना ही किसी भी लिहाज से तैयार.

हेल्थ सेक्टर के लिए कोरोना वायरस रहा खास

अंदाजा लगाइए कि जिस प्रदेश में 13 जिलों में से 9 जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सक ही न हो, जहां अस्पतालों में सीटी स्कैन और एक्सरे जैसी सामान्य सुविधाएं भी न हो, वहां ऐसी महामारी को लेकर व्यवस्थाओं की उम्मीद करना भी बेमानी ही है. लेकिन इन सबके बावजूद उत्तराखंड कोविड-19 से लड़ा भी और जीत की दहलीज पर भी खड़ा है. ये सब मुमकिन हो पाया केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बेहतर समन्वय के कारण. उत्तराखंड के लिए यह लड़ाई क्यों सबसे बड़ी चुनौती थी. सबसे पहले यह जानिए...

Uttarakhand Health System.
जानें- कैसे थे उत्तराखंड में स्वास्थ्य के हालात.

उत्तराखंड ने परेशानियों को मौकों में तब्दील किया

इस तरह कोविड-19 को लेकर राज्य किस तरह से पूरी तरह खाली हाथ था. ये बात समझी जा सकती है. ऐसे हालातों में अमेरिका जैसे देश को भी परेशान कर देने वाले वायरस ने जब उत्तराखंड में दस्तक दी तो राज्य में हड़कंप मच गया. लेकिन इन हालातों में केंद्र सरकार ने राज्य का साथ देते हुए जिस तरह से समन्वय बनाया. उसके बाद धीरे-धीरे परेशानियां मौके में तब्दील होती हुई दिखाई देने लगी. केंद्र सरकार ने तो राज्य को इन हालातों में स्वास्थ्य संबंधी इक्विपमेंट्स दिए ही, साथ ही राज्य सरकार ने भी विभिन्न विभागों के बजट में कटौती करते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी भरकम बजट खर्च किया. नतीजतन उत्तराखंड में कोविड-19 का यह समय स्वास्थ्य के क्षेत्र में हालातों को बेहतर करने वाला बनता चला गया.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सौ करोड़ के बजट को खर्च करके न केवल स्वास्थ्य उपकरण और अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई बल्कि चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती निकालकर राज्य में 80% से ज्यादा कमी को दूर किया गया. दिक्कतों को मौकों में तब्दील करते हुए ईसंजीवनी योजना पर भी काम किया गया, जिसमें दवाइयों की ऑनलाइन व्यवस्था कर लोगों को घरों तक ही पहुंचाने की दिशा में शुरुआत हुई.

Uttarakhand Health System
उत्तराखंड ने परेशानियों को मौकों में तब्दील किया.

लोगों को मिला ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श

उधर, डिजिटल माध्यम को बढ़ाते हुए 2 गज दूरी का फायदा ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श के रूप में भी हुआ. घरों में बैठे बैठे लोगों ने चिकित्सकों से परामर्श लिया और तकनीक का चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग हो इस पर भी इस दौरान काम हुआ.

प्रदेश में मेडिसिन के रखरखाव की व्यवस्था किए जाने से लेकर आपातकाल के अनुभवों को भी स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहद मजबूती के साथ सीखा गया. उधर, वैक्सीन तैयार करने को लेकर आत्मनिर्भरता और पीपीई किट से लेकर बड़े उपकरणों तक में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न कंपनियों की सक्रियता ने देश और राज्य में कोरोना महामारी के फायदे को भी जाहिर किया.

मोदी सरकार के मौजूदा बजट में स्वास्थ्य बजट को 135% तक बढ़ाया गया है इसे 94 हजार से 2.38 लाख करोड़ किया गया है. इसी बीच उत्तराखंड सरकार का एक मार्च को बजट सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें 56,900 करोड़ से ज्यादा के बजट के आने की उम्मीद है. इसमें माना जा रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट में पहले से कहीं ज्यादा का प्रावधान किया जाएगा.

देहरादून: दुनिया में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 11.04 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है. देश में कोरोना मरीजों की संख्या एक करोड़ साढ़े नौ लाख से ज्यादा पहुंच गई है, जबकि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में ही करीब एक लाख लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं. आंकड़ों की यह स्थिति स्पष्ट करती है कि कैसे कोरोना वायरस ने महज 11 महीने में ही न केवल दुनिया को हिला कर रख दिया बल्कि तेजी से संक्रमण के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को भी प्रभावित किया.

