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जौनसार बावर में मक्के की ये रेसिपी है काफी खास, बीमारियों से लोगों को रखती है दूर - सत्तू तैयार करने के लिए मकई के दानों की बुनाई

Corn Roasted by Farmers in VikasNagar जौनसार क्षेत्र में मक्के की फसल तैयार हो चुकी है. जिसके बाद किसानों द्वारा मक्के के दानों की भुनाई की जा रही है. भुनाई के बाद सत्तू तैयार किया जाएगा. जिसे स्वास्थ्य के लिए काफी पौष्टिक माना जाता है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 15, 2023, 1:20 PM IST

Updated : Oct 15, 2023, 2:32 PM IST

जौनसार बावर में मक्के की ये रेसिपी है काफी खास

विकासनगर: खरीफ की फसल में मंडुवा, धान और मक्का उगाए जाते हैं. मक्का को अलग-अलग क्षेत्रों में मकई, कूकडी और टेंटा आदि नामों से भी जाना जाता है. जौनसार बावर में मक्का पौराणिक फसल है. क्षेत्र में किसान पहले मक्के की खेती बड़े पैमाने पर करते थे. लेकिन कुछ सालों में किसानों द्वारा नकदी फसलों को अपनाया गया है, लेकिन बाद में दोबारा किसानों ने मक्के की खेती को करना शुरू कर दिया. मक्का बहुत पौष्टिक अनाज है और मोटे अनाज में यह भी जैविक अनाज है.

dcorn roasted by farmers in VikasNagar
मक्के से सत्तू बनाते किसान

मक्के के आटे की रोटी होती है स्वादिष्ट और पौष्टिक: मक्का खाने में सुपाचक और पौष्टिक भी है. कुछ विटामिन भी इसमें पाए जाते हैं. मक्के के आटे की रोटी भी बनाई जाती है, जो बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. मक्के की खेती में मात्र एक गुड़ाई करनी पड़ती है और फसल तैयार हो जाती है. मक्के की तुड़ाई करके फिर उसको सूखाया जाता है और फिर उसके दानें निकाले जाते हैं.

मक्के की खेती करना सस्ता और आसान: इसके अलावा मक्के की खेती करना सस्ता और आसान है, जबकि अन्य फैसलों में काफी मेहनत होती है. मक्के के दानों को भट्टी (मिट्टी पत्थर से बना बड़ा चूल्हें का प्रकार ) में सूपे से या किसी अन्य से डालकर सामान्य तापमान पर भुनाई की जाती है, ताकि पौष्टिकता बनी रहे.

मक्के से बनाया जाता है सत्तू: मक्के को सूखा करके दोबारा साफ करके एक पौष्टिक आहार बनाया जाता है, जिसे सत्तू कहते हैं. जौनसार बावर क्षेत्र में जौ के सत्तू भी बनाए जाते थे, लेकिन अब मक्के के सत्तू बनाने का प्रचलन ज्यादा हो गया है. मक्के का सत्तू कभी खराब नहीं होता है, इसको आप पूरे साल भर रख सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Corn Farming: बेमौसमी धान का विकल्प बनेगा मक्का, 50 प्रतिशत अनुदान में उपलब्ध होगा बीज
सत्तू खाना लाभदायक: सत्तू को मट्ठा के साथ खाया जा सकता है, लेकिन अगर मठ्ठा उपलब्ध नहीं हो पता है, तो केवल आप चटनी बनाकर उसमें नमक का प्रयोग करके सत्तू खा सकते हैं. यह बहुत लाभदायक होता है.
ये भी पढ़ें: भारत में 5 लाख मीट्रिक टन मक्का व दुग्ध उत्पादों का आयात, सरकार ने दी अनुमति

जौनसार बावर में मक्के की ये रेसिपी है काफी खास

विकासनगर: खरीफ की फसल में मंडुवा, धान और मक्का उगाए जाते हैं. मक्का को अलग-अलग क्षेत्रों में मकई, कूकडी और टेंटा आदि नामों से भी जाना जाता है. जौनसार बावर में मक्का पौराणिक फसल है. क्षेत्र में किसान पहले मक्के की खेती बड़े पैमाने पर करते थे. लेकिन कुछ सालों में किसानों द्वारा नकदी फसलों को अपनाया गया है, लेकिन बाद में दोबारा किसानों ने मक्के की खेती को करना शुरू कर दिया. मक्का बहुत पौष्टिक अनाज है और मोटे अनाज में यह भी जैविक अनाज है.

dcorn roasted by farmers in VikasNagar
मक्के से सत्तू बनाते किसान

मक्के के आटे की रोटी होती है स्वादिष्ट और पौष्टिक: मक्का खाने में सुपाचक और पौष्टिक भी है. कुछ विटामिन भी इसमें पाए जाते हैं. मक्के के आटे की रोटी भी बनाई जाती है, जो बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है. मक्के की खेती में मात्र एक गुड़ाई करनी पड़ती है और फसल तैयार हो जाती है. मक्के की तुड़ाई करके फिर उसको सूखाया जाता है और फिर उसके दानें निकाले जाते हैं.

मक्के की खेती करना सस्ता और आसान: इसके अलावा मक्के की खेती करना सस्ता और आसान है, जबकि अन्य फैसलों में काफी मेहनत होती है. मक्के के दानों को भट्टी (मिट्टी पत्थर से बना बड़ा चूल्हें का प्रकार ) में सूपे से या किसी अन्य से डालकर सामान्य तापमान पर भुनाई की जाती है, ताकि पौष्टिकता बनी रहे.

मक्के से बनाया जाता है सत्तू: मक्के को सूखा करके दोबारा साफ करके एक पौष्टिक आहार बनाया जाता है, जिसे सत्तू कहते हैं. जौनसार बावर क्षेत्र में जौ के सत्तू भी बनाए जाते थे, लेकिन अब मक्के के सत्तू बनाने का प्रचलन ज्यादा हो गया है. मक्के का सत्तू कभी खराब नहीं होता है, इसको आप पूरे साल भर रख सकते हैं.
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सत्तू खाना लाभदायक: सत्तू को मट्ठा के साथ खाया जा सकता है, लेकिन अगर मठ्ठा उपलब्ध नहीं हो पता है, तो केवल आप चटनी बनाकर उसमें नमक का प्रयोग करके सत्तू खा सकते हैं. यह बहुत लाभदायक होता है.
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Last Updated : Oct 15, 2023, 2:32 PM IST
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