देहरादून: देशभर में महिला अपराध के बढ़ते मामले रोज सुर्खियां बटोरते हैं. निर्भया कांड के बाद महिला के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर देशभर के लोग सड़कों पर भी उतरे थे. जिसके बाद ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने से लेकर कानून सख्त करने पर बहस शुरू हो गई थी. ऐसे में सवाल है कि देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कितने मामलों में गुनहगारों को सजा मिल पाती है. इस सवाल का जवाब संसद के बजट सत्र 2021-22 के दौरान मिला.
दरअसल, बजट सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में पिछले पांच सालों के आंकड़े बताए गए. जिनके हिसाब से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में गुनहगारों को सबसे अधिक सजा की दर पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की रही. यानी महिलाओं के खिलाफ जो भी आपराधिक मामले मिजोरम में सामने आए, उस हिसाब से सर्वाधिक मामलों में सजा मिजोरम में दी गई. टॉप-5 राज्यों की इस सूची में उत्तराखंड भी शामिल है. सवाल के जवाब में लोकसभा में साल 2015 से 2019 तक के आंकड़े पेश किए गए.
2015 और 2016 के आंकड़े
साल 2015 में ऐसे मामलों में 77.5 फीसदी सजा देने की दर के साथ पहले नंबर पर रहा. जबकि दूसरे नंबर पर नगालैंड (77.4%), तीसरे नंबर पर उत्तराखंड (57.1%), चौथे पर उत्तर प्रदेश 55.8%), पांचवें पर छत्तीसगढ़ (44.2%) है.
साल 2016 में भी मिजोरम पहले स्थान (88.8%) रहा, जबकि नागालैंड टॉप 5 से बाहर रहा. दूसरे नंबर पर मेघालय (67.7%), तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (67.7%), चौथे नंबर पर उत्तराखंड (46.2%) और पांचवें नंबर पर मणिपुर (43.8%) रहे.
2017 और 2018 के आंकड़े
साल 2017 में मिजोरम पहले नंबर से खिसककर दूसरे स्थान पर पहुंच गया, जबकि पहले नंबर पर नागालैंड की वापसी हो गई. तीसरे, चौथे और पांचवें नंबर पर इस बार भी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर रहे.
साल 2018 में मिजोरम में सबसे ज्यादा 90 फीसदी से ज्यादा मामलों में सजा हुई, जबकि नागालैंड में ये दर 89.7 फीसदी, यूपी में 60.3 फीसदी, उत्तराखंड में 52 फीसदी और मणिपुर में 43.3 फीसदी रही.
2019 में भी मिजोरम अव्वल
साल 2019 में भी इस मामले में मिजोरम (88.3%) पहले नंबर पर रहा. वहीं मणिपुर (58%) दूसरे, मेघालय (57.3%) तीसरे, उत्तर प्रदेश (55.2%) चौथे और उत्तराखंड (50.6%) पांचवें नंबर पर रहा.
पांच सालों के इन आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 को छोड़कर मिजोरम बाकी चारों साल इस मामले में अव्वल रहा. साल 2018 में मिजोरम में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सजा दिलाने की दर 90 फीसदी के पार पहुंची.
इन पांचों सालों में सिर्फ 2015 में छत्तीसगढ़ ने सूची में जगह बनाई, वरना हर साल इस सूची में पूर्वोत्तर के तीन राज्य शामिल रहे. जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इस मामले में पिछले पांच सालों से इस सूची में जगह बनाए हुए हैं.