इसी बात को दूसरे लिहाज से देखें तो कोरोना वायरस भारत जैसे देशों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौती के साथ-साथ एक बड़ा मौका लेकर भी आया. यह मौका स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर और हाईटेक करने से जुड़ा है. उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए तो यह महामारी किसी बड़े संकट से कम नहीं थी. ऐसा इसलिए क्योंकि ना तो उत्तराखंड इतनी बड़ी स्वास्थ्य संबंधित परेशानी से निपटने के लिए सक्षम था और ना ही किसी भी लिहाज से तैयार.

हेल्थ सेक्टर के लिए कोरोना वायरस रहा खास

अंदाजा लगाइए कि जिस प्रदेश में 13 जिलों में से 9 जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सक ही न हो, जहां अस्पतालों में सीटी स्कैन और एक्सरे जैसी सामान्य सुविधाएं भी न हो, वहां ऐसी महामारी को लेकर व्यवस्थाओं की उम्मीद करना भी बेमानी ही है. लेकिन इन सबके बावजूद उत्तराखंड कोविड-19 से लड़ा भी और जीत की दहलीज पर भी खड़ा है. ये सब मुमकिन हो पाया केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बेहतर समन्वय के कारण. उत्तराखंड के लिए यह लड़ाई क्यों सबसे बड़ी चुनौती थी. सबसे पहले यह जानिए...

Uttarakhand Health System.
जानें- कैसे थे उत्तराखंड में स्वास्थ्य के हालात.

उत्तराखंड ने परेशानियों को मौकों में तब्दील किया

इस तरह कोविड-19 को लेकर राज्य किस तरह से पूरी तरह खाली हाथ था. ये बात समझी जा सकती है. ऐसे हालातों में अमेरिका जैसे देश को भी परेशान कर देने वाले वायरस ने जब उत्तराखंड में दस्तक दी तो राज्य में हड़कंप मच गया. लेकिन इन हालातों में केंद्र सरकार ने राज्य का साथ देते हुए जिस तरह से समन्वय बनाया. उसके बाद धीरे-धीरे परेशानियां मौके में तब्दील होती हुई दिखाई देने लगी. केंद्र सरकार ने तो राज्य को इन हालातों में स्वास्थ्य संबंधी इक्विपमेंट्स दिए ही, साथ ही राज्य सरकार ने भी विभिन्न विभागों के बजट में कटौती करते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी भरकम बजट खर्च किया. नतीजतन उत्तराखंड में कोविड-19 का यह समय स्वास्थ्य के क्षेत्र में हालातों को बेहतर करने वाला बनता चला गया.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सौ करोड़ के बजट को खर्च करके न केवल स्वास्थ्य उपकरण और अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई बल्कि चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती निकालकर राज्य में 80% से ज्यादा कमी को दूर किया गया. दिक्कतों को मौकों में तब्दील करते हुए ईसंजीवनी योजना पर भी काम किया गया, जिसमें दवाइयों की ऑनलाइन व्यवस्था कर लोगों को घरों तक ही पहुंचाने की दिशा में शुरुआत हुई.

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उत्तराखंड ने परेशानियों को मौकों में तब्दील किया.

लोगों को मिला ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श

उधर, डिजिटल माध्यम को बढ़ाते हुए 2 गज दूरी का फायदा ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श के रूप में भी हुआ. घरों में बैठे बैठे लोगों ने चिकित्सकों से परामर्श लिया और तकनीक का चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग हो इस पर भी इस दौरान काम हुआ.

प्रदेश में मेडिसिन के रखरखाव की व्यवस्था किए जाने से लेकर आपातकाल के अनुभवों को भी स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहद मजबूती के साथ सीखा गया. उधर, वैक्सीन तैयार करने को लेकर आत्मनिर्भरता और पीपीई किट से लेकर बड़े उपकरणों तक में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न कंपनियों की सक्रियता ने देश और राज्य में कोरोना महामारी के फायदे को भी जाहिर किया.

मोदी सरकार के मौजूदा बजट में स्वास्थ्य बजट को 135% तक बढ़ाया गया है इसे 94 हजार से 2.38 लाख करोड़ किया गया है. इसी बीच उत्तराखंड सरकार का एक मार्च को बजट सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें 56,900 करोड़ से ज्यादा के बजट के आने की उम्मीद है. इसमें माना जा रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट में पहले से कहीं ज्यादा का प्रावधान किया जाएगा.

Last Updated : Feb 19, 2021, 4:27 PM IST
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