देहरादून: उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने हिंदी माध्यम से भी एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की बात कही तो कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता दरिमा दसौनी का कहना है कि सरकार देश में केवल हिंदी और संस्कृत के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है, जबकि धरातल पर कुछ नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई को किसी भाषा में नहीं बांटना चाहिए.
बता दें, स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत में एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery) की पढ़ाई को हिंदी पाठ्यक्रम के माध्यम से कराने का विकल्प शुरू करने की बात कही है. इसके जरिए हिंदी माध्यम से पढ़ कर आने वाले बच्चों को सहूलियत मिलने की बात कही जा रही है.
हालांकि, धन सिंह रावत हिंदी माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई करवाने की घोषणा वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं. इससे पहले मध्य प्रदेश में भी एमबीबीएस को हिंदी माध्यम से पढ़ाए जाने पर काम शुरू हो चुका है. इस मामले को लेकर कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा को गलत बताया है.
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी की मानें तो सरकार देश में केवल हिंदी, संस्कृत के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है, जबकि धरातल पर कुछ नहीं किया जा रहा है. गरिमा दसौनी का तर्क है कि एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान कई ऐसे शब्द हैं जो केवल अंग्रेजी में ही हैं. इनका हिंदी मैं कैसे उपयोग होगा, यह समझ से परे है. गरिमा दसौनी ने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत पर ये तंज भी कसा कि उन्हें MBBS का फुल फॉर्म पता नहीं होगा.
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उन्होंने कहा कि जिस तरह बारिश के लिए एप्लीकेशन बात कहकर स्वास्थ्य मंत्री ने फजीहत करवाई थी, उसी तरह अब हिंदी एमबीबीएस मामले में भी मंत्री प्रदेश की फजीहत करवा रहे हैं. हालांकि, हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के क्या नुकसान हैं, इसका कांग्रेस के पास कोई सही तर्क नहीं है.