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जन्माष्टमी पर मंडरा रहा कोरोना का साया, बाजार से रौनक गायब

देश-दुनिया में कोरोना वायरस संकट के कारण कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस साल पहले की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा. कोरोना वायरस का असर त्योहारों पर भी साफ नजर आ रहा है. जन्माष्टमी को लेकर बाजार सजने लगे हैं लेकिन बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है.

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जन्माष्टमी
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Published : Aug 7, 2020, 3:03 PM IST

देहरादून: रक्षाबंधन के पर्व के बाद अब आगामी 11 और 12 अगस्त को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. वहीं, जन्माष्टमी में कोरोना वायरस का असर साफ देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी की वजह से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस साल पहले की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा. जन्माष्टमी को लेकर बाजारे सजने लगी है, लेकिन बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है.

बता दें कि भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर एक तरफ मंदिरों के साथ ही स्कूलों में भव्य समारोह का आयोजन होता है. वहीं, हिंदू धर्म से जुड़ें सभी लोग अपने-अपने घरों में श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं.

जन्माष्टमी पर दिखा कोरोना का असर.
कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद है तो वहीं, मंदिरों में भी जन्माष्टमी पर किसी तरह के कोई भव्य समारोह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. जिसका सीधा असर स्थानीय कपड़ा व्यापारियों पर पड़ रहा है. जो कि जन्माष्टमी के मौके पर बच्चों के लिए राधा-कृष्ण के वस्त्र बेचा करते थे.

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि, हर साल की तरह इस साल भी उन्होंने जन्माष्टमी के पर्व को देखते हुए अपनी दुकान में छोटे बच्चों के लिए वृंदावन से राधा- कृष्ण के कपड़े मंगवाए हुए हैं. लेकिन स्कूलों और मंदिरों में कोई भव्य समारोह न होने की वजह से उनकी बिक्री पर खासा असर पड़ा है.

वहीं, बाजारों में छोटे बच्चों के लिए मिलने वाले राधा कृष्ण के वस्त्र 200 रुपये से शुरू होकर एक हजार रुपये तक उपलब्ध है. इसके अलावा कृष्ण मुकुट, बांसुरी इत्यादि भी बाजार में बच्चों के लिए सजाई गई है.

अगर बात करें वे व्यापारी की जो लड्डू, गोपाल के वस्त्र और अन्य श्रृंगार सामग्रियां बेचते हैं तो इन व्यापारियों के व्यापार पर कोरोना का कोई खास असर नहीं पड़ा है. स्थानीय व्यापारी विपिन के मुताबिक, कोरोना का असर बाजार पर जरूर है. लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर क्योंकि लोग घरों में भी लड्डू और गोपाल की पूजा करते हैं. इस वजह से लड्डू गोपाल के वस्त्र और अन्य श्रृंगार सामग्रियों की बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.

पढ़ें: चौखुटिया में जन्माष्टमी महोत्सव की धूम, मूसलाधार बारिश के बीच बच्चों ने निकाली झांकी

उत्तराखंड महिला एसोसिएशन की ओर से इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वर्चुअल राधा-कृष्ण और मीरा रूप सज्जा वर्चुअल प्रतियोगिता का आयोजन किया है. जिसमें महिलाओं द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर राधा-कृष्ण, मीरा के रूप में वीडियो साझा किया जा रहा है. इस प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा जन्माष्टमी के दिन 11 अगस्त को ही की जाएगी.

देहरादून: रक्षाबंधन के पर्व के बाद अब आगामी 11 और 12 अगस्त को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. वहीं, जन्माष्टमी में कोरोना वायरस का असर साफ देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी की वजह से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस साल पहले की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा. जन्माष्टमी को लेकर बाजारे सजने लगी है, लेकिन बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है.

बता दें कि भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर एक तरफ मंदिरों के साथ ही स्कूलों में भव्य समारोह का आयोजन होता है. वहीं, हिंदू धर्म से जुड़ें सभी लोग अपने-अपने घरों में श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं.

जन्माष्टमी पर दिखा कोरोना का असर.
कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद है तो वहीं, मंदिरों में भी जन्माष्टमी पर किसी तरह के कोई भव्य समारोह का आयोजन नहीं किया जा रहा है. जिसका सीधा असर स्थानीय कपड़ा व्यापारियों पर पड़ रहा है. जो कि जन्माष्टमी के मौके पर बच्चों के लिए राधा-कृष्ण के वस्त्र बेचा करते थे.

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि, हर साल की तरह इस साल भी उन्होंने जन्माष्टमी के पर्व को देखते हुए अपनी दुकान में छोटे बच्चों के लिए वृंदावन से राधा- कृष्ण के कपड़े मंगवाए हुए हैं. लेकिन स्कूलों और मंदिरों में कोई भव्य समारोह न होने की वजह से उनकी बिक्री पर खासा असर पड़ा है.

वहीं, बाजारों में छोटे बच्चों के लिए मिलने वाले राधा कृष्ण के वस्त्र 200 रुपये से शुरू होकर एक हजार रुपये तक उपलब्ध है. इसके अलावा कृष्ण मुकुट, बांसुरी इत्यादि भी बाजार में बच्चों के लिए सजाई गई है.

अगर बात करें वे व्यापारी की जो लड्डू, गोपाल के वस्त्र और अन्य श्रृंगार सामग्रियां बेचते हैं तो इन व्यापारियों के व्यापार पर कोरोना का कोई खास असर नहीं पड़ा है. स्थानीय व्यापारी विपिन के मुताबिक, कोरोना का असर बाजार पर जरूर है. लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर क्योंकि लोग घरों में भी लड्डू और गोपाल की पूजा करते हैं. इस वजह से लड्डू गोपाल के वस्त्र और अन्य श्रृंगार सामग्रियों की बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.

पढ़ें: चौखुटिया में जन्माष्टमी महोत्सव की धूम, मूसलाधार बारिश के बीच बच्चों ने निकाली झांकी

उत्तराखंड महिला एसोसिएशन की ओर से इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर वर्चुअल राधा-कृष्ण और मीरा रूप सज्जा वर्चुअल प्रतियोगिता का आयोजन किया है. जिसमें महिलाओं द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर राधा-कृष्ण, मीरा के रूप में वीडियो साझा किया जा रहा है. इस प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा जन्माष्टमी के दिन 11 अगस्त को ही की जाएगी.

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