देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा गरमाया हुआ है. उत्तराखंड की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर लगातार तीखे बोल बोलते नजर आ रहे हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं. वैसे-वैसे नेताओं की जुबान से जहरीले बोल सामने आ रहे हैं. प्रदेश में पहले से स्थापित बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी भी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में है. इस कारण उत्तराखंड में होने वाला विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय हो गया है. इसके साथ ही नेता प्रतिद्वंदी पार्टियों के नेताओं पर तीखे हमले करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं.
गणेश जोशी ने कहा चोर-डकैत: 17 अगस्त को बीजेपी की ओर से आयोजित रक्षाबंधन समारोह में मसूरी विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि चुनाव आने वाले हैं. मसूरी में चोर-डकैत की तरह चुनाव प्रत्याशी आ रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपशब्द का इस्तेमाल करते हुए ऐसे प्रत्याशियों को मसूरी विधानसभा क्षेत्र में घुसने नहीं देने का आग्रह भी किया.
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त्रिवेंद्र ने केजरीवाल को कहा अर्बन नक्सल: 20 अगस्त को हरिद्वार पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अर्बन नक्सल हैं. केजरीवाल रूप बदलते रहते हैं. त्रिवेंद्र का गुस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्होंने केजरीवाल को बहरूपिया भी कहा और कहा कि यह भी कह सकते हैं कि केजरीवाल गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते हैं. केजरीवाल जैसे गिरगिटों पर उत्तराखंड की जनता विश्वास नहीं कर सकती है.
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कोई भी ऐसा काम नहीं किया है, जिससे उनकी सरकार पर कोई दाग लगे हो, कोरोना जैसी परिस्थितियों में भी बीजेपी सरकार ने अच्छा काम किया है और लोगों की सेवा की है. इसी का फायदा उन्हें चुनाव में मिलेगा.
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हरदा का पलटवारः पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि सत्ता की बागडोर ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है, जिन्हें अपने प्रतिद्वंदी कीड़े-मकोड़े नजर आते हैं. इस तरह के बयान बेहद दुखद और तकलीफ दायक हैं. बीजेपी के मंत्री बेलगाम हो चुके हैं और ऐसी बयानबाजी से संसदीय लोकतंत्र को खतरा पैदा हो गया है.
बता दें कि, चुनाव आते ही नेताओं के राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो जाती है. बीजेपी भले ही अपने आपको अनुशासित पार्टी कहती हो भले ही बीजेपी नेताओं को लगातार अनुशासन पाठ पढ़ाया जा रहा हो. लेकिन ऐसा लगता है कि प्रदेश में सत्ता पर बैठी बीजेपी के नेताओं के बोल लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, जो यह बताते हैं कि लोकतंत्र में नेताओं की भाषा कितनी बिगड़ती जा रही है.