देहरादून: शीतकालीन अवकाश के बाद दो जनवरी को देहरादून के सभी कोर्ट-कचहरी खुल गए हैं. कोर्ट-कचहरी में नए और पुराने मामलों की सुनवाई सामान्य रूप से हो रही है. लेकिन कोर्ट परिसर में अधिवक्ता डरे हुए हैं. सरकारी अधिवक्ताओं के मुताबिक कोर्ट में कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. कोर्ट में कई लोग बिना मास्क पहने आ रहे हैं. सैनेटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कम हो रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ गया है.
अपर जिला कोर्ट की शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर के मुताबिक कोर्ट परिसर में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है. यहां पर कोरोना गाइडलाइन के किसी भी नियम को लागू नहीं किया गया है. अदालतों में पुराने मामलों की सुनवाई अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को हटाकर फेस टू फेस शुरू कर दी है. ऐसे में कई वकील, गवाह, मुलजिम और लोग बिना मास्क व बिना सोशल डिस्टेंसिंग के ही कोर्ट परिसर में घूमते हुए नजर आ रहे हैं. बजट की कमी के चलते कोर्ट परिसर में बाहर से आने वाले लोगों के सैनेटाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. कोर्ट में भी पहले के मुकाबले भीड़ बढ़ने लगी है. ऐसे में सबसे ज्यादा शासकीय अधिवक्ता डरे हुए हैं. किसी भी केस की फाइल 8 से 10 महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है. ऐसे में कोरोना के खतरे की आशंका और ज्यादा बढ़ जाती है.
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ऐसा ही कहना है एडीजीसी कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता का. उनके मुताबिक देहरादून के 30 से 40 कोर्ट की कार्यवाही सुचारू रूप से पहले की तरह शुरू हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी जज अपनी-अपनी कोर्ट में उपस्थित होकर कार्य कर रहे हैं. बावजूद इसके कोर्ट परिसर में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. जबकि कोरोना के नए स्ट्रेन आने के बाद खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है. जिन हालात में ज्यादा सावधानी बरती जानी चाहिए उस समय कोर्ट परिसर में लापरवाही बरती जा रही है.
वहीं प्राइवेट अधिवक्ता सतीश अग्रवाल का कहना है कि 2020 में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जा रही थीं. अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बंद कर कोर्ट की कार्यवाही पहले की तरह सुचारू कर दी गई है, जो पहले से ज्यादा खतरनाक हो सकता है.